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प्रदेश की पहली किन्नर महापौर कमला बुआ का निधन, रिकार्ड अंतर से जीती थी महापौर का चुनाव - पूर्व किन्नर महापौर कमला बुआ

रिकार्ड अंतर से सागर महापौर का चुनाव जीतने वाली प्रदेश की पहली किन्नर महापौर कमला बुआ का निधन हो गया है. वो लंबे समय से बीमार थी. उन्हें मोटोपे की बीमार थीं. इलाज के बाद इंफेक्शन की शिकायत के बाद उन्हें सागर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

प्रदेश की पहली किन्नर महापौर कमला बुआ का निधन
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Published : Nov 14, 2019, 11:59 PM IST

Updated : Nov 15, 2019, 12:39 AM IST

सागर। शहर की पूर्व किन्नर महापौर कमला बुआ का गुरुवार को 65 साल की उम्र में निधन हो गया. वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रही थीं. कमला बुआ मोटोपे से परेशान थीं और इलाज के बाद इंफेक्शन की शिकायत के बाद उन्हें सागर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके निधन पर बीजेपी और कांग्रेस के अलावा सागर की आवाम ने शोक व्यक्त किया है. कमला बुआ 2009 के नगर निगम के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों को भारी अंतर से हराकर देश भर के मीडिया की सुर्खियों में आई थी.

प्रदेश की पहली किन्नर महापौर कमला बुआ का निधन

विरोधियों की जमानत तक करा दी थी जब्त
2009 में हुए सागर नगर निगम चुनाव में सागर महापौर के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ कर उन्होंने विरोधियों को कड़ी टक्कर दी थी. उन्होंने बीजेपी की प्रत्याशी सुमन अहिरवार को करीब 40 हज़ार के बड़े अंतर से हराया जबकि कांग्रेस की रेखा चौधरी की जमानत राशि भी ज़प्त हो गई. सागर के लोगों बीच किन्नर कमला, कमला बुआ के तौर पर जानी जाती थीं.

किन्नर कमला का चुनाव शून्य घोषित हो गया था
भारी बहुमतों से जीतने के लिए कमला बुआ ने अपने वचन पत्र में सौ दिनों में शहर की सड़क, तालाब जैंसे मुद्दों को हल करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. जीत के कुछ वक्त बाद कमला बुआ ने बीजेपी की सदस्यता ले ली थी, लेकिन दो साल बाद सागर की जिला अदालत ने खुद को अनुसूचित जाति वर्ग से संबद्ध होना सिद्ध नहीं कर पाईं थी, जिसस कारण जिला कोर्ट ने कमला के चुनाव को शून्य घोषित कर दिया था.

इसलिए लिए ले लीं थी सन्यास
चुनाव को शून्य घोषित होने के फैसले के खिलाफ वे हाईकोर्ट भी गईं, पर वहा से भी उन्हे कोई राहत नहीं मिली. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की एकल खंडपीठ ने जिला न्यायालय के फैसले पर स्टे देने से इंकार कर दिया. इन सभी घटना क्रम के बाद किन्नर कमला ने राजनीति से लगभग सन्यास ले लिया था. अपने कार्यकाल के दौरान सागर में किन्नरों का महासम्मेलन और रैली निकालने के लिए भी वे सुर्खियों में रही.

सागर। शहर की पूर्व किन्नर महापौर कमला बुआ का गुरुवार को 65 साल की उम्र में निधन हो गया. वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रही थीं. कमला बुआ मोटोपे से परेशान थीं और इलाज के बाद इंफेक्शन की शिकायत के बाद उन्हें सागर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके निधन पर बीजेपी और कांग्रेस के अलावा सागर की आवाम ने शोक व्यक्त किया है. कमला बुआ 2009 के नगर निगम के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों को भारी अंतर से हराकर देश भर के मीडिया की सुर्खियों में आई थी.

प्रदेश की पहली किन्नर महापौर कमला बुआ का निधन

विरोधियों की जमानत तक करा दी थी जब्त
2009 में हुए सागर नगर निगम चुनाव में सागर महापौर के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ कर उन्होंने विरोधियों को कड़ी टक्कर दी थी. उन्होंने बीजेपी की प्रत्याशी सुमन अहिरवार को करीब 40 हज़ार के बड़े अंतर से हराया जबकि कांग्रेस की रेखा चौधरी की जमानत राशि भी ज़प्त हो गई. सागर के लोगों बीच किन्नर कमला, कमला बुआ के तौर पर जानी जाती थीं.

