हैदराबाद: आजकल टेक्नोलॉजी दिन-प्रतिदिन काफी आधुनिक आइटम्स डेवलप करती जा रही है, जो दुनियाभर के लोगों के लिए सहूलियत प्रदान करती है. साउथ कोरिया के रिसर्चर्स ने ऐसी ही एक मॉर्डन टेक्नोलॉजी डेवलप की है जो दिव्यांग लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. दरअसल, साउथ कोरिया में मौजूद कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (KAIST) के रिसर्चर्स ने पूरी तरह से लकवाग्रस्त लोगों के लिए एक नया पहनने योग्य यानी वियरेबल रोबोट (Wearable robot) डेवलप किया है. इसका नाम WalkON Suit F1 है.
दिव्यांगों के लिए बना वियरेबल रोबोट
व्हीलचेयर्स पर अपना जीवन जीने वाले दिव्यांग लोग या पूरी तरह से लकवाग्रस्त लोग भी इस वियरेबल रोबोट को पहनकर बिना किसी सहारे के चल सकते हैं और यहां तक कि सीढ़ियों पर भी चढ़ सकते हैं. इसकी खास बात है कि यह रोबोट दिव्यांग लोगों के पास खुद चलकर आ सकता है ताकि लोग उन्हें किसी की मदद लिए बिना व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे ही खुद पहन सकें.
इस रोबोट को KAIST की एक्सोस्केलेटन टीम ने बनाया है और उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य एक ऐसा रोबोट बनाना है, जो शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों की डेली लाइफ को आसान बना सके. उनकी मुश्किलों को कम कर सके.
3.2 KM की रफ्तार से चल पाएंगे दिव्यांग लोग
KAIST टीम के एक सदस्य किम सेउंग-ह्वान (Kim Seung-hwan) खुद पैराप्लेजिक हैं. उन्होंने इस वियरेबल रोबोट WalkON Suit F1 का प्रोटोटाइप पेश किया, जिसमें देखा गया कि इस रोबोट की मदद से वो 3.2 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल पाए, सीढ़ियों पर चढ़ पाए और ऐसे कई काम कर पाए जो दिव्यांग होने के कारण नहीं कर पाते थे. उन्होंने कहा कि,
मैं जहां भी हूं, यह मेरे पास आ सकता है. यहां तक कि अगर मैं व्हीलचेयर पर भी बैठा हूं तो यह मेरे पास आकर मुझे खड़े होने में मदद कर सकता है और मैं खुद इसे पहन सकता हूं. यह इसके सबसे खास फीचर्स में से एक है.
WalkON Suit F1 एक तरह का शूट है जो एल्यूमीनियम और टाइटेनियम स्ट्रकचर से बना है. इसका वजन 50 किलोग्राम है और 12 इलेक्ट्रॉनिक मोटर्स की मदद से चलता है, जो चलते वक्त बनावटी ह्यूमन जॉइंट्स का काम करते हैं.
आयरनमैन से इंस्पायर होकर बनाया रोबोट
KAIST टीम की एक अन्य सदस्य पार्क जियोंग-सू (Park Jeong-su) ने कहा कि उन्हें एक पॉपुलर फिल्म आयरन मैन (Iron Man) से प्रेरणा मिली. उन्होंने कहा कि, "आयरन मैन देखने के बाद, मुझे लगा कि अगर मैं रियल लाइफ में रोबोट के जरिए लोगों की मदद कर पाऊं तो यह बहुत बढ़िया होगा." पार्क ने इस रोबोट के बारे में बताया कि, हमारे रोबोट के अगले हिस्से पर एक कैमरा लगा हुआ है. पैराप्लेजिक जैसी समस्या से परेशान लोगों के निचले शरीर की सेंसर एबिलिटीज़ अन्य इंसानों की तुलना में नेचुरली कम होती है. इस रोबोट के फ्रंट में लगा हुआ कैमरा दिव्यांग लोगों की इसी सेंसर एबिलिटीज़ की कमी को पूरा करता है. उदाहरण के तौर पर यह कैमरा सीढ़ियों की ऊंचाई का पता लगा सकता है या रास्ते में मौजूद किसी बाधा को पहचान सकता है और उससे बचने में यूज़र्स की मदद कर सकता है.
पार्क जियोंग-सू ने आगे बताया कि रोबोट का सेंसर प्रति सेकंड 1000 सिंग्लन प्रोसेस करता है ताकि यूज़र्स का बैलेंस बना रहे. किम सेउंग-ह्वान ने साइबाथलॉन (Cybathlon) 2024 में एक्सोस्केलेटन कैटेगिरी में वॉकऑन सूट एफ1 पहनकर गोल्ड मेडल जीता, जिसमें अलग-अलग तरह की शारीरिक अक्षमताओं वाले डेवलपर्स ने आठ कैटिगिरियों में सहायक रोबोट पेश किए. किम ने कहा, "मैं अपने बेटे को बताना चाहता था कि मैं भी चलने में सक्षम था. मैं उसके साथ अनेक तरह के एक्सपीरियंस शेयर करना चाहता था."