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धरने के 8वें दिन आशा सहयोगिनियों ने निकाली रैली, वार्ता में नहीं बनी बात...आंदोलन रहेगा जारी

अपनी मांगों को लेकर धरना कर रही आशा सहयोगिनियों ने 8वें दिन बुधवार को रैली निकालकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. रैली के बाद सचिवालय में उनकी एक अधिकारी से बात हुई, जिसमें उन्होंने फरवरी तक रुकने का कहा. जिसके बाद आशा सहयोगिनियों में नाराजगी है और उन्होने आंदोलन जारी रखने का निर्णय किया है.

Asha Sahyogini protest in Rajasthan, Asha Sahyogini demand for regularization
धरने के 8वें दिन आशा सहयोगिनियों ने निकाली रैली
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Published : Dec 30, 2020, 5:55 PM IST

जयपुर. पिछले 7 दिन से कड़ाके की ठंड में अपनी मांगों को लेकर धरना दे रही आशा सहयोगिनियों ने आठवें दिन बुधवार को विशाल रैली निकाली और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. आशा सहयोगिनियों ने 22 गोदाम से लेकर सिविल लाइन्स फाटक तक रैली निकाली. इस रैली में सैकड़ों की संख्या में अलग-अलग जिलों से आई आशा सहयोगिनियों ने भाग लिया. रैली के बाद अधकारियों से उनकी वार्ता हुई, जो बेनतीजा रही. इसके चलते आशा सहयोगिनियों ने अपना आंदोलन जारी रखने का निर्णय किया है.

धरने के 8वें दिन आशा सहयोगिनियों ने निकाली रैली

आशा सहयोगिनियों की मांग है कि या तो उनका मानदेय बढ़ाकर 18 हजार रुपये किया जाए या फिर उनको नियमित कर दिया जाए. इन्हीं मांगों को लेकर आशा सहयोगिनी कड़ाके की ठंड में महिला एवं बाल विकास कार्यालय के बाहर 7 दिन से धरना दे रही हैं. सरकार की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं की गई है. एक बार उच्च अधिकारियों से उनकी वार्ता भी हुई, लेकिन वह वार्ता भी पूरी तरह से फेल हो गई.

अपनी मांगें सरकार तक पहुंचाने के लिए आशा सहयोगिनियों ने बुधवार को विशाल रैली निकाली. जब रैली सिविल लाइंस फाटक पर पहुंची तो बेरिकेट्स लगाकर पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया. आशा सहयोगिनियां वहीं सड़क पर बैठ गईं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगीं.

दो आशा सहयोगिनियों की बिगड़ी तबियत...

रैली के दौरान आशा सहयोगिनी संगठन की प्रदेश अध्यक्ष निर्मला सैन की तबीयत भी खराब हो गई, हालांकि कुछ देर बाद वह वापस रैली में शामिल हो गईं. रैली के दौरान आशा सहयोगिनी बबीता शर्मा की तबीयत बिगड़ गई. बबीता शर्मा अस्पताल जाने के लिए तैयार नहीं हैं. बबीता शर्मा भी उन्हीं आशा सहयोगिनियों में शामिल हैं, जो भूख हड़ताल पर बैठी हैं.

पढ़ें- मंत्री सालेह मोहम्मद ने किसानों से किया संवाद, कहा- कॉरपोरेट को फायदा पहुंचा रही केंद्र सरकार

सिविल लाइन्स फाटक से आशा सहयोगिनियों के 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को ज्ञापन देने के लिए सचिवालय ले जाया गया. सात दिन धरने पर बैठने के बाद जब उनकी मांगे नहीं मानी गई तो उन्होंने रैली के निकालने का निर्णय किया. सचिवालय में उनकी एक अधिकारी से बात हुई और उन्होंने फरवरी तक रुकने का कहा. इस तरह वार्ता में उनकी कोई बात नहीं बनी. इससे आशा सहयोगिनियों में नाराजगी है और उन्होने आंदोलन जारी रखने का निर्णय किया है.

Asha Sahyogini protest in Rajasthan, Asha Sahyogini demand for regularization
दो आशा सहयोगिनियों की बिगड़ी तबीयत

हो रहा भेदभाव...

आशा सहयोगिनी संगठन की प्रदेश अध्यक्ष निर्मला सैन ने कहा कि 2004 से हम लोग लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने हमारे नियमित करने को लेकर कुछ भी नहीं सोचा. सरकार ने हमें मुफ्त के मजदूर समझ रखा है. बिना आदेश के हमें किसी भी काम पर लगाया दिया जाता है. अभी हमें 2700 रुपये मानदेय दिया जा रहा है. इसमें हमारा गुजारा नहीं चल पा रहा. नरेगा मजदूर को भी हमसे अच्छी मजदूरी मिल रही है. यदि हमारी मांग नहीं मानी गयी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

सरकार एक परिवार में किसी को खीर और किसी को राबड़ी देकर भेदभाव कर रही है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 8 हजार, और सहायिका को 4250 रुपये दिए जा रहे हैं. जबकि आशा सहयोगिनी को 2700 रुपये दिए जा रहे हैं. आशा सहयोगिनियों ने चेतावनी दी कि सरकार हमारे लिए जो भी घोषणा करे, उसका लिखित में दिया जाए. लिखित में आश्वासन नहीं मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा.

