बीकानेर. नगर निगम की ओर से संचालित गौशाला के हालात इन दिनों कुछ ठीक नहीं है. शहर में आवारा घूम रहे गोवंश को पकड़ने के लिए नगर निगम ने जहां ठेका दे रखा है. वहीं, गोवंश को पकड़कर गौशाला में लाने के बाद इनके रख-रखाव की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट को दे रखी है. जिसके लिए नगर निगम की ओर से बकायदा भुगतान भी किया जाता है.
बुधवार को बीकानेर सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ठंड का सितम जोरों पर था और इसी कड़ाके की ठंड में ईटीवी भारत ने इस गौशाला का रियलटी चेक किया. मौके पर मौजूद गौशाला के मैनेजर से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि गौशाला में 1200 से ज्यादा गायें हैं और किसी भी गाय की स्थिति खराब होने पर उसका इलाज किया जाता है.
हालांकि, मौके पर उस वक्त एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था और कंपाउंडर ही बीमार गायों का इलाज करते हुए नजर आया. गौशाला में ट्रस्ट की ओर से नियुक्त मैनेजर दीनदयाल ओझा का कहना है कि गायों की यहां पूरी देखभाल होती है और किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं की जाती है.
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नहीं थम रहा मौत का सिलसिला
पिछले एक महीने में करीब 38 से ज्यादा गायों की मौत के सवाल पर दीनदयाल ओझा ने कहा कि इन गायों की मौत ठंड से नहीं हुई है. बल्कि, पॉलीथिन खा कर उनके पेट में पॉलीथिन जमा हो गई, जिसके चलते उनकी मौत हो गई. वहीं, ईटीवी भारत की टीम जब मौके पर पहुंची तो 3 गायों की मौत हो चुकी थी.
पूर्व पार्षद आदर्श शर्मा का कहना है कि गौशाला की संचालन को लेकर निगम की ओर से 2.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. लेकिन धरातल पर 2.5 करोड़ रुपए खर्च होता नजर नहीं आ रहा है और ना ही यहां गायों के लिए कोई डॉक्टर काम करता हुआ मिला है.
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शिकायत के बाद नहीं पहुंचा कोई अधिकारी
इस गौशाला में तेज कड़ाके की ठंड में गायों को रखने के लिए ना ही टेंट है और ना किसी तरह के टिन की व्यस्वथा की गई है. इसी के चलते पिछले एक महीने में इन गायों की मौत हुई है. पूर्व पार्षद आदर्श शर्मा का कहना है कि इस बारे में वे जिला कलेक्टर नगर निगम आयुक्त और पुलिस में भी शिकायत दर्ज करा चुके हैं. लेकिन कोई भी अधिकारी यहां मौके पर हकीकत देखने के लिए नहीं आया. इसका मतलब साफ है कि अधिकारियों की मिलीभगत भी इस मामले में देखने को मिल रही है.
वहीं, पार्षद रमजान कच्छावा का कहना है कि हम लोग जब यहां स्थिति देखने आए तो यहां कई गौवंश की मौत हो चुकी थी. लेकिन ट्रस्ट की ओर कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिली और ना ही कोई जिम्मेदार आदमी जवाब देने को तैयार है. हैरत की बात यह है कि इतनी संख्या में गौवंश की मौत होने के बाद भी किसी भी गोवंश का पोस्टमार्टम नहीं किया गया. जिससे इन गोवंश की मौत का कारण पता चल सके.