किन्नर कमला का चुनाव शून्य घोषित हो गया था
भारी बहुमतों से जीतने के लिए कमला बुआ ने अपने वचन पत्र में सौ दिनों में शहर की सड़क, तालाब जैंसे मुद्दों को हल करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. जीत के कुछ वक्त बाद कमला बुआ ने बीजेपी की सदस्यता ले ली थी, लेकिन दो साल बाद सागर की जिला अदालत ने खुद को अनुसूचित जाति वर्ग से संबद्ध होना सिद्ध नहीं कर पाईं थी, जिसस कारण जिला कोर्ट ने कमला के चुनाव को शून्य घोषित कर दिया था.

इसलिए लिए ले लीं थी सन्यास
चुनाव को शून्य घोषित होने के फैसले के खिलाफ वे हाईकोर्ट भी गईं, पर वहा से भी उन्हे कोई राहत नहीं मिली. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की एकल खंडपीठ ने जिला न्यायालय के फैसले पर स्टे देने से इंकार कर दिया. इन सभी घटना क्रम के बाद किन्नर कमला ने राजनीति से लगभग सन्यास ले लिया था. अपने कार्यकाल के दौरान सागर में किन्नरों का महासम्मेलन और रैली निकालने के लिए भी वे सुर्खियों में रही.

Intro:सागर। सन 2009 के नगर निगम के चुनाव में सागर से महापौर पद की उम्मीदवारी कर और फिर दोनों प्रमुख दलों बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों को भारी अंतर से हराकर देश भर के मीडिया की सुर्खियों में रहीं किन्नर कमला ने दुनियाँ को अलविदा कह दिया। शहर के लोगों के बीच किन्नर कमला, कमला बुआ के तौर पर जानी जाती थीं। सागर शहर में विकास की बांट जोह रही जनता ने सागर के विकास के लिए निर्दलीय प्रत्याशी कमला बुआ को भारी बहुमतों से जिताया था और उन्होने बीजेपी की प्रत्याशी सुमन अहिरवार को करीब 40 हज़ार के बड़े अंतर से हराया जबकि कांग्रेस की रेखा चौधरी की ज़मानत राशि भी ज़प्त हो गई।
दरअसल दिसंबर 2009 में हुए सागर नगर निगम चुनाव में सागर महापौर का पद अनुसूचित जाति की महिला वर्ग के लिए आरक्षित था, किन्नर कमला ने भी चुनाव चिन्ह चाबी के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा। नामांकन पत्र में खुद को अनुसूचित जाति का बताते हुए लिंग के स्थान स्त्री लिखा था।Body:शहर में सत्ता विरोधी लहर पनप रही थी और परिणाम स्वरूप सागर की जनता ने नगर की विकास की चाबी कमला बुआ को सौंप दी और वह 65 हज़ार के भारी बहुमतों से जीत गईं। कमला बुआ ने अपने वचन पत्र में सौ दिनों में शहर की सड़क, तालाब जैंसे मुद्दों को हल करने का वादा किया था लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
जीत के कुछ वक्त बात कमला बुआ ने बीजेपी की सदस्यता ले ली। लेकिन दो साल बाद सागर की जिला अदालत ने खुद को अनुसूचित जाति वर्ग से संबद्ध होना सिद्ध नहीं कर पाने की वजह से महापौर किन्नर कमला के चुनाव को शून्य घोषित कर दिया। फैसले के खिलाफ वे हाईकोर्ट भी गईं, पर वहा से भी उन्हे कोई राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की एकल खंडपीठ ने जिला न्यायालय द्वारा महापौर कमला बुआ के निर्वाचन को शून्य करने एवं चुनाव में दूसरे नंबर पर रही सुमन अहिरवार को विजयी घोषित करने के निर्णय पर स्टे देने से इंकार कर दिया, उच्च न्यायालय के फैसले के फलस्वरूप महापौर पद के लिए उपचुनाव हुए और बीजेपी की पुष्पा ओपी शिल्पी ने कांग्रेस की इंदू चौधरी को हराकर महापौर के पद को जीत लिया। इन सभी घटना क्रम के बाद किन्नर कमला ने राजनीति से लगभग सन्यास ले लिया। अपने कार्यकाल के दौरान सागर में किन्नरों का महासम्मेलन और रैली निकालने के लिए भी वे सुर्खियों में रही।

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Last Updated : Nov 15, 2019, 12:39 AM IST
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