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स्पेशल: आवारा कुत्तों और बंदरों के बीच सर्पदंश बना आफत, रोजाना करीब 40 लोग हो रहे शिकार - RBM hospital in bharatpur

भरतपुर में आवारा पशु और जानवर आमजन के लिए बड़ी मुसीबत बनकर सामने आए हैं. एक आकड़े के मुताबिक, भरतपुर में रोजाना आवारा कुत्तों और बंदरों के करीब 40 लोग शिकार हो रहे हैं. इतना ही नहीं सर्पदंश भी लोगों की जान के लिए आफत बन गया है. हाल ही में सर्पदंश के काटने से एक 14 साल के बालिका की मौत हुई है.

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आवारा जानवर आमजन के लिए आफत...
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Published : Jul 20, 2020, 10:40 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 7:09 PM IST

भरतपुर. आवारा कुत्ते और बंदर आमजन के लिए मुसीबत बने हुए हैं. चिकित्सा विभाग के आंकड़ों की मानें तो जिले में हर दिन करीब 40 लोग इन आवारा कुत्तों और बंदरों का शिकार हो रहे हैं. वहीं आवारा कुत्तों और बंदरों को पकड़ने के लिए न तो जिला प्रशासन की ओर से कोई प्रयास किए जा रहे हैं और न ही शहरी क्षेत्र में नगर निगम की ओर से. ऐसे में आवारा घूमने वाले इन कुत्तों और बंदरों का आमजन को सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं जिले में सर्पदंश से भी लोगों को जान गंवानी पड़ रही है.

आवारा जानवर आमजन के लिए आफत...

1 साल में 43 हजार लोग बने शिकार

चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2019 में जनवरी से दिसंबर माह तक करीब 43 हजार से ज्यादा लोग आवारा कुत्ते और बंदरों के शिकार बन चुके हैं. जनवरी 2019 से नवंबर 2019 तक जिले में 42 हजार 611 लोगों को आवारा कुत्तों और बंदरों ने काटा है. यानि कि हर दिन करीब 40 लोग इनके शिकार हुए हैं.

लॉकडाउन में कुत्तों और बंदरों के काटने के मामले घटे

आरबीएम जिला अस्पताल के रेबीज शाखा प्रभारी नर्सिंगकर्मी कालीचरण ने बताया कि साल 2019 में हर दिन दर्जनों लोग आवारा कुत्ते और बंदरों का शिकार हो रहे थे. वहीं लॉकडाउन के चलते इस साल मार्च से अब तक कुत्ते और बंदर के काटने की घटनाओं में कमी आई है. आरबीएम जिला अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार इस साल जनवरी माह की तुलना में जून में कुत्ते और बंदर को काटने के मामले एक तिहाई रह गए हैं.

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प्रतिदिन करीब 40 लोग हो रहे शिकार

हाथ पर हाथ धरे बैठा नगर निगम

एक तरफ जहां भरतपुर शहर समेत जिले भर में आवारा कुत्ते और बंदरों का आतंक मचा हुआ है. वहीं प्रशासन और नगर निगम के जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. गत वर्ष जहां आवारा कुत्तों का बंध्याकरण किया गया और बंदर को पकड़ा गया. वहीं इस साल अभी तक आवारा कुत्तों और बंदरों से निजात दिलाने के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है. नगर निगम के सचिव रविंद्र सिंह ने बताया कि इस साल अभी तक आवारा कुत्तों और बंदरों को पकड़ने के लिए निगम की ओर से कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं की गई है. हालांकि नगर निगम की टीम शहर में घूमने वाले आवारा गोवंश को पकड़कर निगम की गौशाला में छुड़वाती है.

