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बारिश में बह गई 170 करोड़ रुपए की लागत से बनी माही परियोजना की नहर, किसानों की फसलों को हुआ नुकसान - farmer field was damage due to mahi planning

झाबुआ जिले के रायपुरिया के तलावपाड़ा गांव के किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए 170 करोड़ रुपए की लागत से माही परियोजना नहर बनाई गई थी. लेकिन इस नहर के निर्माण की पोल पहली बारिश में खुल गई.

बारिश में बह गई 170 करोड़ रुपए की लागत से बनी माही परियोजना की नहर
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Published : Aug 10, 2019, 9:02 PM IST

झाबुआ। रायपुरिया के तलावपाड़ा गांव में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. यहां 170 करोड़ की लागत से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए बनाई गई माही परियोजना नहर पहली ही बारिश में बह गई. नहर के टूटने से पानी खेतों में पहुंच गया जिससे किसानों की फसलों को नुकसान होने की बात भी कही जा रही है. नहर के टूटने की वजह घटिया निर्माण कार्य बताया जा रहा है.

मध्यप्रदेश सरकार ने 2013 में इस परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दी थी, जिसे 2018 में पूरा हो जाना था. लेकिन 2019 बीतने के बाद भी यह परियोजना अधूरी है. इस परियोजना में 33 किलोमीटर लंबी केनाल नहर बनाई जानी थी. जबकि 6 किलोमीटर लंबी -छोटी कैनाल नहर का निर्माण भी किया जाना था. इसके अलावा 1150 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाकर किसानों को खेतों तक पानी पहुंचाना था. लेकिन घटिया निर्माण कार्य से नहर टूटने लगी है.

बारिश में बह गई 170 करोड़ रुपए की लागत से बनी माही परियोजना की नहर

इस परियोजना का काम करने वाले ठेकेदार और निर्माण एजेंसी को समय-समय पर किसानों ने निर्माण में हो रही गड़बड़ी, गुणवत्ताहीन काम की शिकायत की थी. लेकिन अधिकारियों ने किसानों की बातों को अनसुना कर दिया था, जिसके चलते अब बारिश में किसानों को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है.

झाबुआ। रायपुरिया के तलावपाड़ा गांव में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. यहां 170 करोड़ की लागत से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए बनाई गई माही परियोजना नहर पहली ही बारिश में बह गई. नहर के टूटने से पानी खेतों में पहुंच गया जिससे किसानों की फसलों को नुकसान होने की बात भी कही जा रही है. नहर के टूटने की वजह घटिया निर्माण कार्य बताया जा रहा है.

मध्यप्रदेश सरकार ने 2013 में इस परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दी थी, जिसे 2018 में पूरा हो जाना था. लेकिन 2019 बीतने के बाद भी यह परियोजना अधूरी है. इस परियोजना में 33 किलोमीटर लंबी केनाल नहर बनाई जानी थी. जबकि 6 किलोमीटर लंबी -छोटी कैनाल नहर का निर्माण भी किया जाना था. इसके अलावा 1150 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाकर किसानों को खेतों तक पानी पहुंचाना था. लेकिन घटिया निर्माण कार्य से नहर टूटने लगी है.

बारिश में बह गई 170 करोड़ रुपए की लागत से बनी माही परियोजना की नहर

इस परियोजना का काम करने वाले ठेकेदार और निर्माण एजेंसी को समय-समय पर किसानों ने निर्माण में हो रही गड़बड़ी, गुणवत्ताहीन काम की शिकायत की थी. लेकिन अधिकारियों ने किसानों की बातों को अनसुना कर दिया था, जिसके चलते अब बारिश में किसानों को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है.

Intro:झाबुआ :- तेज बारिश ने माही परियोजना के घटिया निर्माण की पोल खोल दी है। 170 करोड़ की लागत से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने वाली परियोजना की नहर बीती रात ग्राम रायपुरिया के तलावपाड़ा गांव के पास टूट गई । यहाँ माही नहर के 15 से 20 फिट का बड़ा हिस्सा पानी में बह गया जिससे नहर का पानी नगर से सटे खेतों में भर गया है। Body:मध्य प्रदेश सरकार ने 170 करोड रुपए की लागत से 2013 में इस परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दी थी, जिसे 2018 में पूरा हो जाना था मगर 2019 बीतने के बाद भी यह परियोजना अधूरी है। इस परियोजना में 33 किलोमीटर लंबी केनाल( नहर) बनाई जानी थी तथा 6 किलोमीटर लंबी -छोटी कैनाल (नहर) के साथ-साथ 1150 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाकर किसानों को खेतों तक पानी पहुंचाना था मगर गुणवत्ता ही निर्माण के चलते बारिश में खेतों में पाइप भी ऊपर आने लगे हैं और नहर टूटने लगी है ।Conclusion:इस परियोजना का काम करने वाले ठेकेदार और निर्माण एजेंसी को समय-समय पर किसानों ने निर्माण में हो रही गड़बड़ी , गुणवत्ताहीन काम की शिकायत की थी मगर अधिकारियों ने किसानों की बातों को अनसुना कर दिया था जिसके चलते अब बारिश में किसानों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। क्या सरकार इस मामले में अब पीड़ित किसानों को मुआवजा देगी क्या सरकार जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी बड़ा सवाल है ।
बाइट : रामाजी पीड़ित किसान
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