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मेघनगर में सजा मिट्टी से बने बर्तनों का बाजार, देशभर में फेमस है ये कलाकारी - Pottery in Meghnagar

झाबुआ जिले के मेघनगर के कुम्हार मिट्टी के बर्तन सहित अन्य कई सामान बनाकर बेचते हैं, जिसकी डिंमाड प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी है. उम्दा कारीगरी और आर्कषक वैरायटी के चलते इन सामानों की खूब बिक्री होने से अब यहां के कुम्हार आर्थिक रूप से संपन्न होने लगे हैं.

clay pots
मिट्टी के बर्तन
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Published : Nov 6, 2020, 6:13 PM IST

झाबुआ। 'खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है'..अल्लामा इकबाल की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर रहे हैं, आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के प्रजापति समुदाय के दो दर्जन से ज्यादा लोग. मेघनगर में रहने वाले 25 से ज्यादा कुम्हार मिट्टी से आकर्षक बर्तन, फैंसी आइटम, घर की जरूरतों का सामान बना रहे हैं. इनके द्वारा बनाये जाने वाले मिट्टी के बर्तन और अन्य सामग्रियों की डिमांड न सिर्फ जिले में बल्कि प्रदेश सहित गुजरात और राजस्थान में भी खूब हो रही है. झाबुआ-रतलाम स्टेट हाइवे के किनारे ये कुम्हार अपने घरों से इन मिट्टी से बने आकर्षक वस्तुओं की बिक्री कर रहे हैं. इस मार्ग से गुजरात के यात्री उज्जैन महाकाल दर्शन के लिए निकलते हैं और सड़क किनारे आकर्षक समान देखकर खूब खरीदी करते हैं. उम्दा कारीगरी और आर्कषक वैराइटी के चलते इन सामानों की खूब बिक्री होने से अब यहां के कुम्हार आर्थिक रूप से संपन्न होने लगे हैं.

देश के विभिन्न कोनों में पहुंच रही ये इनकी कला

यहां के कुम्हार कड़ी मेहनत और अथक परिश्रम करके अपनी कला को देश के विभिन्न कोनों तक पहुंचा रहे हैं. साथ ही अपनी मेहनत का प्रतिफल भी इन्हें अच्छा मिल रहा है. मिट्टी से बनने वाले बर्तनों के साथ-साथ घर को सजाने के लिए कई तरह की आकर्षक वस्तुएं भी यहां बनाई जाती हैं. इन सामानों की दुकानें सड़क किनारे सजने से मेघनगर का साई चौराहा मिट्टी के बाजार के रूप में पहचाना जा रहा है. बड़ी संख्या में इस रूट से गुजरने वाले टूरिस्ट यहां खरीदी करने के लिए रुकते हैं, जिससे आस-पास की दूसरी दुकानों और, होटलों को भी लाभ हो रहा है. समुदाय के पुरुषों के साथ-साथ परिवार की महिलाएं, बच्चे सभी इस काम में सुबह से रात तक डटे रहते हैं, जिसके चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की खूब आर्थिक उन्नति हो रही है.

clay pots
बर्तन बनाती महिलाएं

सजावटी सामान बेजोड़ कलाकारी

मेघनगर के कुछ कुम्हारों के द्वारा पारंपरिक रुप से मटके बनाने की बजाए ज्यादातर बाजार की मांग के मुताबिक मिट्टी के बर्तन, फेशनेबल झूमर सहित घर सजाने के आइटम बनाने का काम किया जाता है. मेघनगर में बनने वाली पानी की सुराई सहित झूमर और फूलदान की मांग पूरे प्रदेश में रहती है, लिहाजा इस कुम्हारों को अन्य जिलों के दुकानदारों से बड़े-बड़े ऑर्डर मिलते हैं. मुस्लिम सुमदाय में निकाह के दौरान जो मिट्टी के बर्तनों का सेट, दुल्हन को दिया जाता है वह भी मेघनगर के ये कुम्हार ही तैयार करते हैं. इस काम में घर के सभी लोग मदद करते हैं, अल सुबह मिट्टी की की सफाई से लेकर मिट्टी मलने और रंग-रोगन करने के काम में घर की महिलाएं, बच्चे और यहां तक कि उम्र दराज बुजुर्ग भी काम करते हैं.

ये सब बनाते हैं यहां के कुम्हार

मेघनगर के साईं चौराहा पर रहने वाले कुम्हारों द्वारा मिट्टी की सुराई, जग, ग्लास, मग, तवा, मक्का या बाजरा की रोटी बनाने की कडेली, सब्जी बनाने की तपेली, चावल बनाने की कढ़ाई, मिट्टी का कुकर, झूमर, फूलदान, गुल्लक, फेशनेबल दिये, दही जमाने की हांडी, नॉनवेज बनाने की कढ़ाई, मिट्टी की थाली, गोल मटके, आकर्षक करवे, सहित घर में सजाने के कई सजावटी समान बनाए जाते हैं. लोगों में स्वदेशी भावना के चलते मिट्टी से बने इन सामानों की मांग साल भर बनी रहती है, लिहाजा यहां के लोगों का व्यापार भी पूरे समय चलता है, जिससे समुदाय के लोग खुश हैं.

