जयपुर. 2004 में आज के ही दिन मनरेगा संबंधी बिल संसद में रखा गया था. इस दिन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot on MGNREGA) ने कहा कि कोरोना काल के मुश्किल दौर में मनरेगा जीवन रेखा साबित हुआ. मनरेगा ने लाखों लोगों को रोजगार दिया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि मनरेगा पिछली यूपीए सरकार की ओर से लाया गया ऐतिहासिक योजना है. लोगों के कल्याण के उद्देश्य से सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा उपायों में से एक है. कोरोना काल के मुश्किल दौर में यह जीवन रेखा साबित हुआ है.
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महामारी में मनरेगा से मिली बड़ी राहत
एक ओर जहां शहरों में लॉकडाउन की वजह से काम नहीं मिल रहा था तो लोग शहरों से गांव की ओर पलायन कर रहे थे. लोगों के सामने आजीविका चलना मुश्किल साबित हो रहा था. ऐसे वक्त में मनरेगा लाखों लोगों की जीवन रेखा के रूप में सामने आया. अनलॉक के बाद भी मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम योजना इसलिए कारगर साबित हुआ कि इस दौरान लोगों को मनरेगा में काम मिला. मनरेगा योजना में मिले रोजगार से लोगों को परिवार चलना आसान हो गया था.
मनरेगा में राजस्थान ने बनाया रिकॉर्ड
कोरोना काल के समय राजस्थान में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत श्रमिक नियोजन प्रतिदिन 50 लाख से अधिक हो गया था. श्रमिक नियोजन की दृष्टि से राजस्थान देश में प्रथम स्थान पर है और नियोजित श्रमिकों में लगभग 13 लाख ऐसे श्रमिक भी रोजगार पा रहे हैं जो अन्य राज्यों से लौटे थे.
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लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के लिए संजीवनी साबित हुई मनरेगा योजना
मनरेगा एक मांग आधारित योजना है, जो किसी भी ग्रामीण परिवार को 100 दिनों के अकुशल काम की गारंटी देता है. पिछले साल के लॉकडाउन के दौरान, इस योजना को 1.11 लाख करोड़ रुपये का उच्चतम बजट दिया गया और रिकॉर्ड 11 करोड़ श्रमिकों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा प्रदान की गई.