उमरिया। झमाझम बारिश से आई बाढ़ ने एक तरफ मालवा अंचल में मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है. इससे सबक लेते हुए विंध्य क्षेत्र में जोहिला डैम में लगातार गेट को खोलकर डैम के जलस्तर को सामान्य बनाए रखने की कोशिश की जा रही है. अभी तक 25 बार डैम के गेट खोले जा चुके हैं. राहत की खबर ये है कि डैम के निचले इलाकों में स्थितियां सामान्य बनी हुई हैं. यहां पानी छोड़ने से बाढ़ जैसे हालत नहीं बने हैं.
अमरकंटक से उद्गम होने वाली जोहिला नदी 100 किलोमीटर का सफर तय कर यहां विराट रूप धारण कर लेती है. मैकल पर्वत श्रंखला की सुरम्य पहाड़ियों के बीच 1810 हेक्टेयर में फैले जोहिला डैम की क्षमता 171 मिलियन क्यूबिक मीटर है. डैम में 6 गेट हैं. जिनके माध्यम से इसके जलस्तर को सामान्य रखा जाता है.आगे करीब 70 किलोमीटर का सफर तय कर जोहिला, सोन नदी में मिल जाती हैं.
इस साल की तुलना में साल 2016 में बारिश ज्यादा हुई थी. लिहाजा सभी गेटों को कुल 24 मीटर तक खोला गया था. तब भी निचले क्षेत्रों में जोहिला नदी पुलों को छूते हुए ही बह रही थी. तटीय गांवों में बाढ़ की स्थिति निर्मित नहीं हुई थी.
क्षेत्र के लिए वरदान है जोहिला डैम
जोहिला डैम के सहारे चल रही संजय गांधी ताप विद्युत परियोजना के लिए जल की व्यवस्था जोहिला डैम के माध्यम से ही होती है.संजय गांधी ताप विद्युत परियोजना एमपी पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की एक ऐसी परियोजना है, जिसमें ताप एवं जल दोनों के माध्यम से बिजली बनाई जाती है. इस परियोजना में 1340 मेगावाट थर्मल और 20 मेगावाट हाइडल के माध्यम से बिजली का उत्पादन होता है.