जबलपुर। पैरा मेडिकल कॉलेजों द्वारा किए गए छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर इंदौर खंडपीठ से स्थानातंरित होकर आईं याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से जबलपुर हाईकोर्ट में चल रही है. इंदौर खंडपीठ से राशि वसूली पर मिले स्थगन आदेश को चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सशर्त बरकरार रखा है. याचिकाकर्ताओं संस्थाओं को 50 प्रतिशत राशि जिला कलेक्टर के पास जमा करनी होगी, जो याचिका के अंतिम आदेश के अधीन रहेगी.
फर्जी छात्रों का प्रवेश दर्शाकर घोटाला : लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गयी याचिका में बताया गया कि साल 2009 से 2015 के बीच प्रदेश के पैरा मेडिकल कॉलेजों ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला किया. पैरा मेडिकल कॉलेज संचालकों ने फर्जी छात्रों का प्रवेश दर्शाकर सरकार से करोड़ों रुपए की राशि छात्रवृत्ति के रूप में प्राप्त की. घोटाले के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा जांच के आदेश दिये गये थे. जांच में घोटाले के आरोप सही पाये गये. जिसके बाद सरकार की तरफ से कॉलेजों से राशि वसूलने का निर्णय लिया गया.
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अभी 16 करोड़ की वसूली बची : याचिका में कहा गया कि राज्य शासन द्वारा छात्रवृत्ति घोटाले करने वाले कॉलेजों से राशि वसूलने के लिए कर्रवाई सरकार नहीं कर रही है. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया था कि कई अवसर प्रदान करने के बावजूद सरकार की तरफ से जवाब पेश नहीं किया गया. युगलपीठ ने 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए सरकार को जवाब पेश करने के लिए अंतिम समय प्रदान किया था. इसके बाद सरकार की तरफ से पेश किये गए जवाब में बताया गया कि 24 करोड़ रुपये में से 4 करोड़ रुपये वसूल किए गए. अगली सुनवाई में सरकार ने बताया कि अभी तक 55 संस्थाओं से 7 करोड़ 87 लाख राशि वसूली गयी है. अभी 37 संस्थाओं से 16 करोड़ वसूलना शेष है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक वागरेजा ने पैरवी की.