पन्ना। देश आगे बढ़ रहा है, आधुनिकता की ऊंचाइयों को छू रहा है. युवा डिजिटिल हो रहा है. लेकिन ये सब शायद शहरी रहवासियों की हकीकत है. ग्रामीण तो आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए दूसरों की राह देख रहे हैं, ऐसे में आधुनिकता और डिजिटल दूर की बात है. पवई तहसील मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत पिपरिया दौन के ग्राम घेरी खेड़ा मजरा टोला में आज भी ग्रामीण बिजली के लिए मोहताज हैं. गांव में बिजली नहीं होने की वजह से ग्रामीण और भी कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. प्रदेश सरकार ने हर घर बिजली के लिए अटल ज्योति योजना शुरू तो की है, लेकिन ये योजना पूरी तरह फ्लाप है.
पन्ना के घेरी खेड़ा मजरा टोला गांव के ग्रामीण आशा की रोशनी का इंतजार कर रहे हैं. ब्राह्मण, यादव और आदिवासी समाज के करीब 250 लोगों की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर लोग किसानी करते हैं, जिन्हें बिजली सप्लाई नहीं होने की वजह से किसानी के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा गांव में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल तो हैं, लेकिन अंधेरे में बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.
नहीं है सड़क
सालों से अंधेरे में जी रहा पवई तहसील का ये गांव आधुनिकता के दौर में सदियों पुराने हालातों में जी रहा है. गांव में बिजली नहीं होने से ग्रामीणों को गांव से पांच किलोमीटर दूर गेहूं पिसवाने के लिए जाना पड़ता है. इस दौरान रास्ते में एक नाला भी पड़ता है. बरसात के दिनों में ये मार्ग भी बंद हो जाता है, तब खाने के लिए भी ग्रामीणों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है.
आधुनिकता से कोसों दूर
बिजली नहीं होने से गांव में टीवी, पंखा, मोबाइल जैसे किसी भी तरह के विद्युत उपकरण नहीं चलते हैं, जिस वजह से ग्रामीण आज भी पुरातन जीवन जीने के लिए विवश हैं. उनका विकास अवरुद्ध हो रहा है. बिजली के बिना उनका संबंध आधुनिक जनजीवन से कट गया है. वहीं बरसात के दिनों में अंधेरे में जंगली जानवरों, विषैले कीड़े मकोड़ों का खतरा बना रहता है.
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प्रदेश सरकार ग्रामीणों को बिजली देने के लिए संकल्पित है, एक गांव ऐसा भी है जो अंधेरे में डूबा हुआ है. बिजली नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बिजली नहीं होने से ग्रामीण आक्रोशित हैं, बार-बार कहने पर भी अब तक उनके दर्द पर कोई अमल करने वाला नहीं है.