जबलपुर। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में गोवर्धन पूजा के दिन यादव समाज के लोगों ने अहीर नृत्य का आयोजन किया. गोवर्धन पूजा के कई वैज्ञानिक धार्मिक महत्व हैं. जबलपुर में बड़ी तादाद में लोगों ने गोवर्धन पूजा की है. जबलपुर में दिवाली के अगले दिन गोवर्धन की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
गोवर्धन पूजा के दिन जबलपुर के चेरीताल इलाके में गाय खेले का आयोजन किया गया. इसमें कई दर्जन गायों को एक जगह एकत्रित किया जाता है. और उन्हें ढोल धमाकों की आवाज से चौंकाया जाता है. अहीर समाज के लोगों का मानना है यदि गाय अच्छे से उछलती-कूदती है तो आने वाला साल उनके लिए अच्छा होता है. हालांकी शहरों में गौ पालन बहुत कम हो गया है. लेकिन गांव में आज भी यह परंपरा बड़े पैमाने पर मनाई जाती है. इसका एक वैज्ञानिक पहलू यह है कि डरा हुआ जानवर साल भर बीमार नहीं होता है.
वहीं आज के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इसके पीछे की धार्मिक कहानी है कि गोकुल में तेज बारिश हो रही थी, और पानी बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा था. इसके बाद भगवान कृष्ण ने अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन को उठा लिया था. और इस पर्वत के नीचे सभी लोग इकट्ठे हो गए थे. इसके बाद इंद्र को झुकना पड़ा था, और बारिश बंद हो गई. इसके बाद से दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, लेकिन इसका भी एक वैज्ञानिक महत्व है गोबर बहुत अच्छा जैविक खाद है यदि गोबर का इस्तेमाल खेती में किया जाता है तो खेती उपजाऊ बनी रहती है. और अच्छा धन-धान्य पैदा होता है.
जबलपुर में आज दूसरी तमाम आर्थिक और धार्मिक गतिविधियां लगभग सुस्त रहती हैं. लेकिन गोवर्धन पूजा की वजह से शहर के कई इलाकों में लोगों को अहीर नृत्य देखने को मिल जाता है. हालांकि अब यह परंपरा भी धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है.साथ ही अहीर नृत्य नाचने वाले लोग बहुत कम बचे हैं.