रतलाम। बहुचर्चित पीएम आवास योजन में हुए घोटाले में रोजाना नई- नई परतें खुलती जा रही है. स्टेशन रोड़ थाना पुलिस ने निगम के अकाउंट और ऑडिट विभाग के दस्तावेजों की जांच में जुट गई है. पुलिस के मुताबिक फर्जी खातों में रुपये डालने और उसके ऑडिट का काम इन्हीं दो विभागों अधिकारियों के पास था.
मामले में टीआई राजेन्द्र वर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना में 13 अपात्र लोगों के खातों में अवैध तरीके से एक-एक लाख रुपये डाले गए. वर्मा का कहना है कि इस मामले की गहनता से जांच की जा रही है, जो भी लोग आरोपी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस घोटाले में 4 अप्रैल को गम के 2 सब इंजीनियर सुहास पंडित और महेश जैन को गिरफ्तार किया जा चुका है. अब तक इस मामले में कुल 5 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
जून 2018 प्रधानमंत्री आवास योजना में चयनित 13 हितग्राहियों के नाम बदलकर फर्जी हितग्राहियों के नाम जोड़ दिए गए, जिसके बाद पैसा फर्जी खातों में डाल दिया गया.
ऐसे हुआ था घोटाले का पर्दाफाश
जून 2018 में निगम के बहुचर्चित पीएम आवास घोटाले का खुलासा तब हुआ था जब बजरंग नगर के 13 हितग्राहियों के नाम हटाकर उनकी जगह फर्जी हितग्राहियों के नाम जोड़ दिेए गए. इसके साथ ही इन फर्जी हितग्राहियों के खातों में एक-एक लाख रुपए भी डाल कर कुल 13 लाख रुपए का गबन किया गया. जब मामला सामने आया तो स्टेशन रोड थान पुलिस ने घोटले की जांच शुरू की. अब तक सेडमैप कंपनी के कर्मचारी सहित 5 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. इस घोटले में अकाउंट और ऑडिट विभाग की भूमिका को भी पुलिस संदिग्ध मान रही है. यह जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि ऑडिट और अकाउंट् विभाग के अधिकारियों की भूमिका कितनी संदिग्ध है.