भीलवाड़ा. शहर के माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय में शुक्रवार से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई. यह सम्मेलन महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर किया गया. सम्मेलन में "एंब्रेसिंग द अदर रिडिस्कोवरिंग महात्मा गांधी एंड द पावर ऑफ नॉन वायलेंस " का विषय रहा. इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय स्तर से आए प्रोफेसरों को राजस्थानी परंपरा के अनुसार तिलक लगाकर स्वागत किया गया.
स्वागत के बाद महात्मा गांधी की तस्वीर पर दीप प्रज्वलन कर सम्मेलन की शुरुआत हुई. सम्मेलन के उद्घघाटन में गांधी शांति प्रतिष्ठान से प्रोफेसर कुमार प्रशांत ,प्रसिद्ध इतिहासकार श्री एस चंद्रा ,प्रोफेसर संजय लोढ़ा ने अपना उद्बोधन दिया. सम्मेलन में आए कई प्रोफेसरों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए वर्तमान देश में युवा पीढ़ी, उग्र राष्ट्रवाद और मॉबलिंचिंग जैसे विषयों पर युवाओं को गांधी दर्शन करने की बात कही.
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सम्मेलन में अखिल भारतीय विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के उपाध्यक्ष घासीराम चौधरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि गांधी दर्शन से मैं समझता हूं कि इस मुल्क की प्राणवायु है. इसमें युवा पीढ़ी का एक कमतर आंकलित किया जा सकता है. आज भारत नौजवानों का देश है यहां का नौजवान ऊर्जावान है उनमें परिवर्तन की बहार बन सकती है. इन सब अवधारणाओं के लिए एक फोरम बना है जो फोरम देश में युवाओं को गांधी दर्शन के बारे में बताता है. उन्होंने कहा कि गांधी दर्शन नौजवानों को आगे बढने की राह दिखाता है. वर्तमान पीढ़ी के लिए गांधी का सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह सिखाता है जो नौजवान के लिए कारगर सिद्ध हो सकता है. इसके अलावा गांधी जन आंदोलन की बड़ी बात करते थे और ऐसे में इस वक्त देश दुनिया के बहुत सारे लोग ताकत के बल पर कई चीजों को ठीक करना चाहते हैं.
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वहीं मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर संजय लोढ़ा ने ईटीवी भारत से बताया कि मुझे लगता है कि गांधी दर्शन को बताने के लिए कई कार्यक्रम किए जाने चाहिए. युवा पीढ़ी के साथ ही हमेशा गांधी दर्शन के बारे में बात होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि गांधी और एक युवा पीढ़ी के बीच में गैप हो गया है. इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के 400 प्रोफेसर शिरकत करेंगे. आज उद्घाटन सत्र में गांधी के बारे में 450 पेपर पढ़े जाएंगे. गांधी ने लंबे संघर्ष के बाद देश को आजादी दिलाई और आधुनिक भारत के निर्माण में गांधी के मूल्य कितने तर्कसंगत और प्रासंगिक है इसके बारे में यहां चर्चा की जाएगी.
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करने आए डॉक्टर बन्ने सिंह ने ईटीवी भारत से बताया कि कोई भी व्यक्ति ,विचार, कृति या कृतिकार प्रासंगिक तब होता है जब उनके विचारों में एलीबिसी बनती है. आज की तारीख में लोग उग्रवाद को राष्ट्रीयता मान बैठे हैं मॉब बलिचिंग को राष्ट्रीयता मान बैठे हैं जो गलत है. आज नई पीढ़ी अगर गांधी के बारे में पढे , सुने या गांधीजी को जाने और पहचाने तो उनसे सर्व धर्म समभाव सबके प्रति सम्मान की बात आ सकती है. उन्होंने कहा कि गांधी दर्शन पढ़ने से विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा. देश में वर्तमान में मॉब लिंचिंग और जातिवाद दो बड़े खतरे हैं. इनके लिए केंद्र सरकार को कोई ठोस निर्णय लेने की जरुरत है.