जबलपुर। कटनी में सड़क तथा रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण को क्लीयरेंस देने के एवज में 50 हजार की रिश्वत लेने के आरोप में सीबीआई ने प्रकरण दर्ज किया था. प्रकरण में श्रीजी कंस्ट्रक्शन के एमडी ज्ञानेंद्र सिंह, एनएचएआई के डीआरएम और प्रोजेक्ट अधिकारी राम राम दाढें, डब्ल्यूसीआर के डिप्टी चीफ मैनेजर सहित श्रीजी कंस्ट्रक्शन के दो कर्मचारियों तथा रेलवे के एक कर्मचारी को आरोपी बनाया गया था. पूर्व में हाईकोर्ट ने ज्ञानेन्द्र सिंह की अग्रित जमानत आवेदन तथा एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर सहित ठेका कंपनी के दो कर्मचारियों की याचिका खारिज कर दी थी.
मेडिकल के आधार पर राहत मांगी : कंपनी के एमडी ने अग्रिम जमानत के लिए दूसरी बार हाईकोर्ट की शरण ली थी. याचिका में मेडिकल ग्राउंड के आधार पर राहत चाही गयी थी. याचिका के साथ सेठ मुन्नुलाल जगन्नाथ ट्रस्ट हॉस्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट भी पेश की गयी थी. सीबीआई की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता पंकज दूबे ने याचिका का विरोध करते हुए मेडिकल सर्टिफिकेट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए.
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सीबीआई ने ये तर्क दिया : अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि कटनी बायपास फोरलेन रोड तथा रेलवे ओवरब्रिज के ठेके से जुडा हुआ है. ठेका कंपनी श्रीजी कंस्ट्रक्शन कंपनी के एमडी ज्ञानेंद्र सिंह फरार है. सीबीआई ने उन्हें उपस्थित होने के लिए नोटिस भेजा था. वह रिश्वत देने वाले कर्मचारियों तथा रिश्वत लेने वाले अधिकारियों से संपर्क में थे. करोड़ों की फर्म के मालिक एक ट्रस्ट द्वारा संचालित छोटे से अस्पताल में उपचार करवा रहे हैं. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. याचिका पर अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गई है.