विदिशा। जब देश में ग्राम पंचायतों को डिजटल किया जा रहा है, दावा किया जाता है कि गांव सुविधा संपन्न हो गए हैं, ऐसे में विदिशा जिले की नटेरन तहसील का एक गांव है, जहां पंचायत भवन के लिए ही रोड नहीं है, ग्राम प्रधान और सचिव भी दलदल भरे रास्ते से होकर पंचायत भवन जाते हैं.
महज दो हजार की आबादी वाला रावण गांव आजादी के सात दशक बाद भी सड़क नाली जैसी मूल भूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा है. सालों पुरानी सड़कें पगडंडियों में तब्दील हो गई हैं और जिन्हें हाल ही में बनाया गया वो गढ्ढो में नजर आ रही हैं. ऐसा भी नहीं है कि यह अकेला ऐसा गांव है, जिले में कई गांवों के हालात ऐसे ही हैं.
गांव वाले बताते हैं कि गांव का आगनवाड़ी केंद्र भी पूरी तरह कीचड़ की गिरफ्त में आ गया है, जिससे होकर ही नन्हें बच्चों को जाना पड़ता है. सरपंच से लेकर जिला मुख्यालय तक कई बार शिकायत की गई पर समस्या का निदान नहीं हो सका. बता दें ये वही पंचायत है जहां कुछ दिन पहले पानी भर जाने से कुछ बच्चे स्कूल में कैद हो गए थे.