झाबुआ। 'खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है'..अल्लामा इकबाल की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर रहे हैं, आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के प्रजापति समुदाय के दो दर्जन से ज्यादा लोग. मेघनगर में रहने वाले 25 से ज्यादा कुम्हार मिट्टी से आकर्षक बर्तन, फैंसी आइटम, घर की जरूरतों का सामान बना रहे हैं. इनके द्वारा बनाये जाने वाले मिट्टी के बर्तन और अन्य सामग्रियों की डिमांड न सिर्फ जिले में बल्कि प्रदेश सहित गुजरात और राजस्थान में भी खूब हो रही है. झाबुआ-रतलाम स्टेट हाइवे के किनारे ये कुम्हार अपने घरों से इन मिट्टी से बने आकर्षक वस्तुओं की बिक्री कर रहे हैं. इस मार्ग से गुजरात के यात्री उज्जैन महाकाल दर्शन के लिए निकलते हैं और सड़क किनारे आकर्षक समान देखकर खूब खरीदी करते हैं. उम्दा कारीगरी और आर्कषक वैराइटी के चलते इन सामानों की खूब बिक्री होने से अब यहां के कुम्हार आर्थिक रूप से संपन्न होने लगे हैं.

देश के विभिन्न कोनों में पहुंच रही ये इनकी कला

यहां के कुम्हार कड़ी मेहनत और अथक परिश्रम करके अपनी कला को देश के विभिन्न कोनों तक पहुंचा रहे हैं. साथ ही अपनी मेहनत का प्रतिफल भी इन्हें अच्छा मिल रहा है. मिट्टी से बनने वाले बर्तनों के साथ-साथ घर को सजाने के लिए कई तरह की आकर्षक वस्तुएं भी यहां बनाई जाती हैं. इन सामानों की दुकानें सड़क किनारे सजने से मेघनगर का साई चौराहा मिट्टी के बाजार के रूप में पहचाना जा रहा है. बड़ी संख्या में इस रूट से गुजरने वाले टूरिस्ट यहां खरीदी करने के लिए रुकते हैं, जिससे आस-पास की दूसरी दुकानों और, होटलों को भी लाभ हो रहा है. समुदाय के पुरुषों के साथ-साथ परिवार की महिलाएं, बच्चे सभी इस काम में सुबह से रात तक डटे रहते हैं, जिसके चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की खूब आर्थिक उन्नति हो रही है.

clay pots
बर्तन बनाती महिलाएं

सजावटी सामान बेजोड़ कलाकारी

मेघनगर के कुछ कुम्हारों के द्वारा पारंपरिक रुप से मटके बनाने की बजाए ज्यादातर बाजार की मांग के मुताबिक मिट्टी के बर्तन, फेशनेबल झूमर सहित घर सजाने के आइटम बनाने का काम किया जाता है. मेघनगर में बनने वाली पानी की सुराई सहित झूमर और फूलदान की मांग पूरे प्रदेश में रहती है, लिहाजा इस कुम्हारों को अन्य जिलों के दुकानदारों से बड़े-बड़े ऑर्डर मिलते हैं. मुस्लिम सुमदाय में निकाह के दौरान जो मिट्टी के बर्तनों का सेट, दुल्हन को दिया जाता है वह भी मेघनगर के ये कुम्हार ही तैयार करते हैं. इस काम में घर के सभी लोग मदद करते हैं, अल सुबह मिट्टी की की सफाई से लेकर मिट्टी मलने और रंग-रोगन करने के काम में घर की महिलाएं, बच्चे और यहां तक कि उम्र दराज बुजुर्ग भी काम करते हैं.

ये सब बनाते हैं यहां के कुम्हार

मेघनगर के साईं चौराहा पर रहने वाले कुम्हारों द्वारा मिट्टी की सुराई, जग, ग्लास, मग, तवा, मक्का या बाजरा की रोटी बनाने की कडेली, सब्जी बनाने की तपेली, चावल बनाने की कढ़ाई, मिट्टी का कुकर, झूमर, फूलदान, गुल्लक, फेशनेबल दिये, दही जमाने की हांडी, नॉनवेज बनाने की कढ़ाई, मिट्टी की थाली, गोल मटके, आकर्षक करवे, सहित घर में सजाने के कई सजावटी समान बनाए जाते हैं. लोगों में स्वदेशी भावना के चलते मिट्टी से बने इन सामानों की मांग साल भर बनी रहती है, लिहाजा यहां के लोगों का व्यापार भी पूरे समय चलता है, जिससे समुदाय के लोग खुश हैं.

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