जबलपुर। दिल्ली में चल रहे तीन नए कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन का 19वां दिन है. अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति से जुड़े उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा जैसे विभिन्न राज्यों के 10 संगठन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से बातचीत कर रहे हैं, ताकि 3 फार्म विधेयकों पर अपना समर्थन बढ़ाया जा सके. वहीं किसान आंदोलन को लेकर मध्यप्रदेश में भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने किसान आंदोलन को लेकर अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन राजनीति से प्रेरित आंदोलन है, साथ ही किसानों को आंदोलन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. जबकि यह कानून किसान की किस्मत बदलने वाला है.
किसान आंदोलन कोरी राजनीति
पूर्व मंत्री अजय विश्नोई का कहना है कि किसान आंदोलन राजनीति से प्रेरित है. इसमें किसानों के हित की बातें नहीं की जा रही हैं और किसानों को भ्रमित किया जा रहा है अजय विश्नोई ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस किसानों को भ्रमित कर रही है, जबकि सदन में जब बिल पास हो रहा था तब कांग्रेस वहां मौजूद थी और इस मुद्दे पर उन्होंने अपने विचार भी रखे थे. लेकिन जब किसानों ने आंदोलन शुरू किया तो कांग्रेस उनके साथ खड़ी हो गई है.
एमपी में नहीं है किसान बिल का विरोध
अजय विश्नोई का दावा है कि मध्यप्रदेश में किसान कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं है. इसीलिए बीते दिनों जब मध्य प्रदेश बंद का आह्वान किया गया था. तब मध्यप्रदेश में इसका कोई असर देखने को नहीं मिला. इसका स्पष्ट मतलब है कि मध्य प्रदेश का किसान केंद्र सरकार के नए कानूनों के खिलाफ नहीं है.
कोर्ट की बजाय एसडीएम कोर्ट में जाएं
नया कृषि कानून किसानों का एक मूलभूत अधिकार छीन रही है. जिसमें किसान न्यायपालिका का दरवाजा खटखटा सके. सिविल कोर्ट के अधिकार एसडीएम को दिए जा रहे हैं और अगर कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग में या माल खरीद बिक्री में कोई विवाद होता है तो किसान सिविल कोर्ट नहीं जा सकता बल्कि उसे एसडीएम कोर्ट में ही अपने मामले को निपटाना होगा.