ETV Bharat / city

स्पेशल: नगर निगम की गौशाला में सर्दी से मर रहे गोवंश, नहीं है कोई खास इंतजाम - Bikaner Municipal Corporation News

बीकानेर नगर निगम की ओर से आवारा घूम रहे गोवंश को पकड़ने के लिए ठेका दिया गया है. साथ ही गोवंश को पकड़ कर उनकी रख-रखाव की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट को दी गई है. जिसके लिए निगम की ओर से भुगतान भी किया जाता है. लेकिन ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में जो सच्चाई सामने आई वो हैरान करने वाली थी. देखें स्पेशल रिपोर्ट

सर्दी से गायों की हो रही मौत,  Cows are dying of cold
सर्दी से गायों की हो रही मौत
author img

By

Published : Dec 25, 2019, 11:01 PM IST

बीकानेर. नगर निगम की ओर से संचालित गौशाला के हालात इन दिनों कुछ ठीक नहीं है. शहर में आवारा घूम रहे गोवंश को पकड़ने के लिए नगर निगम ने जहां ठेका दे रखा है. वहीं, गोवंश को पकड़कर गौशाला में लाने के बाद इनके रख-रखाव की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट को दे रखी है. जिसके लिए नगर निगम की ओर से बकायदा भुगतान भी किया जाता है.

नगर निगम की गौशाला में सर्दी से मर रहे गौवंश

बुधवार को बीकानेर सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ठंड का सितम जोरों पर था और इसी कड़ाके की ठंड में ईटीवी भारत ने इस गौशाला का रियलटी चेक किया. मौके पर मौजूद गौशाला के मैनेजर से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि गौशाला में 1200 से ज्यादा गायें हैं और किसी भी गाय की स्थिति खराब होने पर उसका इलाज किया जाता है.

हालांकि, मौके पर उस वक्त एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था और कंपाउंडर ही बीमार गायों का इलाज करते हुए नजर आया. गौशाला में ट्रस्ट की ओर से नियुक्त मैनेजर दीनदयाल ओझा का कहना है कि गायों की यहां पूरी देखभाल होती है और किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं की जाती है.

पढ़ें- स्पेशल: बूंदी की बहू शिल्पा जैन कर रहीं बेटियों को मजबूत, सिखा रहीं जूडो-कराटे

नहीं थम रहा मौत का सिलसिला

पिछले एक महीने में करीब 38 से ज्यादा गायों की मौत के सवाल पर दीनदयाल ओझा ने कहा कि इन गायों की मौत ठंड से नहीं हुई है. बल्कि, पॉलीथिन खा कर उनके पेट में पॉलीथिन जमा हो गई, जिसके चलते उनकी मौत हो गई. वहीं, ईटीवी भारत की टीम जब मौके पर पहुंची तो 3 गायों की मौत हो चुकी थी.

पूर्व पार्षद आदर्श शर्मा का कहना है कि गौशाला की संचालन को लेकर निगम की ओर से 2.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. लेकिन धरातल पर 2.5 करोड़ रुपए खर्च होता नजर नहीं आ रहा है और ना ही यहां गायों के लिए कोई डॉक्टर काम करता हुआ मिला है.

पढ़ें- विनती सुनो सरकार: 15 साल के दिव्यांग को मदद की दरकार, दर-दर ठोकर खा रहा परिवार

शिकायत के बाद नहीं पहुंचा कोई अधिकारी

इस गौशाला में तेज कड़ाके की ठंड में गायों को रखने के लिए ना ही टेंट है और ना किसी तरह के टिन की व्यस्वथा की गई है. इसी के चलते पिछले एक महीने में इन गायों की मौत हुई है. पूर्व पार्षद आदर्श शर्मा का कहना है कि इस बारे में वे जिला कलेक्टर नगर निगम आयुक्त और पुलिस में भी शिकायत दर्ज करा चुके हैं. लेकिन कोई भी अधिकारी यहां मौके पर हकीकत देखने के लिए नहीं आया. इसका मतलब साफ है कि अधिकारियों की मिलीभगत भी इस मामले में देखने को मिल रही है.

वहीं, पार्षद रमजान कच्छावा का कहना है कि हम लोग जब यहां स्थिति देखने आए तो यहां कई गौवंश की मौत हो चुकी थी. लेकिन ट्रस्ट की ओर कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिली और ना ही कोई जिम्मेदार आदमी जवाब देने को तैयार है. हैरत की बात यह है कि इतनी संख्या में गौवंश की मौत होने के बाद भी किसी भी गोवंश का पोस्टमार्टम नहीं किया गया. जिससे इन गोवंश की मौत का कारण पता चल सके.

