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Gwalior News : सात लोगों को अपहरण में झूठा फंसाने के मामले में पूर्व TI को SC से मिली राहत

हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाकर आंतरी थाना प्रभारी रहे शंभू सिंह चौहान को बड़ी राहत दी है. एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शंभू चौहान को गलत साक्ष्य पेश करने और अपहरण का झूठा केस दर्ज करने के आरोप में रोक लगाने के आदेश जारी किए. (Falsely implicating 7 people in kidnapping) (TI got relief from SC)

सात लोगों को हुई थी आजीवन कारावास की सजा
ग्वालियर बेंच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
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Published : Jul 13, 2022, 5:03 PM IST

ग्वालियर। आंतरी थाना प्रभारी रहे शंभू सिंह चौहान पर आरोप था कि उन्होंने अपहरण के झूठे मामले में 7 लोगों को फंसा दिया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है. बताया जाता है कि 2003 में पुलिस थाना बिलौआ में शांति स्वरूप ने अपने भतीजे जयशंकर के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इस पर पुलिस ने कुछ दिन बाद एक एनकाउंटर में जयशंकर को छुड़ाने का दावा किया था.

सात लोगों को हुई थी आजीवन कारावास की सजा : इस मामले में पुलिस आरोपियों को नहीं पकड़ सकी थी. बाद में एक -एक कर सात आरोपियों को पकड़ा गया. उन्हें नवंबर 2004 में ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया. इसके बाद पर दोषियों ने हाई कोर्ट में अपील दायर की. हाईकोर्ट में पुलिस आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी. हाईकोर्ट ने माना कि इस मामले में युवक जयशंकर के अपहरण का झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया था.

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हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को किया दोषमुक्त : हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए पुलिस अफसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए थे. साथ ही पीड़ित लोगों ने जेल में 13 साल 7 महीने काटने के एवज में मानहानि का मुकदमा और मुआवजा लेने के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति भी प्रदान की थी. अक्टूबर 2017 में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने इन आरोपियों को दोषमुक्त किया था. (Falsely implicating 7 people in kidnapping) (TI got relief from SC)

ग्वालियर। आंतरी थाना प्रभारी रहे शंभू सिंह चौहान पर आरोप था कि उन्होंने अपहरण के झूठे मामले में 7 लोगों को फंसा दिया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है. बताया जाता है कि 2003 में पुलिस थाना बिलौआ में शांति स्वरूप ने अपने भतीजे जयशंकर के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इस पर पुलिस ने कुछ दिन बाद एक एनकाउंटर में जयशंकर को छुड़ाने का दावा किया था.

सात लोगों को हुई थी आजीवन कारावास की सजा : इस मामले में पुलिस आरोपियों को नहीं पकड़ सकी थी. बाद में एक -एक कर सात आरोपियों को पकड़ा गया. उन्हें नवंबर 2004 में ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया. इसके बाद पर दोषियों ने हाई कोर्ट में अपील दायर की. हाईकोर्ट में पुलिस आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी. हाईकोर्ट ने माना कि इस मामले में युवक जयशंकर के अपहरण का झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया था.

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हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को किया दोषमुक्त : हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए पुलिस अफसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए थे. साथ ही पीड़ित लोगों ने जेल में 13 साल 7 महीने काटने के एवज में मानहानि का मुकदमा और मुआवजा लेने के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति भी प्रदान की थी. अक्टूबर 2017 में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने इन आरोपियों को दोषमुक्त किया था. (Falsely implicating 7 people in kidnapping) (TI got relief from SC)

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