अलवर. महाशिवरात्रि के मौके पर सुबह से रात तक सभी शिव मंदिरों में विधि-विधान से भगवान शिव का अभिषेक होगा. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. इस दिन लोग भूखे प्यासे रहकर भगवान शिव का व्रत करते हैं. लोग मंदिरों में परिवार के साथ पहुंच कर पूजा-अर्चना करते हैं. 11 मार्च को महाशिवरात्रि व चतुर्दशी तिथि तड़के 2 बजकर 40 बजे से प्रारंभ होकर 12 मार्च 2021 शुक्रवार को 3 बजे तक रहेगी.
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शास्त्रों की मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व रात्रि का पर्व है. इसलिए इसे 11 मार्च 2021 को ही मनाया जाएगा. इस बार चार प्रहर पूजन समय है. प्रथम प्रहर पूजन समय शाम 6 बजकर 29 मिनट से 9 बजकर 32 मिनट, द्वितीय प्रहर रात्रि 9 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट, तृतीय पहर 12 बजकर 37 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट, निशिथ कॉल मध्य रात्रि 12 बजकर 12 मिनट से रात 1 बजकर 1 मिनट तक है. महाशिवरात्रि पर्व का अलग-अलग जगह अलग-अलग उल्लेख मिलता है कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. वहीं, एक और लेख मिलता है, जिसमें एक भेलीया जिसने जाने अनजाने में रात्रि भर शिवलिंग के समक्ष जागकर रात्रि व्यतीत की एक शिकार के इंतजार में जिसके द्वारा जाने अनजाने में शिवलिंग पर बिलपत्र चढ़ाने पर प्रसन्न होकर भगवान ने उसे साकार रूप में दर्शन दिया. इसलिए भी महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है और चार प्रहर जागकर भगवान का पूजन किया जाता है.
कैसे करें पूजा...
जिस प्रकार भगवान सूर्यनारायण को केवल नमस्कार मात्र करने से प्रसन्न किया जा सकता है. इसी प्रकार भगवान शिव केवल जलधारा करने से प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन फिर भी भक्त अपने मानसिक व ह्रदय में अंकुरित भावों को प्रकट करने के लिए तथा मनवांछित फल प्राप्त करने के लिए महाशिवरात्रि पर विभिन्न प्रकार से पूजन करते हैं. पित्र शांति हेतु, संतान प्राप्ति के लिए गाय के दूध से अभिषेक करें. लक्ष्मी प्राप्ति हेतु गन्ने के रस से अभिषेक करें. रोग शांति हेतु कुशा के जल से अभिषेक करें. मोक्ष प्राप्ति हेतु गंगाजल से अभिषेक करें. बारिश हेतु जल से अभिषेक करें. पशुधन हेतु दही से अभिषेक करें. वंश वृद्धि हेतु घी से अभिषेक करें. सद्बुद्धि हेतु शर्करा बुरा से अभिषेक करें.
इसके अलावा सभी पापों की शांति हेतु मधु शहद से अभिषेक करें, साथ ही सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्ति के लिए बिल्वपत्र, भांग आदि सामग्री से भगवान शिव को रिझाया जा सकता है.
अलवर का त्रिपोलिया महादेव मंदिर अलवर व आसपास क्षेत्र में विशेष स्थान रखता है. दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी त्रिपोलिया मंदिर में कई बार जल अभिषेक करा चुकी हैं. पुराने समय में राजा महाराजा इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन अलवर वासी भगवान के दर्शन करते हैं और मनचाहा फल पाते हैं. अलवर के त्रिपोलिया महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व मनाया जा रहा है. पांच दिवसीय कार्यक्रम के तहत द्वितीय दिन मंदिर में भगवान त्रिपोलेश्वर नाथ का भव्य श्रृंगार सजाया गया एवं शाम 6.15 बजे भगवान श्री राम का पूजन किया गया एवं रात्रि 8.15 बजे सुंदरकांड पाठ का वाचन किया गया. त्रिपोलिया महादेव मंदिर के महंत जितेंद्र खेड़ापति ने बताया कि महाशिवरात्रि रूद्र पूजा एवं रुद्राभिषेक सुबह 8.15 से सुबह 11 बजे तक, दोपहर 12.15 बजे से 3 बजे तक, रात्रि 8.15 बजे से 10 बजे तक सिंगार रहेगा. उसके बाद जलाभिषेक किया जाएगा.