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गुरुजी की जिदः बनाया प्राइवेट स्कूल को मात देने वाला सरकारी स्कूल वो भी खुद के खर्चे पर, देखिए कैसा दिखता है ये स्कूल

पन्ना में एक शिक्षक की लगन ने जर्जर स्कूल को फिर से संवार दिया. इस स्कूल में वह सारी सुविधाएं हैं जो एक प्राइवेट स्कूल में होती हैं. शिक्षक ने स्कूल के कायाकल्प के लिए अपनी कमाई के 2 लाख रुपये लगाए हैं. (panna teacher ramlal tripathi)

government school in panna
शिक्षक की लगन से बदल गई विद्यालय की तस्वीर
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Published : Feb 25, 2022, 5:02 PM IST

पन्ना। सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही जेहन में पुरानी सी बिल्डिंग, हर तरफ पसरी गंदगी, गंदे शौचालय, आलसी शिक्षक और यहां-वहां घूमते हुए बच्चे आ जाते हैं. लेकिन मध्यप्रदेश के पन्ना में एक सरकारी स्कूल इन सबके उलट है. इस स्कूल में वह सारी सुविधाएं हैं जो एक प्राइवेट स्कूल में होती हैं. यहां पीने का साफ पानी है, शौचालय ऐसा की जैसे किसी होटल का हो. इसके अलावा एक पोषण बगिया है जिसे देखकर किसी का भी मन खुश हो जाएगा. इतना ही नहीं यहां के बच्चे पढ़ाई से लेकर हस्तलिपि में भी अन्य स्कूलों से बेहतर हैं. (panna teacher ramlal tripathi)

शिक्षक की लगन से बदल गई विद्यालय की तस्वीर

शिक्षक रामलाल त्रिपाठी की लगन से संवरा स्कूल

पन्ना जिले से 14 किलोमीटर दूर रानीपुर में यह शासकीय माध्यमिक स्कूल है. जिसकी अब तस्वीर ही बदल गई है. स्कूल में पदस्थ शिक्षक रामलाल त्रिपाठी ने अपनी मेहनत और लगन से बिखरे हुए स्कूल को पूरी तरह से संवार दिया है. जबकि आज से कुछ साल पहले इस विद्यालय का हाल भी अन्य विद्यालयों की तरह ही था. जब रामलाल त्रिपाठी की पदस्थापना हुई तो स्कूल का हाल देख उन्हें बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता हुई. उसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे स्कूल को निखारना शुरू कर दिया.

स्कूल के कायाकल्प में शिक्षक ने लगाए 2 लाख रुपये

शिक्षक रामलाल त्रिपाठी ने सबसे पहले कक्षाओं के अंदर पक्के फर्श बनवाए. इसके बाद पीने के साफ पानी की व्यवस्था की. साथ ही हाथ धोने के पानी की भी व्यवस्था की. इतना ही नहीं शौचालय में भी होटलों की तरह टाइल्स और छात्रों के प्रत्येक वाशरूम में नल की टोंटी लगवाई गई. शिक्षक रामलाल त्रिपाठी ने खुद के लगभग 2 लाख रुपये स्कूल के कायाकल्प में लगा दिए. इसके अलावा सरपंच से भी मदद ली. विभाग ने उनके इस कार्य को देखते हुए सहयोग प्रदान किया. शिक्षक की लगन और सबके सहयोग से धीरे-धीरे एक गरिमामय शिक्षण संस्थान खड़ा हो गया.

DAVV Indore: कोर्ट के निर्देश के बाद छात्रों को दूसरा मौका, परीक्षा में शामिल नहीं हो सके छात्र फिर दे सकेंगे एग्जाम

हर मामले में अन्य स्कूलों से बेहतर हैं यहां के बच्चे

शिक्षक की मानें तो बच्चे पढ़ाई से लेकर हस्तलिपि में भी अन्य स्कूलों से बेहतर हैं. कोंदर समुदाय बाहुल्य गांव का समुदाय भी शिक्षा को लेकर सजग और सक्रिय है. समुदाय के लोग शिक्षक का बहुत सहयोग करते हैं. स्कूल में एक पोषण बाड़ी भी बनाई गई है जिसकी देखरेख खुद शिक्षक और समूह की महिलाएं करती हैं. आमतौर पर ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब कोई शिक्षक विद्या के मंदिर को इतनी लगन से संवारे. रामलाल त्रिपाठी ने ऐसा कर दिखाया.