जयपुर. पिछले 7 दिन से कड़ाके की ठंड में अपनी मांगों को लेकर धरना दे रही आशा सहयोगिनियों ने आठवें दिन बुधवार को विशाल रैली निकाली और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. आशा सहयोगिनियों ने 22 गोदाम से लेकर सिविल लाइन्स फाटक तक रैली निकाली. इस रैली में सैकड़ों की संख्या में अलग-अलग जिलों से आई आशा सहयोगिनियों ने भाग लिया. रैली के बाद अधकारियों से उनकी वार्ता हुई, जो बेनतीजा रही. इसके चलते आशा सहयोगिनियों ने अपना आंदोलन जारी रखने का निर्णय किया है.

धरने के 8वें दिन आशा सहयोगिनियों ने निकाली रैली

आशा सहयोगिनियों की मांग है कि या तो उनका मानदेय बढ़ाकर 18 हजार रुपये किया जाए या फिर उनको नियमित कर दिया जाए. इन्हीं मांगों को लेकर आशा सहयोगिनी कड़ाके की ठंड में महिला एवं बाल विकास कार्यालय के बाहर 7 दिन से धरना दे रही हैं. सरकार की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं की गई है. एक बार उच्च अधिकारियों से उनकी वार्ता भी हुई, लेकिन वह वार्ता भी पूरी तरह से फेल हो गई.

अपनी मांगें सरकार तक पहुंचाने के लिए आशा सहयोगिनियों ने बुधवार को विशाल रैली निकाली. जब रैली सिविल लाइंस फाटक पर पहुंची तो बेरिकेट्स लगाकर पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया. आशा सहयोगिनियां वहीं सड़क पर बैठ गईं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगीं.

दो आशा सहयोगिनियों की बिगड़ी तबियत...

रैली के दौरान आशा सहयोगिनी संगठन की प्रदेश अध्यक्ष निर्मला सैन की तबीयत भी खराब हो गई, हालांकि कुछ देर बाद वह वापस रैली में शामिल हो गईं. रैली के दौरान आशा सहयोगिनी बबीता शर्मा की तबीयत बिगड़ गई. बबीता शर्मा अस्पताल जाने के लिए तैयार नहीं हैं. बबीता शर्मा भी उन्हीं आशा सहयोगिनियों में शामिल हैं, जो भूख हड़ताल पर बैठी हैं.

पढ़ें- मंत्री सालेह मोहम्मद ने किसानों से किया संवाद, कहा- कॉरपोरेट को फायदा पहुंचा रही केंद्र सरकार

सिविल लाइन्स फाटक से आशा सहयोगिनियों के 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को ज्ञापन देने के लिए सचिवालय ले जाया गया. सात दिन धरने पर बैठने के बाद जब उनकी मांगे नहीं मानी गई तो उन्होंने रैली के निकालने का निर्णय किया. सचिवालय में उनकी एक अधिकारी से बात हुई और उन्होंने फरवरी तक रुकने का कहा. इस तरह वार्ता में उनकी कोई बात नहीं बनी. इससे आशा सहयोगिनियों में नाराजगी है और उन्होने आंदोलन जारी रखने का निर्णय किया है.

Asha Sahyogini protest in Rajasthan, Asha Sahyogini demand for regularization
दो आशा सहयोगिनियों की बिगड़ी तबीयत

हो रहा भेदभाव...

आशा सहयोगिनी संगठन की प्रदेश अध्यक्ष निर्मला सैन ने कहा कि 2004 से हम लोग लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने हमारे नियमित करने को लेकर कुछ भी नहीं सोचा. सरकार ने हमें मुफ्त के मजदूर समझ रखा है. बिना आदेश के हमें किसी भी काम पर लगाया दिया जाता है. अभी हमें 2700 रुपये मानदेय दिया जा रहा है. इसमें हमारा गुजारा नहीं चल पा रहा. नरेगा मजदूर को भी हमसे अच्छी मजदूरी मिल रही है. यदि हमारी मांग नहीं मानी गयी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

सरकार एक परिवार में किसी को खीर और किसी को राबड़ी देकर भेदभाव कर रही है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 8 हजार, और सहायिका को 4250 रुपये दिए जा रहे हैं. जबकि आशा सहयोगिनी को 2700 रुपये दिए जा रहे हैं. आशा सहयोगिनियों ने चेतावनी दी कि सरकार हमारे लिए जो भी घोषणा करे, उसका लिखित में दिया जाए. लिखित में आश्वासन नहीं मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा.

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