ढाका: ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने सोमवार (25 नवंबर, 2024) को बांग्लादेश में वैष्णव नेता और इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के एक समय के सदस्य चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया. वह ढाका के शाहबाग इलाके में रह रहे थे. इस गिरफ्तारी के बाद शाहबाग और चटगांव में उनकी रिहाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.
पुलिस ने बताया कि 26 नवंबर को चिन्मय कृष्ण दास के वकील सहायक सरकारी वकील सैफुल इस्लाम की सुरक्षाकर्मियों और हिंदू नेता के अनुयायियों के बीच झड़प के दौरान हत्या कर दी गई. इससे पहले चटगांव की एक अदालत ने चिन्मय को जमानत देने से इनकार करते हुए जेल भेज दिया. अदालत में पेशी के दौरान हुई हिंसा के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर, छात्र लीग से जुड़े कम से कम छह लोगों को गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार छात्र शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की छात्र शाखा से जुड़े हुए हैं.
उसी दिन, विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा दास की गिरफ्तारी और जमानत नहीं मिलने पर घटना को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया. इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने वाली घटनाओं पर 'गहरी चिंता' व्यक्त की. इसे लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच वाकयुद्ध सा छिड़ गया है.
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से 'हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने' का आह्वान किया है. बांग्लादेश ने विदेश मंत्रालय के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहा है और इसका असर दोनों पड़ोसियों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों पर पड़ सकता है.
चिन्मय कृष्ण दास कौन हैं?
चिन्मय कृष्ण दास, जिन्हें चंदन कुमार धर के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश में वैष्णवों के लिए एक प्रमुख केंद्र चटगांव पुंडरीक धाम का नेतृत्व करने वाले एक सन्यासी हैं. वे बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोते नाम के एक सनातनी संगठन के प्रवक्ता भी हैं. द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दास हाल ही में निष्कासित होने से पहले तक इस्कॉन के सदस्य थे.
दास के बांग्लादेश में काफी समर्थक हैं. वह नियमित रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की वकालत करते रहे हैं. वह 5 अगस्त, 2024 को शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में सवाल उठाते रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में भी उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता प्रो. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं पर कम से कम 3,000 हमलों को रोकने में विफल रही है. दास ने बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए आठ-सूत्रीय मांगों को लागू करने की वकालत की है.
क्या है चिन्मय कृष्ण दास की मांग
- अल्पसंख्यक उत्पीड़न के मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण की स्थापना
- अल्पसंख्यक संरक्षण कानून का अधिनियमन
- अल्पसंख्यक मामलों के लिए मंत्रालय का निर्माण
- मंदिर की संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने और उनकी सुरक्षा के लिए कानून और निहित संपत्ति अधिनियम का प्रवर्तन
- शैक्षणिक संस्थानों में प्रार्थना कक्ष
- संस्कृत और पाली शिक्षा बोर्डों का आधुनिकीकरण
- बंगाली हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार दुर्गा पूजा के लिए पांच दिवसीय सार्वजनिक अवकाश की घोषणा
पुंडरीक धाम बांग्लादेश में इस्कॉन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है, जहां समाज की महत्वपूर्ण उपस्थिति है. जबकि इसका मुख्यालय गंडारिया, ढाका में स्थित है, इसके देश भर में मंदिर हैं - ढाका, मैमनसिंह, राजशाही, रंगपुर, खुलना, बरिशाल, चटगांव और सिलहट में. हर साल, यह वैष्णव परंपरा में महत्वपूर्ण त्योहारों, जैसे जन्माष्टमी और खेतुरी त्योहार के लिए समारोह आयोजित करता है.
इस्कॉन ऐतिहासिक रूप से कई विवादों का विषय रहा है, जिसमें महिलाओं के प्रति घृणा, यौन शोषण और उत्पीड़न, रैकेट चलाने और एक मामले में हत्या की साजिश के आरोप शामिल हैं. इसे कई छोटे-मोटे उल्लंघनों के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा है. हाल ही में, भारत में इस्कॉन के एक नेता अमोघ लीला दास स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के खिलाफ अपनी टिप्पणियों के लिए आलोचनाओं के घेरे में आ गए. फिर भी बांग्लादेश में हुई गिरफ्तारी एक दुर्लभ उदाहरण है, जहां संगठन से जुड़े किसी व्यक्ति को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
दास को क्यों गिरफ्तार किया गया? ढाका पुलिस के अनुसार, दास को चटगांव के पूर्व बीएनपी नेता फिरोज खान की ओर से उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद गिरफ्तार किया गया है. उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने और कुछ अन्य लोगों ने चटगांव में हिंदू समुदाय द्वारा 25 अक्टूबर को आयोजित रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया था. खान को बाद में कथित तौर पर पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बीएनपी से निष्कासित कर दिया गया. दास के साथ, शिकायत में 18 अन्य लोगों का भी उल्लेख किया गया है. दो अन्य लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि दास को सोमवार दोपहर को चटगांव जाते समय ढाका के शाह जलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था.
बांग्लादेशी अखबार, द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार कुछ सादे कपड़ों में कुछ लोगों ने खुद को जासूसी शाखा के सदस्य के रूप में पेश किया. चिन्मय को हवाई अड्डे के प्रवेश द्वार से उठा लिया गया. उनकी गिरफ्तारी के बाद, चटगांव सहित बांग्लादेश के अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए. इस बीच, बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने देश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका स्वीकार कर ली है. बांग्लादेश में छात्र नेता, जो अंतरिम सरकार के समर्थन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, ने भी इस्कॉन पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है. छात्र समन्वयक हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि इस्कॉन अवामी लीग के एजेंट के रूप में काम कर रहा है, जो देश को अस्थिर करने का प्रयास कर रहा है.
