शहडोल (अखिलेश शुक्ला): आज के जमाने में ग्रामीण क्षेत्रों के युवा कमाल कर रहे हैं. अपने यूनिक आइडिया से लोगों की जिंदगियों को आसान कर रहे हैं. आज हम एक ऐसे युवा की बात कर रहे हैं, जो कभी बड़े शहरों में बड़ी कंपनियों में इंजीनियर की नौकरी किया करता था, लेकिन कुछ सालों की नौकरी करने के बाद वे अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ा और आज अपने ही गांव में फूड इंडस्ट्री से जुड़ा स्टार्टअप शुरू किया है. जिसकी अब हर कोई तारीफ कर रहा है.
गांव के युवा का गजब स्टार्टअप
शहडोल के ऐंताझर गांव के रहने वाले शिवांक कुमार श्रीवास्तव ने अपने गांव में फूड इंडस्ट्री से जुड़ा स्टार्टअप शुरू किया है. वे कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं. शिवांक ने बताया कि "मेरे मन में हमेशा खुद का काम करने की इच्छा होती थी, अक्सर स्टार्टअप शुरू करने के बारे में पढ़ा और सोचा करता था. आज कड़ी मेहनत से फूड इंडस्ट्री से जुड़ा स्टार्टअप शुरू किया है."
शिवांक ने बताया कि "स्टार्टअप की शुरुआत में कई उतार-चढ़ाव भी सामने आए हैं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, तब जाकर वो इस फूड इंडस्ट्री की शुरुआत कर पाए हैं." उनकी ये फूड इंडस्ट्री फोर्टिफाइड राइस कर्नेल की है. जिसे शॉर्ट फॉर्म में FRK राइस भी कहते हैं. फूड इंडस्ट्री में हाई न्यूट्रिशन वाले चावल तैयार किए जाते हैं.
पहले इंजीनियरिंग की, फिर नौकरी छोड़ी
बता दें कि शिवांक श्रीवास्तव मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पढ़ाई की है, उनका प्लेसमेंट भी स्टील इंडस्ट्री में हो गया था. उन्होंने देश के कई अलग-अलग बड़े शहरों में रहकर 5 से 7 साल तक नौकरी भी की है. शिवांक ने बताया कि "जहां वो नौकरी करते थे, उनके दिमाग में बस एक ही बात चलती थी कि खुद का काम शुरू करना है. उससे रिलेटेड ही हमेशा कुछ ना कुछ नया वह ढूंढते रहते थे. जब फोर्टिफाइड राइस के बारे में जानकारी लगी, तब कहीं जाकर वो इस काम को शुरू किया."
इंजीनियर का दिमाग और हो गई शुरुआत
फोर्टिफाइड राइस का स्टार्टअप शुरू करने पहले रिसर्च करना शुरू किया. लगभग 3 साल तक इस बारे में रिसर्च करते रहे कि अगर वो काम शुरू करेंगे तो उस समान को बेचेंगे कहां, कितना खर्च आएगा. कैसे उस इंडस्ट्री को सरवाइव करेगी. शिवांक श्रीवास्तव बताते हैं कि "उनके मन में एक बात जरूर चल रही थी कि उनका गांव ट्राइबल एरिया में है. यहां कुपोषण जैसी समस्याएं बहुत ज्यादा हैं और अगर हम फोर्टिफाइड राइस बनाते हैं, तो कहीं ना कहीं ये कुपोषण को मात देने में कारगर साबित होगा."
क्या होते हैं फोर्टिफाइड राइस?
फोर्टीफाइड राइस हाई न्यूट्रीशनल राइस होता है, जिसमें आयरन फोलिक एसिड जैसे कई पोषक तत्व होते हैं. एफसीआई या नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से गवर्नमेंट की जो वितरण प्रणाली है. उसके तहत तय मानकों के आधार पर जन जन तक पहुंचाया जाता है, ये फोर्टीफाइड चावल आम चावल की अपेक्षा थोड़ा मोटा और कम सफेद होता है. चावल में पोषक तत्व मिलाने के प्रोसेस के बाद फोर्टीफाइड चावल कड़क हो जाता है.
बाहर से मंगाई मशीन, करोड़ों में खर्च
शिवांक श्रीवास्तव बताते हैं कि "इस यूनिट को लगाने में लगभग ढ़ाई करोड़ की लागत लग चुकी है. सिविल का इंफ्रास्ट्रक्चर और इलेक्ट्रिसिटी का काफी लोड होता है. सब कुछ का समायोजन करने के बाद यह खर्च लगभग ढाई करोड़ के आसपास पहुंच गया. यह मशीन उन्होंने सहारनपुर से खरीदी है. कुछ मशीन बाहर से भी इंपोर्ट की गई है, जो इंडिया के बाहर डेवलप की गई है. जिसमें चीन और ताइवान जैसी जगहों से भी कुछ मशीन इंपोर्ट की गई हैं.
- जुगाड़ मॉडल से उग रही हैं केमिकल मुक्त सब्जियां, गांव के दो छोरों का छोटू जमीन पर कमाल
- विदेशी रसोइयों तक पहुंचेगा शहडोल का कोदो, इस कमाल के स्टार्टअप से दूनिया भर में मिलेगी पहचान
संभाग की इकलौती यूनिट
शिवांक श्रीवास्तव ने जो ये फूड इंडस्ट्री की शुरुआत की है. जिसमें फोर्टीफाइड चावल का निर्माण किया जा रहा है, वो बताते हैं कि ये शहडोल संभाग की इकलौती इस तरह की यूनिट है. जहां फोर्टिफाइड चावल का निर्माण किया जा रहा है.