जबलपुर। जिले में बारिश के दिनों में परियट नदी से लगे करीब 6 गांवों में ग्रामीणों में दहशत का माहौल बन जाता है, इसकी वजह ये है कि नदी में पानी अधिक होने के चलते मगरमच्छ नदी से बाहर निकलकर गांव का रुख कर लेते हैं.
जिसके चलते ग्रामीणों में हमेशा डर बना रहता है कि कहीं नदी से निकलकर मगरमच्छ गांव के भीतर ना आ जाएं. हालांकि कई बार ग्रामीणों ने मगरमच्छों को पकड़कर वन विभाग को भी सौंपा है, लेकिन इसके बावजूद भी आज तक ना ही प्रशासन ने और ना ही वन विभाग ने कोई ठोस कदम उठाया. यही वजह है कि ग्रामीणों में बीते कई सालों से बारिश के दौरान दहशत का माहौल है.
गांव में मगरमच्छ की दहशत
दरअसल बारिश के दौरान नदी में पानी भर जाता है, ऐसे में पानी में बहकर मगरमच्छ गांव में पहुंच जाते हैं. कई बार ये भी हुआ कि ये मगरमच्छ घरों तक आ जाते हैं, जिसके चलते ग्रामीणों की जान आफत में आ जाती है. ग्रामीण बताते हैं कि आम दिनों में तो सब कुछ ठीक रहता है, लेकिन बारिश की शुरूआत होते ही नदी में रहने वाले मगरमच्छ पानी के बहाव में गांवों तक पहुंच जाते हैं. ग्रामीणों के साथ-साथ गांव में रहने वाले जानवर भी आए दिन इन मगरमच्छों का शिकार होते हैं. रिठौरी गांव में रहने वाले राजेश कुमार का कहना है कि बारिश के समय इन मगरमच्छों का इतना खौफ आ जाता है कि लोग नदी के आसपास जाने से भी डरते हैं.
मगरमच्छों को संरक्षित करने बनवाया जाए अभ्यारण्य
जिस तरह से परियट नदी में मगरमच्छों की संख्या बढ़ रही है, उसको देखते हुए यहां शिकार की भी घटनाएं बढ़ गई हैं. जिसे देखते हुए ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि गांव से लगे इलाके में मगरमच्छों को संरक्षित करने के लिए अभ्यारण्य बनवाया जाए. इससे ग्रामीणों की समस्या का भी समाधान हो जाएगा, साथ ही मगरमच्छों के शिकार पर पाबंदी लगेगी.
जिला प्रशासन करता है रेस्क्यू
परियट नदी से लगे गांव में धीरे-धीरे मगरमच्छों का खौफ बढ़ने लगा है. लोग अब इतनी दहशत में रहते हैं कि शाम होते ही नदी के पास बसे गांव के ग्रामीण घरों के अंदर दुबक जाते हैं. मगरमच्छ खासकर बारिश पर रात के समय आते हैं और अंधेरे का लाभ उठाकर घरों में बने जानवरों को अपना शिकार बनाते हैं, हालांकि जिला प्रशासन का कहना है कि जब कभी सूचना मिलती है कि मगरमच्छ गांव में पहुंच गए हैं, तो प्रशासन और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू करती है.
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बारिश का सीजन होता है मगरमच्छों के अंडे देने का समय
बताया जाता है कि बारिश के समय मगरमच्छों का अंडे देने का समय होता है, जिस वजह से वह नदी किनारे घूमते हैं. उसको लेकर वन विभाग का दावा है कि समय-समय पर गांव में अलर्ट भी जारी करवाया जाता है, जिससे कि कोई दुर्घटना ना हो सके.
मछली पकड़ने वालों का लगता है जमावड़ा
बारिश के समय परियट नदी के किनारे मछली पकड़ने वालों का भी डेरा सुबह से शाम तक जमा रहता है. जिस वजह से कहा जा सकता है कि ये बहुत ही घातक हो सकता है. बारिश के समय नदी किनारे मछली पकड़ने वालों की संख्या काफी हो जाती है, ऐसे में अगर जरा सी लापरवाही होती है तो नदी किनारे मगरमच्छ कभी भी इन लोगों को अपना शिकार बना सकते हैं.
खास बात ये है कि मछली मारने का ये खेल कई सालों से चला आ रहा है, लेकिन इस पर भी पुलिस प्रशासन का ध्यान नहीं है. स्थानीय पुलिस भी कभी नदी किनारे मछली पकड़ने वालों को हिदायत नहीं देती है, जिसके चलते आखिरकार खेल लंबे समय से चला आ रहा है.