पन्ना। सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही जेहन में पुरानी सी बिल्डिंग, हर तरफ पसरी गंदगी, गंदे शौचालय, आलसी शिक्षक और यहां-वहां घूमते हुए बच्चे आ जाते हैं. लेकिन मध्यप्रदेश के पन्ना में एक सरकारी स्कूल इन सबके उलट है. इस स्कूल में वह सारी सुविधाएं हैं जो एक प्राइवेट स्कूल में होती हैं. यहां पीने का साफ पानी है, शौचालय ऐसा की जैसे किसी होटल का हो. इसके अलावा एक पोषण बगिया है जिसे देखकर किसी का भी मन खुश हो जाएगा. इतना ही नहीं यहां के बच्चे पढ़ाई से लेकर हस्तलिपि में भी अन्य स्कूलों से बेहतर हैं. (panna teacher ramlal tripathi)

शिक्षक की लगन से बदल गई विद्यालय की तस्वीर

शिक्षक रामलाल त्रिपाठी की लगन से संवरा स्कूल

पन्ना जिले से 14 किलोमीटर दूर रानीपुर में यह शासकीय माध्यमिक स्कूल है. जिसकी अब तस्वीर ही बदल गई है. स्कूल में पदस्थ शिक्षक रामलाल त्रिपाठी ने अपनी मेहनत और लगन से बिखरे हुए स्कूल को पूरी तरह से संवार दिया है. जबकि आज से कुछ साल पहले इस विद्यालय का हाल भी अन्य विद्यालयों की तरह ही था. जब रामलाल त्रिपाठी की पदस्थापना हुई तो स्कूल का हाल देख उन्हें बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता हुई. उसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे स्कूल को निखारना शुरू कर दिया.

स्कूल के कायाकल्प में शिक्षक ने लगाए 2 लाख रुपये

शिक्षक रामलाल त्रिपाठी ने सबसे पहले कक्षाओं के अंदर पक्के फर्श बनवाए. इसके बाद पीने के साफ पानी की व्यवस्था की. साथ ही हाथ धोने के पानी की भी व्यवस्था की. इतना ही नहीं शौचालय में भी होटलों की तरह टाइल्स और छात्रों के प्रत्येक वाशरूम में नल की टोंटी लगवाई गई. शिक्षक रामलाल त्रिपाठी ने खुद के लगभग 2 लाख रुपये स्कूल के कायाकल्प में लगा दिए. इसके अलावा सरपंच से भी मदद ली. विभाग ने उनके इस कार्य को देखते हुए सहयोग प्रदान किया. शिक्षक की लगन और सबके सहयोग से धीरे-धीरे एक गरिमामय शिक्षण संस्थान खड़ा हो गया.

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हर मामले में अन्य स्कूलों से बेहतर हैं यहां के बच्चे

शिक्षक की मानें तो बच्चे पढ़ाई से लेकर हस्तलिपि में भी अन्य स्कूलों से बेहतर हैं. कोंदर समुदाय बाहुल्य गांव का समुदाय भी शिक्षा को लेकर सजग और सक्रिय है. समुदाय के लोग शिक्षक का बहुत सहयोग करते हैं. स्कूल में एक पोषण बाड़ी भी बनाई गई है जिसकी देखरेख खुद शिक्षक और समूह की महिलाएं करती हैं. आमतौर पर ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब कोई शिक्षक विद्या के मंदिर को इतनी लगन से संवारे. रामलाल त्रिपाठी ने ऐसा कर दिखाया.

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