जबलपुर। प्रदेश के जबलपुर सहित पूरे महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में डॉक्टर बनने की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए अच्छी खबर हैं. जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एमबीबीएस की 70 सीटें बढ़ाने की हरी झंडी मिल गई है. नेशनल मेडिकल कमीशन एनएमसी ने विभिन्न मानकों पर मेडिकल कॉलेज को खरा पाया. जिसके बाद नई सीटों को मंजूरी मिल पाई. नई सीटों पर इसी साल से एमबीबीएस पाठ्यक्रम में एडमिशन दिए जाएंगे.
MBBS की 250 सीटें: करीब 10 दिनों पहले एनएमसी की टीम नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल का जायजा लेने के लिए जबलपुर पहुंची थी. जहां टीम ने मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग का निरीक्षण किया और सभी मानकों में खरा उतरने के बाद 70 सीटों को मंजूरी दे दी गई है. ईडब्ल्यूएस कोटे को मिलाकर मेडिकल में 180 सीटें हैं. जिनकी संख्या बढ़कर अब 250 हो जाएगी. एमबीबीएस सीटें बढ़ने से मेडिकल की अधोसंरचना में सुधार के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा. अब मेडिकल में स्वयं का सीटी स्कैन व एमआरआई यूनिट स्थापित की जाएगी. इसके साथ ही एमबीबीएस सीटें बढ़ने के साथ तमाम विकास कार्य होंगे. वर्तमान में करीब 100 करोड़ रुपये के विकास कार्य निर्माणाधीन होकर अंतिम चरण में हैं.
इसी सत्र से प्रवेश: नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. गीता गुईन का कहना है कि अगर प्राइवेट सेक्टर में एमबीबीएस की पढ़ाई की बात की जाए तो यह बेहद महंगी पढ़ाई है और सरकारी मेडिकल अस्पतालों में डॉक्टर तालीम हासिल करने का सपना हर किसी का होता है. नेशनल मेडिकल कमीशन के द्वारा 70 अतिरिक्त सीटों के आवंटन के साथ ही भावी डॉक्टर बनने का सपना संजोने वाले नौजवानों के प्रवेश का रास्ता भी साफ हो गया है. मेडिकल कॉलेज की डीन के मुताबिक इसी सत्र से ही प्रवेश प्रारंभ हो जाएंगे और शासन के मापदंडों के अनुसार एमबीबीएस की पढ़ाई आधुनिक और हाईटेक तरीके से कराई जाएगी.
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स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार: इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के साथ ही नए उपकरण, क्लास रूम, ऑडिटोरियम, छात्रावास, मरीजों के लिए नए वार्ड, चिकित्सकों और कर्मचारियों के लिए आवासीय परिसर बनाए जाएंगे. हर साल देश को 70 और डॉक्टर मिल सकेंगे. मेडिकल में डॉक्टर, नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या बढ़ जाएगी. जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में सीधा सुधार होगा. इस लिहाज से उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था में थी इसका असर नजर आएगा और मरीजों को काफी हद तक राहत भी मिलेगी.