झाबुआ। मेघनगर आदिवासी बहुल झाबुआ जिले का सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन है. इस रेलवे स्टेशन से हजारों की संख्या में धार-झाबुआ-अलीराजपुर और बड़वानी जिले के यात्री देश के अलग-अलग हिस्सों में यात्रा करने के लिए यहां पहुंचते हैं. लॉकडाउन के पहले तक मेघनगर रेलवे स्टेशन पर दो दर्जन से ज्यादा ( लोकल, फ़ास्ट, सुपर फ़ास्ट ओर मेल श्रेणी की) रेलगाड़ियों का ठहराव होता था. मगर अनलॉक के बाद रेलवे द्वारा कुछ प्रमुख एक्सप्रेस ट्रेन के आवागमन की स्वीकृति के बाद कुछ गाड़ियां आरक्षित सिस्टम के साथ रेलवे स्टेशन पर पहुंच रही हैं. जिसमें बिना आरक्षण के यात्रा नहीं हो पा रही है.
दिल्ली- मुंबई रूट पर स्थित इस स्टेशन पर बड़ी संख्या में आने वाले तीर्थयात्री जो धार जिले के मोहनखेड़ा पहुंचते थे, वे यहां नहीं पहुंच पा रहे. झाबुआ अलीराजपुर के लोग अपने व्यवसायिक गतिविधियों, स्वास्थ्य उपचार और अन्य जरूरी कामों के लिए आस-पड़ोस के बड़े शहरों में जाने के लिए रेल साधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं. मगर अब इन हजारों लोगों को दाहोद-रतलाम-गोधरा- वडोदरा जैसे शहरों में जाने के लिए चलने वाली किफायती रेलों के ना चलने से दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.
अनलॉक के बाद भी मेघनगर रेलवे स्टेशन पर यह ट्रेन नहीं चल पा रही है, जिससे स्टेशन पर ट्रैफिक नहीं बढ़ पा रहा है और ना ही इन टेंपो ऑटो चालकों को सवारियां मिल रही हैं. दाहोद हबीबगंज, फिरोजपुर जनता एक्सप्रेस, उज्जैन दाहोद मेमू फास्ट पैसेंजर, बड़ौदा कोटा पार्सल, बांद्रा देहरादून पैसेंजर, गांधीनगर इंदौर फास्ट, अवंतिका एक्सप्रेस, सोमनाथ जबलपुर मेघनगर में जिन आधा दर्जन से ज्यादा रेलगाड़ियों का ठहराव हो रहा है.
उनमें से ज्यादातर ट्रेन स्टेशन पर आधी रात को पहुंचती हैं, जिससे इन ऑटो-टेंपो चालकों को सवारियां नहीं मिल पा रही हैं.आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन मेघनगर पर खडे इन ऑटो-टेंपो को सवारियों का इंतजार है. सुबह से लेकर रात तक रेलवे स्टेशन के बाहर खड़े रहने का बाद बड़ी मुश्किल से 100-200 रुपये की सवारी मिल पा रही है. ऐसे में ऑटो- टेम्पो की क़िस्त और परिवार का पालन पोषण मुश्किल होता जा रहा है. आलम यह है कि कई टेम्पो ओर ऑटो वालों का तो नंबर भी नहीं आता और उसे बिना कमाई के घर जाना पड़ता है. ये हालात बीते 7 महीनों से बने हुए हैं और इसका कारण मेघनगर रेलवे स्टेशन पर लोकल रेलों गाड़ियों का परिचालन ना होना.
मेघनगर में ठहराव होने वाली उज्जैन-दाहोद मेमू, फिरोजपुर जनता एक्सप्रेस, देहरादून एक्सप्रेस, कोटा- बड़ौदा पार्सल, दाहोद हबीबगंज डेमो, इन ऑटो टेम्पो की लाइफ लाइन थी. मगर वैश्विक महामारी कोरोना के चलते रेल मंत्रालय द्वारा लोकल रेलगाड़ियों को बंद करने से इन ऑटो टेंपो की लाइफ लाइन भी बंद हो गई है. इन ट्रेनों से सफर करने वाले हजारों लोग रोज मेघनगर रेलवे स्टेशन आना जाना करते थे. लिहाजा ऑटो-टेंपो चालकों को भी खूब सवारियां मिलती थी. जिससे उनका जीवनयापन अच्छे से हो जाता था. मगर 25 मार्च के बाद से बंद रेल यातायात के चलते ये ऑटो टेम्पो चालक परेशान हैं. केंद्र सरकार अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान इन ऑटो चलोको को उम्मीद जगी थी. अब उनका कामकाज अन्य व्यवसायियों की तरह चलने लगेगा, लेकिन सरकार ने केवल लंबी दूरी की आरक्षित रेलगाड़ियों ही शुरू की है. जिसमें सामान्य यात्रियों के सफर पर पाबंदी है. लिहाजा यात्रियों का दबाव रेलवे स्टेशन पर नहीं बढा और ना ही इन ऑटो- टेम्पो चालकों के हालात बदले.
मेघनगर ओर इसके आसपास के इलाकों में 100 के लगभग ऑटो-टेंपो है, जिनका संचालन लोकल रेल गाड़ियों में यात्रा करने वाले रेल यात्रियों के सहारे ही होता था. ऑटो चालकों ने बताया कि बीते 7 महीनों से कामकाज ना होने से अब फाइनेंस कराये हुए ऑटो-टेम्पो की किस्त, ब्याज भरने के लिए बैंक और फाइनेंसर लगातार उन पर दबाव बना रहे हैं. पैसे ना होने के चलते कई लोग अपने ऑटो टेंपो की किस्त नहीं भर पा रहे हैं. जिससे फाइनेंसर उनके ऑटो और टेम्पो जब्त करने लगे हैं. वाहनों में सावरियां ना होने से अब इन ऑटो-टेम्पो वालो का दिवाली भी फीकी हो जाएगी, क्योंकि त्यौहार मानने के लिए इनके पास पैसे नहीं है.