बीकानेर. नगर निगम की ओर से संचालित गौशाला के हालात इन दिनों कुछ ठीक नहीं है. शहर में आवारा घूम रहे गोवंश को पकड़ने के लिए नगर निगम ने जहां ठेका दे रखा है. वहीं, गोवंश को पकड़कर गौशाला में लाने के बाद इनके रख-रखाव की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट को दे रखी है. जिसके लिए नगर निगम की ओर से बकायदा भुगतान भी किया जाता है.

नगर निगम की गौशाला में सर्दी से मर रहे गौवंश

बुधवार को बीकानेर सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ठंड का सितम जोरों पर था और इसी कड़ाके की ठंड में ईटीवी भारत ने इस गौशाला का रियलटी चेक किया. मौके पर मौजूद गौशाला के मैनेजर से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि गौशाला में 1200 से ज्यादा गायें हैं और किसी भी गाय की स्थिति खराब होने पर उसका इलाज किया जाता है.

हालांकि, मौके पर उस वक्त एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था और कंपाउंडर ही बीमार गायों का इलाज करते हुए नजर आया. गौशाला में ट्रस्ट की ओर से नियुक्त मैनेजर दीनदयाल ओझा का कहना है कि गायों की यहां पूरी देखभाल होती है और किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं की जाती है.

पढ़ें- स्पेशल: बूंदी की बहू शिल्पा जैन कर रहीं बेटियों को मजबूत, सिखा रहीं जूडो-कराटे

नहीं थम रहा मौत का सिलसिला

पिछले एक महीने में करीब 38 से ज्यादा गायों की मौत के सवाल पर दीनदयाल ओझा ने कहा कि इन गायों की मौत ठंड से नहीं हुई है. बल्कि, पॉलीथिन खा कर उनके पेट में पॉलीथिन जमा हो गई, जिसके चलते उनकी मौत हो गई. वहीं, ईटीवी भारत की टीम जब मौके पर पहुंची तो 3 गायों की मौत हो चुकी थी.

पूर्व पार्षद आदर्श शर्मा का कहना है कि गौशाला की संचालन को लेकर निगम की ओर से 2.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. लेकिन धरातल पर 2.5 करोड़ रुपए खर्च होता नजर नहीं आ रहा है और ना ही यहां गायों के लिए कोई डॉक्टर काम करता हुआ मिला है.

पढ़ें- विनती सुनो सरकार: 15 साल के दिव्यांग को मदद की दरकार, दर-दर ठोकर खा रहा परिवार

शिकायत के बाद नहीं पहुंचा कोई अधिकारी

इस गौशाला में तेज कड़ाके की ठंड में गायों को रखने के लिए ना ही टेंट है और ना किसी तरह के टिन की व्यस्वथा की गई है. इसी के चलते पिछले एक महीने में इन गायों की मौत हुई है. पूर्व पार्षद आदर्श शर्मा का कहना है कि इस बारे में वे जिला कलेक्टर नगर निगम आयुक्त और पुलिस में भी शिकायत दर्ज करा चुके हैं. लेकिन कोई भी अधिकारी यहां मौके पर हकीकत देखने के लिए नहीं आया. इसका मतलब साफ है कि अधिकारियों की मिलीभगत भी इस मामले में देखने को मिल रही है.

वहीं, पार्षद रमजान कच्छावा का कहना है कि हम लोग जब यहां स्थिति देखने आए तो यहां कई गौवंश की मौत हो चुकी थी. लेकिन ट्रस्ट की ओर कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिली और ना ही कोई जिम्मेदार आदमी जवाब देने को तैयार है. हैरत की बात यह है कि इतनी संख्या में गौवंश की मौत होने के बाद भी किसी भी गोवंश का पोस्टमार्टम नहीं किया गया. जिससे इन गोवंश की मौत का कारण पता चल सके.