इस्कॉन और अन्य संगठनों की प्रतिक्रिया : दास को हाल ही में इस्कॉन बांग्लादेश से निष्कासित कर दिया गया था. हालांकि, उनकी गिरफ्तारी के बाद, समाज ने दास के समर्थन में एक बयान जारी किया और सरकार से समुदायों के बीच शांति को बढ़ावा देने का आग्रह किया. इस्कॉन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि गौड़ीय वैष्णव परंपरा के भीतर एक अग्रणी सनातनी संगठन' के रूप में समाज हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और अन्य सहित अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा करने के लिए समर्पित है.
बयान में कहा गया है कि हम बांग्लादेश सम्मिलितो सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की हाल ही में हुई गिरफ्तारी पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. हम बांग्लादेश के विभिन्न क्षेत्रों में सनातनियों के खिलाफ बाद में हुई हिंसा और हमलों की भी निंदा करते हैं. हम सरकारी अधिकारियों से सनातनी समुदाय के लिए शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने का आग्रह करते हैं. इसमें आगे कहा गया कि बांग्लादेश सम्मिलितो सनातनी जागरण जोत के प्रतिनिधि और बांग्लादेशी नागरिक के रूप में, चिन्मय कृष्ण दास देश में अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा के लिए मुखर प्रवक्ता रहे हैं. उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को बनाए रखना और दूसरों को इस अधिकार की रक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के उनके प्रयासों का समर्थन करना आवश्यक है. उनके लिए न्याय और निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.
अपने बयान में इस्कॉन की ओर से सरकार और संबंधित अधिकारियों के समक्ष तीन मांगें रखीं गई हैं. ये मांगे इस तरह से हैं-
- सनातनी समुदाय पर हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराना
- चिन्मय कृष्ण दास और अन्य सनातनियों के नागरिक अधिकारों की रक्षा करना
- सभी समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रभावी उपायों को लागू करना
इस्कॉन की ओर से बयान में कहा गया है कि चिन्मय कृष्ण दास और सनातनी समुदाय इस देश के नागरिक के रूप में न्याय के हकदार हैं. हम इस बात पर जोर देते हैं कि उनके खिलाफ किसी भी तरह का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. इस बीच, 27 नवंबर को इस्कॉन कोलकाता ने कहा कि उसने बांग्लादेश में अपने भिक्षुओं और अन्य हिंदू वैष्णवों को बार-बार निशाना बनाए जाने के बारे में केंद्र से बात की है. इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को बांग्लादेश में इस्कॉन सदस्यों के साथ-साथ अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर जारी हमलों का नवीनतम उदाहरण बताया.
उन्होंने कहा कि इस्कॉन और रामकृष्ण मिशन जैसे अन्य हिंदू धार्मिक आदेशों के खिलाफ इस्लामवादियों की ओर से गिरफ्तारी और बढ़ती धमकियां पिछले तीन महीनों से चल रही थीं. दास की गिरफ्तारी अब तक की आखिरी घटना थी. स्थिति चिंताजनक है और हमने विदेश मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय से ऐसे हमलों के तहत लोगों के जीवन और संपत्तियों को बचाने और उनकी रक्षा करने के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह किया है.
भारत के राजनेताओं ने भी सरकार से पड़ोसी देश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है. वायनाड से नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी ने भारत सरकार से 'हस्तक्षेप' करने और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी चिंता व्यक्त की. हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि वह इस मामले पर टिप्पणी नहीं करना चाहतीं क्योंकि यह दूसरे देश से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस मामले में केंद्र के फैसले का पालन करेगी. कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ने इस मुद्दे पर इस्कॉन के प्रतिनिधियों से बात की है. हालांकि, उनमें इस बात की जानकारी नहीं है कि ममता बनर्जी और इस्कॉन के प्रतिनिधियों के बीच क्या बातचीत हुई है.
बांग्लादेश में हिंदू विरोधी प्रदर्शनों को लेकर क्या दावे किए जा रहे हैं?
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने और 5 अगस्त, 2024 को उनके देश छोड़ देने के बाद उनकी पार्टी अवामी लीग के समर्थकों को प्रदर्शनकारियों द्वारा निशाना बनाए जाने के कई मामले सामने आए. बांग्लादेश में कई हिंदुओं ने कथित तौर पर अवामी लीग का भी समर्थन किया है. हालांकि इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि विरोध प्रदर्शन स्पष्ट रूप से हिंदू विरोधी हैं या नहीं, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं ने सुरक्षा की मांग को लेकर रैलियां की हैं. उदाहरण के लिए, 1 नवंबर, 2024 को चटगांव में लगभग 30,000 हिंदुओं ने अंतरिम सरकार से हमलों और उत्पीड़न से उनकी रक्षा करने और हिंदू समुदाय के नेताओं के खिलाफ राजद्रोह के मामलों को वापस लेने की मांग की.
देश के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हुए. बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ कथित अत्याचारों के विरोध में भारत में भी हिंदू संगठनों द्वारा रैलियां की गई हैं. 16 अगस्त को भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज और जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी. पंडित ने इस मुद्दे पर विरोध मार्च में हिस्सा लिया. यह मार्च आरएसएस से जुड़े नारी शक्ति फोरम के बैनर तले आयोजित किया गया था.
इस बीच, अंतरिम सरकार के नेता प्रोफेसर यूनुस ने कहा है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले सांप्रदायिक मुद्दे से ज्यादा राजनीतिक मुद्दा है. बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और उनकी आबादी कुल आबादी का 8% है. देश की 91% आबादी मुस्लिम है.