ETV Bharat / state

विदेशी कारीगर यहां बनाते हैं हड़प्पा संस्कृति की कलाकृतियां, भारत में है ऐसा सिर्फ एक स्टूडियो

देशभर में ऐसा एकमात्र स्टूडियो है जहां विदेशी कलाकार आकर हड़प्पा संस्कृतियों को दर्शाती कलाकृतियां बनाते हैं.

स्टूडियो में रखी कलाकृतियां
author img

By

Published : Jun 9, 2019, 9:01 PM IST

सतना। मैहर में बने स्टूडियो में विदेशी कलाकार हड़प्पा संस्कृति के बर्तन, मूर्तियां और साज सज्जा का सामान बनाते हैं. ये स्टूडियो भारत में एक ही है जिसकी संचालिका अंबिका बेरी को राष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण अवार्ड से सम्मानित भी किया है.

स्टूडियो में रखी कलाकृतियां

इस स्टूडियो में विदेशी कलाकर अपनी अभिव्यक्ति से तरह-तरह की मूर्तियां और कलाकृतियां बनाते हैं. इन मनमोहक और रोचक कलाकृतियों में कई संस्कृतियों का समागम दिखाई देता है. इन कलाकृतियों को बनाने के लिए किसी भी तरह के सांचों का इस्तेमाल नहीं होता है. स्टूडियो में क्ले (मिट्टी), लकड़ी, पत्थर, मोम, आयरन, तांबा, पीतल का संग्रह रहता है, ताकि कलाकार अपनी पसंद से धातु का चुनाव कर सके. भारत के अलावा कोरिया, जापान, अमेरिका और इंग्लैण्ड के कलाकार इस स्टूडियो में अपनी कला को बिखेर रहे हैं.

स्टूडियो में खासकर हड़प्पा संस्कृति को दर्शाती कलाकृतियों को बनाया जाता है, जिसका इतिहास 1939 से कोरिया, जापान, चीन से बताया जाता है.

सतना। मैहर में बने स्टूडियो में विदेशी कलाकार हड़प्पा संस्कृति के बर्तन, मूर्तियां और साज सज्जा का सामान बनाते हैं. ये स्टूडियो भारत में एक ही है जिसकी संचालिका अंबिका बेरी को राष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण अवार्ड से सम्मानित भी किया है.

स्टूडियो में रखी कलाकृतियां

इस स्टूडियो में विदेशी कलाकर अपनी अभिव्यक्ति से तरह-तरह की मूर्तियां और कलाकृतियां बनाते हैं. इन मनमोहक और रोचक कलाकृतियों में कई संस्कृतियों का समागम दिखाई देता है. इन कलाकृतियों को बनाने के लिए किसी भी तरह के सांचों का इस्तेमाल नहीं होता है. स्टूडियो में क्ले (मिट्टी), लकड़ी, पत्थर, मोम, आयरन, तांबा, पीतल का संग्रह रहता है, ताकि कलाकार अपनी पसंद से धातु का चुनाव कर सके. भारत के अलावा कोरिया, जापान, अमेरिका और इंग्लैण्ड के कलाकार इस स्टूडियो में अपनी कला को बिखेर रहे हैं.

स्टूडियो में खासकर हड़प्पा संस्कृति को दर्शाती कलाकृतियों को बनाया जाता है, जिसका इतिहास 1939 से कोरिया, जापान, चीन से बताया जाता है.

