सागर। जैव विविधता के लिए मशहूर नौरादेही अभयारण्य सागर, दमोह, नरसिंहपुर जिलों में फैला हुआ प्राकृतिक दृष्टि से एक अत्यंत मनोरम स्थल है. गुरुवार को नौरादेही ईको सेंसिटिव जोन के तहत निगरानी समिति की बैठक में समिति के अध्यक्ष सागर कमिश्नर मुकेश शुक्ला की मौजूदगी में हुई. उन्होंने ईको सेंसेटिव जोन के मास्टर प्लान की तैयारियों का जायजा लिया. कमिश्नर ने कहा कि अभ्यारण्य की एक किमी की सीमा से लगे इलाके को ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है. पहली बार ईको सेंसेटिव जोन का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है.
दायरे में आने वाले गांवों पर भी ध्यान देने की जरूरत : कमिश्नर ने कहा कि मास्टर प्लान में जोन में आने वाले 80 गांवों की बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखा जाए, लेकिन इन गतिविधियों का असर अभ्यारण्य की जैव विविधता, वनस्पति, जीव - जंतु और पर्यावरण पर ना पड़े. उन्होंने कहा कि अभ्यारण्य की बर्ड वाचिंग साइट अद्भुत है. यहां कई प्रकार के दुर्लभ पक्षी देखने मिलते हैं. अभ्यारण्य की इस विशेषता को और अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता है. यहां विभिन्न प्रकार के फ्लोरा और फौना के संरक्षण तथा संवर्धन के साथ ही टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्य किएा जा रहे हैं.
निगरानी समिति की बैठक में कई विषयों पर चर्चा : संभागायुक्त मुकेश शुक्ला ने कहा कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 2017 में जारी की गई अधिसूचना के अंतर्गत नौरादेही अभयारण्य के 1 किमी क्षेत्र को ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है. निगरानी समिति की बैठक में ईको सेंसिटिव जोन में प्रतिबंधित क्रियाकलापों, विनियमित क्रियाकलापों तथा संवर्धित क्रियाकलापों पर विस्तृत चर्चा की गई.इसके बाद समिति ने निर्णय लिया कि पारिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्र में ऐसे किसी भी प्रकार की गतिविधि को प्रतिबंधित किया जाएगा, जिससे वहां की जैव विविधता, फ्लोरा, फौना एवं पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़े.
निगरानी समिति की अनुमति के बिना नहीं होंगे विकास कार्य : उन्होंने कहा कि ईको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत तैयार किये जा रहे विस्तृत मास्टर प्लान में जो भी विकास होगा, वह निगरानी समिति की अनुमति के आधार पर ही होगा. किसी भी प्रकार के नव निर्माण एवं अन्य प्रकार के संसाधनों के लिए निगरानी समिति की अनुमति आवश्यक होगी. समिति को बताया गया कि 80 ग्रामों के विकास में सर्वप्रथम मूलभूत सुविधाएं जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, आवास, होटल, खाना, स्वल्पाहार, सड़क सहित अन्य व्यवस्थाएं की जाना प्रस्तावित हैं. कमिश्नर मुकेश शुक्ला ने कहा कि संपूर्ण ज़ोन का विकास और संरक्षण इस प्रकार से किया जाए कि पर्यावरण संरक्षण के साथ स्थानीय लोग आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें और पर्यटकों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।