अजमेर. जिले में कोरोना संक्रमण मामलों को लेकर जिला प्रशासन और चिकित्सा महकमे के बीच तकरार नजर आने लगी है. अजमेर की नोडल अधिकारी और एसडीएम (आईएएस ऑफिसर) आर्तिका शुक्ला पर मेडिकल ऑफिसर डॉ. ज्योत्सना रंगा ने बदसलूकी और हाथापाई करने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि वो अपनी गलतियों को छुपा रही है.
मेडिकल ऑफिसर डॉ. ज्योत्सना रंगा के मुताबिक सीएमएचओ ऑफिस में एसडीएम डॉ शुक्ला ने रेजीडेंट डॉक्टर और अन्य के खिलाफ कुछ बोला. इस दौरान मेरे हाथ में मोबाइल देख कर रिकॉर्डिंग करने का भी मुझ पर आरोप लगाया. साथ ही एसडीएम के गार्ड ने मेरै हाथ मरोड़कर मोबाइल फोन भी छीन लिया, जबकि मोबाइल फोन में कुछ भी रिकॉर्ड नहीं किया गया था.
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वहीं, एसडीएम आर्तिका शुक्ला का कहना है कि सारी बातें पूरी तरह झूठी हैं. अजमेर में 44 केस मिलने के बाद जब उनसे बात करने की कोशिश कर रही थी, तो वो वीडियो बनाने में समय बर्बाद कर रही थी. यहां अजमेर की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. उनके मुतबिक नोडल अधिकारी होने के नाते सिर्फ वो अपना काम कर रही हैं और आगे भी करेंगी.
नोडल ऑफिसर और मेडिकल ऑफिसर के इन आरोपों-प्रत्यारोपों से साफ जाहिर होता है कि अजमेर चिकित्सा महकमे और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी है. आशंका है कि इस खींचतान के चलते अजमेर की जनता को कहीं भारी नुकसान ना उठाना पड़ जाए.
नोडल अधिकारी और चिकित्साकर्मियों के बीच लगातार हुई कहासुनी
चिकित्सा व्यवस्था संभाल रही डॉ. ज्योत्सना रंगा ने बताया कि ब्यावर में नोडल अधिकारी और चिकित्साकर्मियों के बीच लगातार कहासुनी हुई थी. इसके बाद चिकित्साकर्मियों ने काम बंद करने की चेतावनी भी दी थी. इसका समर्थन अजमेर के चिकित्सा विभाग ने भी किया. इसी बात को लेकर नोडल अधिकारी सभी चिकित्साकर्मियों पर कार्रवाई की बात कर रही हैं.
प्रशासनिक लापरवाही के चलते कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने का आरोप
मेडिकल ऑफिसर डॉ. ज्योत्सना रंगा का कहना है कि मुस्लिम मोची मोहल्ला इलाके में कोरोना पॉजिटिव मामले मिलने के बाद चिकित्सा महकमे ने संक्रमित लोगों को अलग-अलग रखने के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेजने की बात कही थी. लेकिन, नोडल अधिकारी द्वारा सभी को होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. इस कारण कोरोना संक्रमण के मामले अचानक बढ़ गए.