अलवर. जिला अस्पताल की एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म होने और सिस्टम की खामियों के चलते कोरोना संक्रमित इंजीनियर राहुल शर्मा की मौत के मामले में 12 दिन बाद एनईबी थाने में चार लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ है. मृतक के पिता की ओर से दर्ज कराई रिपोर्ट में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील चौहान सामान्य अस्पताल के एंबुलेंस प्रभारी पुष्पेंद्र, मेल नर्स रमेश प्रजापत और एंबुलेंस चालक मनोज सेन को नामजद किया गया है.
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सानिया अस्पताल के अलावा सामान्य अस्पताल अलवर व दौसा के सरकारी अस्पताल पर अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाने का आरोप लगाया गया है. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने सानिया अस्पताल से मिलीभगत करके अस्पताल संचालक का नाम एफआईआर से हटा दिया. जबकि इस मामले में मुख्य आरोपी सानिया अस्पताल है. मृतक के पिता ओम प्रकाश शर्मा ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके बेटे राहुल को 8 मई को सानिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो डॉक्टर ने उसका ऑक्सीजन स्तर कम होना बताया. वहां उसकी काफी जांच कराई गई.
क्या है पूरा मामला
बीते दिनों कोरोना संक्रमित इंजीनियर राहुल शर्मा को हालत गंभीर होने पर सानिया अस्पताल ने जयपुर रेफर किया. वेंटिलेटर पर राहुल को जयपुर ले जाया जा रहा था. रास्ते में ही दौसा के पास अचानक ऑक्सीजन खत्म होने पर परिजनों ने हंगामा किया. जिसके बाद एंबुलेंस में मौजूद नर्सिंगकर्मी व ड्राइवर राहुल को इलाज के लिए तुरंत दौसा के अस्पताल में लेकर गए. लेकिन वहां समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने पर राहुल ने दम तोड़ दिया था.
राहलु के पिता ने बताया कि सानिया अस्पताल में दवा और जांच में खासा खर्चा हुआ. डॉक्टर से जब बेटे की तबीयत के बारे में पूछा तो उसने कहा कि पहले से ठीक है. कुछ दिनों में छुट्टी कर दी जाएगी. 21 मई को हॉस्पिटल के डॉक्टर ने कहा कि मरीज को किसी दूसरी जगह ले जाओ. उसकी स्थिति ठीक नहीं है. सानिया अस्पताल ने राहुल को जयपुर ले जाने के लिए वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस उपलब्ध कराने से मना कर दिया. जिसके बाद सामान्य अस्पताल से एक एंबुलेंस को बुक किया गया.
इसके बाद एंबुलेंस चालक मनोज सेन व कंपाउंडर रमेश प्रजापत सानिया अस्पताल से राहुल को लेकर जयपुर रवाना हुए. रिपोर्ट में कहा गया कि एंबुलेंस में वो और उसका भाई मनोज व उसका बेटा विशाल व भतीजा दीपांशु भी साथ था. उसने सानिया अस्पताल से रवाना होने पर एंबुलेंस चालक को कंप्यूटर से कहा कि ऑक्सीजन चेक कर लो. इस पर स्टाफ ने कहा कि ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में है. नर्सिंगकर्मी भी चालक के पास बैठ गया. जबकि नियम के हिसाब से उसे मरीज के साथ बैठना चाहिए. दौसा के पास ऑक्सीजन समाप्त हो गई.
इस पर परिजनों के कहने पर मरीज को दौसा अस्पताल ले जाया गया. जहां समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण राहुल की मौत हो गई. मामले में परिजनों का आरोप है कि सानिया अस्पताल की लापरवाही के चलते उनके बेटे की मौत हुई है. सानिया अस्पताल की सभी मशीनें खराब थी. डॉक्टरों को मरीज के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. किस मरीज को क्या इलाज देना है, इसका भी डॉक्टरों को कुछ पता नहीं था.
अधिकारी चाय पिलाते हैं और झूठा आश्वासन देते हैं
राहुल के पिता ने कहा कि जिला कलेक्टर, स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पताल की लापरवाही से उसके बेटे की जान गई है. 12 दिनों तक सभी लोग इधर से उधर चक्कर कटाते रहे. लेकिन इस मामले में अभी तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई. अधिकारी चाय पिलाकर झूठा आश्वासन देते हैं. परिजनों का आरोप है कि उन्होंने सानिया अस्पताल के संचालक के खिलाफ भी रिपोर्ट दी थी. लेकिन पुलिस ने सानिया अस्पताल के संचालक का नाम हटा दिया.
उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्य आरोपी सानिया अस्पताल है. जिसकी लापरवाही से उनके बेटे की जान गई है. जब उन्होंने अपने बेटे को अस्पताल में भर्ती कराया था. उस समय उनके बेटे की हालत ठीक थी. लेकिन अस्पताल में हालत और बेहतर होने की जगह खराब होती गई. जिसके राहुल की मौत हो गई. प्रशासन की जांच टीम ने मामले में रिपोर्ट जिला कलेक्टर को सौंप दी है. लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
प्रशासन हॉस्पिटल को बचाने में लगा
परिजनों का आरोप है कि प्रशासन सानिया अस्पताल को बचाने में लगा हुआ है. राहुल ने हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद खराब पड़े वेंटिलेटर व अन्य मशीनों को ठीक किया था. अस्पताल प्रशासन मशीनें खराब होने पर भी लोगों को गुमराह कर रहा था. राहुल को सानिया अस्पताल की पूरी हकीकत पता चल गई थी. इसलिए उन्होंने इलाज में लापरवाही की और उनके बेटे को बेहतर इलाज नहीं दिया. जिसके चलते उसकी जान चली गई.