Chaitra Pradosh Vrat 2023: वैसे तो प्रदोष व्रत बहुत सारी महिलाएं करती हैं त्रयोदशी के प्रदोष व्रत को बहुत खास माना गया है लेकिन त्रयोदशी प्रदोष व्रत के बारे में आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसके बारे में जानने के बाद इस व्रत को लेकर आप भी बहुत गंभीर हो जाएंगे, इस दिन हर कोई व्रत करना चाहेगा, आखिर प्रदोष व्रत होता क्या है, और किस माह में प्रदोष व्रत करने से विशेष लाभ होता है, किस तरह से इसमें पूजा करनी चाहिए, जिससे विशेष पुण्य होगा, और प्रदोष व्रत में ऐसा क्या करना चाहिए जब भागवत सुनने के बराबर लाभ मिले, जानिए ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री से.
प्रदोष व्रत करने से क्या लाभ होता है: ज्योतिष आचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "द्वादशी पर जब त्रयोदश्या तिथि आ जाती है, तो उसी संधिकाल को प्रदोष व्रत कहा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन शिव-पार्वती का विशेष दिन होता है, जो प्रदोष व्रत के दिन व्रत करते हैं, शिव जी को स्नान पूजन कराते हैं, बेलपत्र चढ़ाते हैं, तो शास्त्रों में लिखा है कि 'त्रियोदशी व्रत करे हमेशा, ताके तन नहीं रहय कलेशा' यानी जो भक्त प्रदोष व्रत के दिन व्रत करता है उसके घर में कोई संकट नहीं आ सकता है, जो शिवजी की उस दिन पूजा करते हैं, अगर किसी कारण वस कोई कष्ट है, कोई परेशानी है किसी के भाग्य में संतान नहीं है, संतान है लेकिन दुष्ट प्रवृत्ति का हो गया है, तो शिवजी का व्रत करने से इस में शांति मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है और संतान में सुधार होता है, बुद्धि का प्रखर तेज बढ़ता है, आयु बढ़ती है, घर में लोग निरोगी रहते हैं और सुख शांति बनी रहती है."
भागवत कथा के बराबर मिलता है पुण्य: ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "हर महीने 2 प्रदोष तेरस आती हैं, अगर दोनों व्रत नहीं कर सकते हैं तो शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी प्रदोष तेरस को जो व्रत करते हैं अगर साल भर यह व्रत कर लिए तो उन्हें भागवत कथा सुनने के बराबर महत्व मिलता है. फल मिलता है, घर में शांति होती है, संतान की प्राप्ति होती है और उस घर में खुशियां ही खुशियां रहती हैं."
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व्रत वाले दिन ऐसे करें पूजा: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि "प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करके एक लोटा जल लें, शिव जी के ऊपर जल चढ़ाएं. फिर शिव जी को दूध से स्नान कराएं, फिर इसके बाद एक बार फिर से जल डालें और त्रिपुंड चंदन लगाएं. इसके बाद भगवान को फूल, बेलपत्र चढ़ाए, चावल चढ़ाए. शास्त्रों में लिखा है कि चावल टूटा फूटा नहीं होना चाहिए, एक-एक दाना साबूत दाना चढ़ाएं, फिर चाहे 2 हो या फिर 10 दाना हो. बाद में आरती करें और अपने विचार भगवान के सामने रखें. अपने मन के विचार अगर आप भगवान के सामने ना भी रखें तो भी भगवान भोले इतने प्रबल होते हैं, इतने भोले होते हैं कि भक्त के भाव को समझ कर उसको पूरा फल दे देते हैं और यह प्रमाणित भी हैं जो श्रद्धा भाव से प्रदोष तेरस का व्रत करते हैं इस तरह से पूजन करते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है."
19 मार्च को प्रदोष व्रत: इस बार प्रदोष व्रत 19 मार्च दिन रविवार को है, साल भर में 24 प्रदोष व्रत त्रयोदशी आती हैं उसमें से सबसे उत्तम माह है- वैशाख का, सावन का और कार्तिक महीने का, लेकिन किसी भी महीने में शुक्ल पक्ष में यदि ये वृत किया जाए तो पूर्ण माना जाता है और सुख समृद्धि होती है.
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त: चैत्र के महीन में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 मार्च को सुबह 08.07 मिनट पर शुरू होगी और 20 मार्च को सुबह 04.55 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं बात करें प्रदोष व्रत में शिव पूजा के मुहूर्त की तो 19 मार्च को शाम 06.31 मिनट से लेकर रात्रि 08.54 तक रहेगा, वहीं पूजा की 02 घंटे 23 मिनट की रहने वाली है.
कौन कर सकता है प्रदोष व्रत: प्रदोष व्रत जिन महिलाओं का विवाह हो चुका है, जिनकी उम्र 25 से लेकर 50 वर्ष के बीच में हैं, इनको तो करना ही करना चाहिए. लेकिन जिन लड़कियों का विवाह नहीं हुआ है, वे व्रत करें साथ में गौरी शिव जी की पूजन करें तो मनोवांछित वर की उन्हें प्राप्ति होती है. इसके अलावा जिनका विवाह हो चुका है, संतान की उत्पत्ति नहीं हो रही है, किसी कारण वस विलंब हो रहा है ऐसी भी महिलाएं अगर प्रदोष व्रत करें, शिव पार्वती जी की पूजा करें तो तुरंत उन्हें सफलता मिलती है और उत्तम संतान की प्राप्ति होती है.