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सच हुआ 'हनुमान' के बचपन का सपना, अब कानून से करेंगे लोगों की मदद

मंजिलें उनको मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. कुछ ऐसे ही सपनों, हौसलों और आत्मविश्वास की कहानी है 22 साल की उम्र में जज बनने वाले हनुमान मीणा की.

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Published : Nov 21, 2019, 12:03 PM IST

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चाकसू (जयपुर). संकल्प में वह ताकत है कि पत्थर भी पिघलकर मोम बन जाता है. कुछ इसी तरह की कहानी है चाकसू क्षेत्र के ग्राम राडोली निवासी एक किसान परिवार के बेटे की, जिसके संकल्प ने उसका चयन आरजेएस में कराया. सुखदेव की ढाणी में रहने वाले किसान रामचन्द मीणा के पुत्र हनुमान मीणा का आरजेएस में चयन होने पर परिजनों और ग्रामीणों में खुशी छा गई. 22 साल के हनुमान मीणा का बचपन से जज बनने का सपना था, जो अब पूरा हो गया है.

किसान का बेटा 22 साल की उम्र में बना जज

आरजेएस की न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रथम प्रयास और बिना कोचिंग किए सफलता हासिल कर परिवार व गांव क्षेत्र का नाम रोशन किया है. उनके आरजेएस बनने पर ग्रामीणों, एसटी जिलाध्यक्ष रमेश मीणा, स्थानीय विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने भी घर पहुंचकर स्वागत कर बधाई दी.

यह भी पढ़ें- RJS परीक्षा परिणामः जोधपुर की सोनल ने टॉप 10 में बनाई जगह, कहा- फोकस और हार्ड वर्क से ही संभव

आरजेएस हनुमान मीणा की मानें तो बचपन से ही उनका जज बनने का सपना था. रोजाना वे 10 से 15 घण्टे नियमित अध्ययन करके इस मुकाम पर पहुंचे हैं. सफलता का श्रेय माता-पिता, भाई और गुरुजनों को दिए. पिता रामचन्द मीणा किसान और माता मन्नी देवी गृहणी हैं. उनके बेटे को हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से घोषित किया गया. राजस्थान न्यायिक सेवा भर्ती के परीक्षा परिणाम से आरजेएस में चयनित होने पर परिवाजनों और ग्रामीणों में बेहद खुशी है.

चाकसू (जयपुर). संकल्प में वह ताकत है कि पत्थर भी पिघलकर मोम बन जाता है. कुछ इसी तरह की कहानी है चाकसू क्षेत्र के ग्राम राडोली निवासी एक किसान परिवार के बेटे की, जिसके संकल्प ने उसका चयन आरजेएस में कराया. सुखदेव की ढाणी में रहने वाले किसान रामचन्द मीणा के पुत्र हनुमान मीणा का आरजेएस में चयन होने पर परिजनों और ग्रामीणों में खुशी छा गई. 22 साल के हनुमान मीणा का बचपन से जज बनने का सपना था, जो अब पूरा हो गया है.

किसान का बेटा 22 साल की उम्र में बना जज

आरजेएस की न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रथम प्रयास और बिना कोचिंग किए सफलता हासिल कर परिवार व गांव क्षेत्र का नाम रोशन किया है. उनके आरजेएस बनने पर ग्रामीणों, एसटी जिलाध्यक्ष रमेश मीणा, स्थानीय विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने भी घर पहुंचकर स्वागत कर बधाई दी.

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आरजेएस हनुमान मीणा की मानें तो बचपन से ही उनका जज बनने का सपना था. रोजाना वे 10 से 15 घण्टे नियमित अध्ययन करके इस मुकाम पर पहुंचे हैं. सफलता का श्रेय माता-पिता, भाई और गुरुजनों को दिए. पिता रामचन्द मीणा किसान और माता मन्नी देवी गृहणी हैं. उनके बेटे को हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से घोषित किया गया. राजस्थान न्यायिक सेवा भर्ती के परीक्षा परिणाम से आरजेएस में चयनित होने पर परिवाजनों और ग्रामीणों में बेहद खुशी है.

Intro:चाकसू (जयपुर). संकल्प में वह ताकत है कि पत्थर भी पिघलकर मोम बन जाता है। कुछ इसी तरह की कहानी है चाकसू क्षेत्र के ग्राम राडोली निवासी एक किसान परिवार के बेटे की। बतादे यहां सुखदेव की ढाणी में रहने वाले किसान रामचन्द मीणा के पुत्र हनुमान मीणा का आरजेएस में चयन होने पर परिजनों और ग्रामीणों में खुशी छा गई। Body:22 वर्षीय हनुमान मीणा का बचपन से जज बनने का सपना था जो आज पूरा हो गया है। आरजेएस की न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रथम प्रयास व बिना कोचिंग किए सफलता हासिल कर परिवार व गांव क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उनके आरजेएस बनने पर ग्रामीणों, एसटी जिलाध्यक्ष रमेश मीणा, स्थानीय विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने भी घर पहुंचकर स्वागत कर बधाइयां दी। Conclusion:आरजेएस हनुमान मीणा की माने तो बचपन से ही उनका जज बनने का सपना था। प्रतिदिन 10 से 15 घण्टे नियमित अध्ययन करके इस मुकाम पर पहुंचे है। सफलता का श्रेय माता-पिता, भाई भरत व गुरुजनों को दिया। पिता रामचन्द मीणा खेती और माता मन्नी देवी गृहणी है। उनके बेटे का हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से घोषित किए गए राजस्थान न्यायिक सेवा भर्ती के परीक्षा परिणाम से आरजेएस में चयनित होने पर परिवाजनों एवं ग्रामीणों में बेहद खुशी है।

-ईटीवी भारत के लिए चाकसू से मुकेश के सिर्रा की रिपोर्ट।
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