4 माह में 11 लोग बने सर्पदंश के शिकार, एक की मौत

आरबीएम जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड प्रभारी मोमराज ने बताया कि जिले में बरसात के मौसम में सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं. ऐसे में पीड़ितों के उपचार के लिए अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन/वैक्सीन उपलब्ध है. अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक अप्रैल 2020 में सर्पदंश के दो मामले, मई में तीन, जून में एक और जुलाई में चार मामले सामने आए.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL: 1733 ई. में राजपरिवार ने बनवाया था शिव मंदिर, कोरोना के चलते पड़ा सूना

वहीं सोमवार को जिले के वैर क्षेत्र में सर्पदंश के काटने से एक 14 साल की बालिका की मौत हो गई. यह बालिका अपनी मां के साथ जंगल में पशुओं के लिए चारा लेने गई थी. उसी समय सर्प ने दंश मार दिया, जिसके बाद बालिका को वैर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया. जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

भरतपुर. आवारा कुत्ते और बंदर आमजन के लिए मुसीबत बने हुए हैं. चिकित्सा विभाग के आंकड़ों की मानें तो जिले में हर दिन करीब 40 लोग इन आवारा कुत्तों और बंदरों का शिकार हो रहे हैं. वहीं आवारा कुत्तों और बंदरों को पकड़ने के लिए न तो जिला प्रशासन की ओर से कोई प्रयास किए जा रहे हैं और न ही शहरी क्षेत्र में नगर निगम की ओर से. ऐसे में आवारा घूमने वाले इन कुत्तों और बंदरों का आमजन को सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं जिले में सर्पदंश से भी लोगों को जान गंवानी पड़ रही है.

आवारा जानवर आमजन के लिए आफत...

1 साल में 43 हजार लोग बने शिकार

चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2019 में जनवरी से दिसंबर माह तक करीब 43 हजार से ज्यादा लोग आवारा कुत्ते और बंदरों के शिकार बन चुके हैं. जनवरी 2019 से नवंबर 2019 तक जिले में 42 हजार 611 लोगों को आवारा कुत्तों और बंदरों ने काटा है. यानि कि हर दिन करीब 40 लोग इनके शिकार हुए हैं.

लॉकडाउन में कुत्तों और बंदरों के काटने के मामले घटे

आरबीएम जिला अस्पताल के रेबीज शाखा प्रभारी नर्सिंगकर्मी कालीचरण ने बताया कि साल 2019 में हर दिन दर्जनों लोग आवारा कुत्ते और बंदरों का शिकार हो रहे थे. वहीं लॉकडाउन के चलते इस साल मार्च से अब तक कुत्ते और बंदर के काटने की घटनाओं में कमी आई है. आरबीएम जिला अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार इस साल जनवरी माह की तुलना में जून में कुत्ते और बंदर को काटने के मामले एक तिहाई रह गए हैं.

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प्रतिदिन करीब 40 लोग हो रहे शिकार

हाथ पर हाथ धरे बैठा नगर निगम

एक तरफ जहां भरतपुर शहर समेत जिले भर में आवारा कुत्ते और बंदरों का आतंक मचा हुआ है. वहीं प्रशासन और नगर निगम के जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. गत वर्ष जहां आवारा कुत्तों का बंध्याकरण किया गया और बंदर को पकड़ा गया. वहीं इस साल अभी तक आवारा कुत्तों और बंदरों से निजात दिलाने के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है. नगर निगम के सचिव रविंद्र सिंह ने बताया कि इस साल अभी तक आवारा कुत्तों और बंदरों को पकड़ने के लिए निगम की ओर से कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं की गई है. हालांकि नगर निगम की टीम शहर में घूमने वाले आवारा गोवंश को पकड़कर निगम की गौशाला में छुड़वाती है.

4 माह में 11 लोग बने सर्पदंश के शिकार, एक की मौत

आरबीएम जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड प्रभारी मोमराज ने बताया कि जिले में बरसात के मौसम में सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं. ऐसे में पीड़ितों के उपचार के लिए अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन/वैक्सीन उपलब्ध है. अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक अप्रैल 2020 में सर्पदंश के दो मामले, मई में तीन, जून में एक और जुलाई में चार मामले सामने आए.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL: 1733 ई. में राजपरिवार ने बनवाया था शिव मंदिर, कोरोना के चलते पड़ा सूना

वहीं सोमवार को जिले के वैर क्षेत्र में सर्पदंश के काटने से एक 14 साल की बालिका की मौत हो गई. यह बालिका अपनी मां के साथ जंगल में पशुओं के लिए चारा लेने गई थी. उसी समय सर्प ने दंश मार दिया, जिसके बाद बालिका को वैर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया. जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

Last Updated : Jul 21, 2020, 7:09 PM IST
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