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विदिशा में ऐतिहासिक रामलीला का मंचन, मंत्री सारंग ने देखा रावण दहन, इंटरनेट के जरिए 119 देशों में देखी जा रही चलित रामलीला

विदिशा में ऐतिहासिक रामलीला का मंचन किया गया. रामलीला में शामिल होने मंत्री विश्वास सारंग सहित की प्रतिनिधी विदिशा पहुंचे. इस रामलीला को इंटरनेट के माध्यम से 119 देशों में देखी गई.

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Published : Feb 8, 2023, 8:19 PM IST

विदिशा। पूरे देश में एक ही दो स्थानों पर चलित रामलीलाओं का मंचन होता है, जिसमें से एक है मध्यप्रदेश का विदिशा जिला, जहां जिला मुख्यालय पर परतंत्र भारत से 122 वर्षों से विदिशा की रामलीला का मंचन होते आ रहा है. बीती रात 40 हजार से अधिक लोगों की मौजूदगी में भगवान श्रीराम ने दशानन का वध कर असत्य पर सत्य की जीत की. इस ऐतिहासिक रामलीला में हर दिन रामयण से जुड़े सारे प्रसंगों को चलित रूप से श्रीरामलीला स्टेडियम में ही खेला जाता है. इस कमेटी के पदेन अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं. साथ ही शासन के गजट में इस रामलीला का विधान है और राज्यपाल के अनुमोदन से ही इसके सदस्य मनोनीत किए जाते हैं. जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री की भी भूमिका चिन्हित होती हैं. यह अपने आप मे अनूठी रामलीला है. जिसे विदेश के अनेकों देशों मे इंटरनेट से देखा जाता है.

विश्व विख्यात है ये रामलीला: हर साल होने वाली ऐतिहासिक श्रीरामलीला मेले कि चलित रामलीला का मंचन समूचे विश्व में विख्यात है. स्थानीय कलाकारों द्वारा मंचित होने वाली इस रामलीला में आज श्रीराम और रावण के बीच माया युद्ध का महासंग्राम करते हुए 40 फुट ऊंचे रावण का दहन किया गया. जिसमें विदिशा, भोपाल और राघौगढ़ के कलाकारों के बीच आकर्षक आतिशबाजी मुकाबला भी देखने को मिला. लगभग 8 घंटे तक श्रीराम का लंकाधिपति रावण से युद्ध हुआ और अंततः रात 12 बजे के लगभग ऐतिहासिक रावण बध हुआ. जिसे देखने के लिए करीब 40 हजार श्रद्धालु पहुंचे थे. वहीं रामलीला क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर व्यापक पुलिस सुरक्षा की गई थी, इस दौरान नौ देवियों की झांकियां विशेष आकर्षण का केंद्र थी. मेला समिति के अध्यक्ष कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने भी इसे अनूठा और ऐतिहासिक बताया. आकर्षक आतिशबाजी में रावण के आंख से निकलती ज्वाला नाभि में घूमता चक्र और माया युद्ध, विशालकाय रावण की लीला वाकई देखते बनती थी. 14 जनवरी से 9 फरवरी तक चलने वाली रामलीला और यहां का मेला और मेले में विद्युत सज्जा और देश भर से आए झूले खेल-तमाशे यहां विशेष आकर्षण पैदा कर रहे थे.

विदिशा: रामलीला का किया जा रहा आयोजन, धूम-धाम से निकाली गई भगवान राम की बारात

122 वर्ष हुए पूरे: सह प्रधान संचालक डॉ सुधांशु मिश्रा ने बताया कि यह रामलीला विशेष है क्योंकि भारत वर्ष में केवल दो ही रामलीला है जो कि चलित रूप में होती है. पहली रामनगर बनारस में और दूसरी विदिशा की रामलीला में रामनगर की जो रामलीला है, उसमें आज भी पारंपरिक रूप से जैसे पहले होती थी, आज से 200 साल पहले वैसे ही होती है, लेकिन विदिशा में समय के हिसाब से परिवर्तन हुए, इसमें आधुनिकता लाई गई है. विदिशा की रामलीला को 122 वर्ष पूर्ण हो गए हैं. 122वें वर्ष में रावण का वध हुआ. रावण का दहन हुआ आतिशबाजी हुई और चलित रूप में होने के कारण इसका विशेष महत्व ज्यादा है.

मंत्री सारंग भी पहुंचे: इसमें आसपास के विदिशा क्षेत्र से तो लोग आते ही हैं. साथ में भोपाल से खासतौर से प्रभारी मंत्री विदिशा के विश्वास सारंग, माहपौर मालती राय एवं अनेक पार्षद मौजूद रहे. विश्वास सारंग प्रतिवर्ष यहां पर आते हैं. अभी 10 दिन पूर्व की बात है, 129 देशों में हमारी रामलीला को देखा गया है. पूर्व का इसका इतिहास अगर देखें तो पूर्व राष्ट्रपति जो कि अब नहीं है. पंडित शंकर दयाल शर्मा वह यहां पात्र बने हैं.

