सीधी। लोगों को सजने संवरने के लिए हजामत कराना पड़ता है, ताकि वह सभ्य समाज में अपना वजूद बना सकें. लोगों की हजामत कर अपनी रोजी रोटी चलाने वाले हेयर ड्रेसर इसी व्यवसाय पर निर्भर होकर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं, लेकिन कुछ माह से कोरोना का कहर इन लोगों पर ऐसी आफत बनकर सामने आया है, जिससे इनकी कमर ही टूट गई है.
इन सैलून चलाने वाले नाईयों ने अपना दर्द ईटीवी भारत से साझा करते हुए बताया कि लॉक डाउन के पहले अच्छी खासी जिंदगी चल रही थी. लेकिन कोरोना ने इन्हें तबाह कर रख दिया है, हालात यह है कि दिन दिन भर टकटकी लगाकर ग्राहकों का इंतजार करना पड़ रहा है.
दो वक्त की रोटी की जुगाड़ मुश्किल
कारीगरों की मजदूरी, दुकान का किराया, बिजली बिल निकलना तो दूर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मशक्कत के बाद निकालनी पड़ रही है. एक ओर जहां मोदी सरकार दावा करती है कि मकान या दुकान मालिक किराए के लिए दवाब नहीं बनाएंगे, लेकिन हर महीने किराया वसूल लिया जाता है. जिससे इनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
परिवार का गुजारा मुश्किल
लॉकडाउन की मार झेल रहे इन हजामत करने वाले व्यवसायी के सामने परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है. बड़ी दुकानों में कोरोना वायरस की सुरक्षा के लिए सैनिटाइजर के साथ अन्य सुविधाएं रहती हैं, लेकिन फुटपाथ पर कुर्सी टेबल लगाकर हजामत करने वाले नाईयों के पास वो भी नहीं रहता. जिससे एक दो ग्राहक आते भी हैं, तो सैनिटाइजर न होने से उन्हें भी डर रहता है, जिससे इनके लिए मुसीबत बनता है.
सैकड़ों हजाम बेरोजगार
इन छोटे व्यवसायियों के लिए लॉकडाउन मुसीबत का सबब बनता जा रहा है, लॉकडाउन के पहले अच्छी खासी जिंदगी गुजर बसर करते थे. लेकिन पिछले पांच महीने से शहर में लगभग 178 हजामत की दुकानों में सन्नता पसरा रहता है. जिससे रोज कमाकर अपने परिवार का पेट पालने वाले नाई के सामने कोरोना कहर बनकर बरपा है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार इनकी रोजी रोटी के लिए क्या कोई कदम उठाती है.