Intro:प्रदेश में सर्दी का सितम जोरों पर है आम आदमी के साथ ही जानवर भी इस सर्दी की चपेट में हैं। कहने को तो सरकारी स्तर पर कई व्यवस्थाएं सर्दी के नाम पर होती है ताकि किसी की सर्दी के चलते मौत न हो। लेकिन हकीकत में यह सब बातें कागजी लगती है और इन्हीं बातों को टटोलने के लिए ईटीवी भारत की टीम बीकानेर नगर निगम की गौशाला का किया रियलिटी चेक। दरअसल इस गौशाला में पिछले एक महीने में 38 से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है।


Body:बीकानेर। बीकानेर नगर निगम की ओर से संचालित गौशाला के हालात कुछ ठीक नहीं है शहर में आवारा घूम रहे गोवंश को पकड़ने के लिए नगर निगम ने जहां ठेका दे रखा है वही गोवंश को पकड़कर गौशाला में लाने के बाद इनके रखरखाव की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट को दे रखी है और नगर निगम द्वारा बाकायदा इसके लिए भुगतान भी किया जाता है। बुधवार को बीकानेर सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ठंड का सितम जोरों पर था और इसी कड़ाके की ठंड में ईटीवी भारत संवाददाता ने इस गौशाला का रियलटी चैक किया। मौके पर मौजूद गौशाला के मैनेजर से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि गौशाला में 1200 से ज्यादा गायें हैं और किसी भी गाय की स्थिति खराब होने पर उसका इलाज किया जाता है। हालांकि मौके पर उस वक्त एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था और कंपाउंडर ही बीमार गायों का इलाज करते हुए नजर आया। गौशाला में ट्रस्ट की ओर से नियुक्त मैनेजर दीनदयाल ओझा का कहना था कि गायों की यहां पूरी देखभाल होती है और किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं है हालांकि पिछले एक महीने में तकरीबन 38 से ज्यादा गायों की मौत के सवाल पर उन्होंने कहा कि इन गायों की मौत ठंड से नहीं हुई है बल्कि पॉलीथिन खा कर उनके पेट में पॉलीथिन जमा हो गई जिसके चलते यहां गाने पर उनकी मौत हुई है। वहीं ईटीवी भारत की टीम जब मौके पर पहुंची तब तीन गायों की मौत हो चुकी थी। वहीं पूर्व पार्षद आदर्श शर्मा का कहना है कि गौशाला की संचालन को लेकर निगम की ओर से ढाई करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है लेकिन धरातल पर ढाई करोड रुपए यहां खर्च होता नजर नहीं आ रहा है और ना ही यहां गायों के लिए कोई डॉक्टर काम करता हुआ मिला है और ना ही टेंट और टिन में गायों के रखने की कोई समुचित व्यवस्था है और रात में तेज कड़ाके की ठंड में गायों को रहने की कोई बेहतर व्यवस्था भी नहीं है इसी के चलते पिछले एक महीने में इन गायों की मौत हुई है। पूर्व पार्षद आदर्श शर्मा का कहना है कि इस बारे में वे जिला कलेक्टर नगर निगम आयुक्त और पुलिस में भी शिकायत दर्ज करा चुके हैं लेकिन आज तक कोई भी अधिकारी यहां मौके पर हकीकत को देखने के लिए नहीं आया है इसका मतलब साफ है कि अधिकारियों की मिलीभगत भी इस मामले में देखने को मिल रही है।


Conclusion:पार्षद रमजान कच्छावा का कहना है कि हम लोग जब आज यहां देख स्थिति देखने के लिए आए हैं तब भी यहां कई गौवंश की मौत हो चुकी है लेकिन ट्रस्ट की ओर कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिल रही है और न ही कोई जिम्मेदार आदमी जवाब देने को तैयार है। हैरत की बात यह है कि इतनी संख्या में गौवंश की मौत होने के बाद भी किसी तरह की कोई पोस्टमार्टम की कार्रवाई नहीं की गई जिससे कि इन गौवंश की मौत का कारण पता चल सके। नगर निगम के आयुक्त जिला प्रशासन के अधिकारी और महापौर बड़ा निगम का जिम्मेदार व्यक्ति इस गौशाला की व्यवस्थाओं को देखने नहीं आया। ऐसे में सवाल उठता है अगर किसी भी तरह की व्यवस्था में खामी है तो उसे सुधार करने के लिए जिम्मेदार कौन होगा।

बाइट दीनदयाल ओझा, गौशाला में नियुक्त कर्मचारी

बाइट रमजान कच्छावा पार्षद

बाइक आदर्श शर्मा पूर्व पार्षद और सामाजिक कार्यकर्ता
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.