विदिशा। पूरे देश में एक ही दो स्थानों पर चलित रामलीलाओं का मंचन होता है, जिसमें से एक है मध्यप्रदेश का विदिशा जिला, जहां जिला मुख्यालय पर परतंत्र भारत से 122 वर्षों से विदिशा की रामलीला का मंचन होते आ रहा है. बीती रात 40 हजार से अधिक लोगों की मौजूदगी में भगवान श्रीराम ने दशानन का वध कर असत्य पर सत्य की जीत की. इस ऐतिहासिक रामलीला में हर दिन रामयण से जुड़े सारे प्रसंगों को चलित रूप से श्रीरामलीला स्टेडियम में ही खेला जाता है. इस कमेटी के पदेन अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं. साथ ही शासन के गजट में इस रामलीला का विधान है और राज्यपाल के अनुमोदन से ही इसके सदस्य मनोनीत किए जाते हैं. जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री की भी भूमिका चिन्हित होती हैं. यह अपने आप मे अनूठी रामलीला है. जिसे विदेश के अनेकों देशों मे इंटरनेट से देखा जाता है.

विश्व विख्यात है ये रामलीला: हर साल होने वाली ऐतिहासिक श्रीरामलीला मेले कि चलित रामलीला का मंचन समूचे विश्व में विख्यात है. स्थानीय कलाकारों द्वारा मंचित होने वाली इस रामलीला में आज श्रीराम और रावण के बीच माया युद्ध का महासंग्राम करते हुए 40 फुट ऊंचे रावण का दहन किया गया. जिसमें विदिशा, भोपाल और राघौगढ़ के कलाकारों के बीच आकर्षक आतिशबाजी मुकाबला भी देखने को मिला. लगभग 8 घंटे तक श्रीराम का लंकाधिपति रावण से युद्ध हुआ और अंततः रात 12 बजे के लगभग ऐतिहासिक रावण बध हुआ. जिसे देखने के लिए करीब 40 हजार श्रद्धालु पहुंचे थे. वहीं रामलीला क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर व्यापक पुलिस सुरक्षा की गई थी, इस दौरान नौ देवियों की झांकियां विशेष आकर्षण का केंद्र थी. मेला समिति के अध्यक्ष कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने भी इसे अनूठा और ऐतिहासिक बताया. आकर्षक आतिशबाजी में रावण के आंख से निकलती ज्वाला नाभि में घूमता चक्र और माया युद्ध, विशालकाय रावण की लीला वाकई देखते बनती थी. 14 जनवरी से 9 फरवरी तक चलने वाली रामलीला और यहां का मेला और मेले में विद्युत सज्जा और देश भर से आए झूले खेल-तमाशे यहां विशेष आकर्षण पैदा कर रहे थे.

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122 वर्ष हुए पूरे: सह प्रधान संचालक डॉ सुधांशु मिश्रा ने बताया कि यह रामलीला विशेष है क्योंकि भारत वर्ष में केवल दो ही रामलीला है जो कि चलित रूप में होती है. पहली रामनगर बनारस में और दूसरी विदिशा की रामलीला में रामनगर की जो रामलीला है, उसमें आज भी पारंपरिक रूप से जैसे पहले होती थी, आज से 200 साल पहले वैसे ही होती है, लेकिन विदिशा में समय के हिसाब से परिवर्तन हुए, इसमें आधुनिकता लाई गई है. विदिशा की रामलीला को 122 वर्ष पूर्ण हो गए हैं. 122वें वर्ष में रावण का वध हुआ. रावण का दहन हुआ आतिशबाजी हुई और चलित रूप में होने के कारण इसका विशेष महत्व ज्यादा है.

मंत्री सारंग भी पहुंचे: इसमें आसपास के विदिशा क्षेत्र से तो लोग आते ही हैं. साथ में भोपाल से खासतौर से प्रभारी मंत्री विदिशा के विश्वास सारंग, माहपौर मालती राय एवं अनेक पार्षद मौजूद रहे. विश्वास सारंग प्रतिवर्ष यहां पर आते हैं. अभी 10 दिन पूर्व की बात है, 129 देशों में हमारी रामलीला को देखा गया है. पूर्व का इसका इतिहास अगर देखें तो पूर्व राष्ट्रपति जो कि अब नहीं है. पंडित शंकर दयाल शर्मा वह यहां पात्र बने हैं.

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