इंदौर. बीमार कुलपति को बचाने के लिए जज की कार छीनने वाले छात्रों के पक्ष में जनहित याचिका लगाई गई है. याचिका में तर्क देकर एक अनूठी मांग भी कोर्ट से की गई है. याचिका में कहा गया है कि कुलपति को बचाने जज की कार छीनने की घटना समाज को सीख देने वाली है. इस घटना से सीख लेते हुए शासकीय प्रोटोकॉल में लगने वाली गाड़ियों के इमरजेंसी में उपयोग की मांग न्यायालय से की गई.
महापौर की न्यायालय से अनोखी मांग
महापौर पुष्यमित्र भार्गव (Mayor Pushyamitra Bhargava) ने मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में दायर अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान दिसंबर माह में हुई घटना पर तर्क देते हुए बात आगे रखी. न्यायाधीश रोहित आर्य और बीके द्विवेदी की युगलपीठ के समक्ष उन्होंने कहा कि ग्वालियर की घटना में छात्रों द्वारा किया गया प्रयास समाज को सीख देने वाला था. उन्होंने न्यायालय से आगे मांग करते हुए कहा कि माननीय न्यायालय ऐसे दिशा-निर्देश जारी करें, जिसमें शासकीय प्रोटोकॉल में लगने वाली गाड़ियों, शासकीय वाहनों का प्रयोग इमरजेंसी में किया जा सके (यदि घायल मरीज तक पहुंचने में एंबुलेंस को ज्यादा समय हो).
अच्छी चिकित्सा सुविधा के लिए भी याचिका
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने याचिका पर सुनवाई के दौरान आगे कहा कि बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन पर अच्छी से अच्छी मेडिकल सुविधा त्वरित मिल सके इसके लिए भी प्रयास किए जाएं. माननीय न्यायालय ने जनहित याचिका में महापौर द्वारा उठाए गए विषयों की प्रशंसा करते हुए सभी संबंधित विभागों को नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष और सुझाव रखने के लिए कहा है। इस सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में उठाए गए विषयों को बड़े स्तर पर लागू करने केंद्र सरकार, रेल मंत्रालय को भी याचिका में प्रत्यर्थी बनाए जाने के निर्देश दिए.
क्या है छात्रों द्वारा जज की कार छीनने का मामला?
दरअसल, दिसंबर माह में दिल्ली से झांसी जाते समय ट्रेन में एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति की तबीयत बिगड़ गई थी. इस स्थिति में उन्हें ग्वालियर स्टेशन पर उतर गया था, यहां पर दो छात्रों ने कुलपति को अस्पताल ले जाने के लिए एक कार की चाबी छीन ली और कुलपति की जान बचाने के लिए उन्हें अस्पताल ले गए थे. बाद में पता चला था कि जो कार छात्र छीन कर ले गए थे, वह एक न्यायाधीश की थी. इस घटनाक्रम में दोनों छात्रों के खिलाफ चोरी और लूट का गंभीर मामला दर्ज किया गया था. क्योंकि छात्रों को नहीं पता था कि कार किसी न्यायाधीश की है इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोनों छात्रों के खिलाफ दर्ज प्रकरण में सहानुभूति पूर्वक विचार करने का अनुरोध किया था. हालांकि, मामले में बीमार कुलपति को नहीं बचाया जा सका. इसके बाद से ही छात्रों के खिलाफ यह मामला विचाराधीन है और उन्हें जमानत पर छोड़ा गया है.