Intro:एंकर इंट्रोः-मैहर मे इन विदेषी कारीगरो द्वारा हडप्पा संस्कृति के बर्तन मूर्तिया साज सज्जा की वस्तुओ को बनाकर एक स्टुडियो लगाकर रखा है इस तरह का यह रचनात्मक स्टुडियो मैहर नही अपितु पूरे भारत का पहला स्टुडियो है ! संचालिका अंबिका बेरी को महिला सशक्तिकरण अवार्ड राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित भी किया गया थाBody:Vo 1 .रूजमाना था कभी हम हाथ के बने बर्तनो. मूर्तिया एंव साज सज्जा की वस्तुओ का इस्तमाल करते थे यानी कि किसी भी कलाकृति को बनाने के लिये सॉचो को इस्तेमाल न किया जाना बस एक बार अपने मन की अभिव्यक्ति को दर्षाने के लिये कलाकृति मे लगा दिया जाये और अभिव्यक्ति को मूर्तरूप दे दिया जाए इस तरह से बनने वाली कलाकृति इस समय मैहर मे आकर्शण का केन्द्र बनी हुई है इस तरह की कलाकृति को बनाने के लिए अंबिका बेरी ने दिन रात मेहनत कर इस स्टुडियो के लिए क्ले (मिट्टी),लकडी,पत्थर,मोम,आयरन,तांबा,पीतल का संग्रह कर कलाकृतियो को बनवाया जा रहा है जिसमे भारत के कलाकारो के अलावा कोरिया,जापान,अमेरिका एंव इग्ंलैन्ड से कलाकार आकर अपनी कला का प्रदर्षन कर रहे है और एक से एक कलाकृतियो का सृजन कर रहे है

बाइट1 -ः अंबिका बेरी - सेरेमैक्स इचौल आर्ट गैलरी - संचालक मैहर

Vo 2ः- वैसे तो भारत वर्श मे इसका इतिहास हडप्पा कालीन संस्कृति मिलता जुलता है हडप्पा कालीन संस्कृति मे बर्तन,मूर्तिया,साज सज्जा की कलाकृतिया टेराकोटा से बनाई जाती थी परंतु यहा पर टेराकोटा उपलब्ध ना होने के कारण क्ले (मिट्टी को पकाकर) बनाई जाती है मिट्टी को आकृति देने के बाद इसे भट्टी मे एक निष्चित तापमान पर रखा जाता है फिर उसमे रंग लगाकर चमक प्रदान की जाती है तब कही जा कर कलाकृतिया अपने मूलरूप मे दिखाई देती है इसका इसका इतिहास हडप्पा कालीन संस्कृति से है किंतु मिषीगन के एक कलाकार (हु) के द्वारा इसका इतिहास 1939 से कोरिया,जापान,चीन मे बताया !

बाइट2 -ः हु - सेरेमैक कलाकार - मिषीगन अमेरिका

Vo 3 .रू भारत में भी इसका इतिहास हें इस विधा के एक मात्र कलाकार सरदार गुरूचरण िंसंह थे जो कि कोरिया में जाकर बस गये थे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गॉधी ने उन्हे वापस भारत बुलाया गया और चण्डीगढ व दिल्ली में जमीन प्रदान की गई और इस कला को फैलाने के लिये प्रोत्साहित किया गया इस तरह बर्तनो. मूर्तिया एंव साज सज्जा की कलाकृति को बनाने का एक स्टुडियो भारत में स्थापित हुआ लेकिन मैहर में क्ले (मिट्टी),लकडी,पत्थर,मोम,आयरन,तांबा,पीतल से कलाकृतियॉ बनाई जाती हैं पूरे भारत में सिर्फ मैहर में ही क्ले (मिट्टी),लकडी,पत्थर,मोम,आयरन,तांबा,पीतल से कलाकृतियॉ बनाई जाती हैं इस आर्ट एवं क्राफ्ट को ”संस्कार सेरेमैक्स “का नाम दिया गया !

बाइट3-ः अदिती बनर्जी - सेरेमैक कलाकार - कोलकाता

Vo 4 - ईचौल आर्ट की संचालिका अंबिका बेरी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित भी किया गया था यह मेहर ही नहीं पूरे देश के लिए गौरव की बात है कि इस छोटे से शहर में उन्होंने विदेश ही नहीं भारत के लोगों को भी इस पर रुचि लाने की कोशिश की हैConclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.