जबलपुर। जबलपुर निवासी अजीत सिंह आनंद की तरफ से दायर की गई याचिका में जिला न्यायालय द्वारा उसकी आपराधिक पुननिरीक्षण याचिका खारिज किये जाने को चुनौती दी गयी थी. याचिका में कहा गया था कि गोरखपुर थाने में 15 मार्च 2014 को उसके तथा भाई के खिलाफ 323,294,506 तथा 34 अपराध दर्ज होने के बाद उसके भाई को मुचलके पर रिहा करते हुए दस हजार रुपये मांगे थे. रुपये की मांग पूरी नहीं होने पर पुलिस ने 24 मार्च 2014 को अपराध में धारा 307 बढ़ाते हुए उसकी 75 साल की वृद्धि मां को आरोपी बना दिया.
कमिश्नर के आदेश पर धाराएं बढ़ाने का जिक्र : याचिका में कहा गया कि तत्कालीन थाना प्रभारी ने रोजनामचे में लिखित में उल्लेख किया है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक हरि नारायण चारी मिश्रा के आदेश पर धारा 307 बढ़ाई गयी है. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसका निराकरण करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश किये थे कि विचारण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें. विचारण न्यायालय ने प्रकरण में आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किये जाने का आवेदन निरस्त कर दिया था.
पुननिरीक्षण याचिका खारिज होने पर हाईकोर्ट पहुंचा : इसके खिलाफ अनावेदक ने जिला न्यायालय में पुननिरीक्षण याचिका दायर की थी. न्यायालय द्वारा पुननिरीक्षण याचिका खारिज किये जाने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली है. याचिका में इंदौर पुलिस कमिश्नर व तत्कानील पुलिस अधीक्षक हरि नारायणचारी मिश्रा, तत्कानील सीएसपी राजेश तिवारी, तत्कालीन थाना प्रभारी विजय पुंज सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया है. याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए.