मुरैना। कृषि उपज मंडी में हर रोज किसानों को अपनी फसल के उचित दामों के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है. हालात ये हैं कि चार-पांच दिनों से किसान मंडी में अपनी फसल को लेकर पड़ा हुआ है. पर जब उसकी फसल की तौल होने की बारी आती है तो व्यापारी अचानक से फसल के दामों में एक हजार रुपये तक की कमी कर देते हैं. हाल ही में जब ऐसा हुआ तो किसानों ने विरोध किया, जिस पर प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और समझाने के बाद तुलाई उसी रेट में शुरू हो सकी. किसानों का आरोप है कि जैसे ही सरसों की अधिक ट्रॉलियां आती हैं तो व्यापारी मनमर्जी से भाव कम कर देते हैं. कांग्रेस व्यापारियों के साथ सरकार की मिली भगत का आरोप लगा रही है. वहीं बीजेपी इस मामले में शिकायत पर जांच कर कार्रवाई की बात कह रही है.
किसानों के हीं मिल रहा सही दाम
किसानों को उनकी फसल के दाम जब उचित नहीं मिलते तो उसका हंगामा करना जायज भी होता है. आठ दिन पहले जब पहली बार हंगामा हुआ तो व्यापारियों ने बैंक बंद होने का हवाला देते हुए फिर से दाम बढ़ाकर सरसों की खरीद की पर अब हर रोज यही हो रहा है, जिसके चलते किसानों को फसल के दाम नहीं मिल रहे हैं. किसानों का कहना है कि कृषि मंडी में हर रोज सरसों की बोली को लेकर विवाद हो रहा है. जहां सरसों का भाव 5300 से लेकर 5500 तक गया है, लेकिन व्यापारी अपनी मनमर्जी से सरसों का भाव 4400 से लेकर 4600 तक का भाव लगा रहे हैं. किसान को तो हर तरह से मरना होता है. किसान प्राकतिक आपदा से जूझ रहा है.
तुलाई केंद्रों पर भाजपा के लोगों की सांठगांठ ओर हिस्सेदारी
कृषि उपज मंडी में आये दिन किसानों के हंगामे के बाद व्यापारियों के साथ प्रशासन और सरकार की मिलीभगत का आरोप कांग्रेस लगा रही है. किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुर्जर का कहना है कि शिवराज सरकार जिस तरह से बोल रही है कि किसानों को फसलों के दाम चौगने दिलवाऊंगा. भाजपा के लोग तुलाई केंद्रों में सांठगांठ और हिस्सेदारी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसानों की हक की लड़ाई मुरैना सहित पूरे मध्यप्रदेश में लड़ेगी.
'कृषि मंत्री के गृह जिले में किसानों को लूटा जा रहा'
मुरैना कृषि उपजमंडी में आये-दिन फसलों के भाव को लेकर हो रहे हंगामे पर किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि दुर्भाग्य कैसा है कि हिंदुस्तान के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गृह जिला मुरैना है. उनका लोकसभा क्षेत्र जिला मुरैना है और उनकी नाक के नीचे गरीब किसानों को लूटने का काम मुरैना जिले के अंदर किसान भाइयों के साथ किया जा रहा है.
किसानों के साथ है सरकारः भाजपा
बीजेपी के जिला अध्यक्ष के अनुसार इस तरह की शिकायत है तो उस पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि कांग्रेस के आरोपों को बीजेपी निराधार बता रही है. जिलाध्यक्ष ने कहा कि किसानों को परेशानी न हो इसके लिए शासन स्तर पर और स्थानीय प्रशासन से बात करेंगे. उन्होंने साफ कहा कि सरकार किसानों के साथ है.
उचित दाम न मिलने पर हंगामा करता है किसान
कृषि उपज मंडी में उस समय हंगामे की स्थिति पैदा हो जाती है, जब व्यापारी किसानों की सरसों की फसल की बोली 1000 से लेकर 2000 रुपये तक कम लगाना शुरू कर देता है. बता दें कि पहली बार मंडी में बोली को लेकर हंगमा 16 मार्च को हुआ था. जिसके बाद प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद किसानों की तुलाई शुरू कराई. इसके बाद दूसरा हंगामा 17 मार्च को हुआ. जिसमें किसानों का यही कहना था कि व्यापारी सरसों का भाव मनमाने तरीके से लगा रहा है. इसके बाद भाव को लेकर 29 मार्च को फिर से किसानों ने हंगामा किया और कृषि उपजमंडी का घेराव भी किया.
यह भी पढ़ेंः बर्दाश्त नहीं भ्रष्टाचार: कुर्सी भी जाएगी, नाम भी डूबेगा
किसानों के हंगामे और विरोध प्रदर्शन का असर ऐसा होता है कि सरसों के दाम 500 से लेकर 725 रुपये क्विंटल तक बढ़ जाते हैं. हंगामे से पहले जिस किसान की सरसों का भाव व्यापारी 4500 रुपये क्विंटल लगाते हैं . हंगामे के बाद सरसों को व्यापारियों ने 5225 रुपये क्विंटल में खरीदा था. यानी हंगामे से 725 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बढ़ गए. इसी तरह से शिवलालपुरा गांव के किसान राजू गुर्जर की एक ट्रॉली सरसों को खरीदने के लिए व्यापारियों ने पहले 4600 रुपए क्विंटल के भाव लगाए थे. लेकिन हंगामे के बाद जैसे ही दोबारा बोली शुरू हुई तो इसी सरसों को व्यापारियों ने 4950 रुपए क्विंटल रुपये लगाए थे.