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ग्वालियर: कोर्ट के स्टे के बावजूद होता रहा अवैध निर्माण, सोते रहे नगर निगम अधिकारी

शहर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पीछे पटेल नगर का एक भूखंड नगर निगम की गले की फांस बन गया है. वहीं इस विवादित भूखंड पर कोर्ट का स्टे है और जिसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर सीएम और मुख्य सचिव तक हो चुकी है. इसके बावजूद भूखंड का निर्माण होता रहा और अफसर सोते रहे.

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Published : Mar 12, 2019, 11:56 AM IST

कोर्ट के स्टे के बावजूद होता रहा अवैध निर्माण, सोते रहे नगर निगम अधिकारी

ग्वालियर। शहर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पीछे पटेल नगर का एक भूखंड नगर निगम की गले की फांस बन गया है. वहीं इस विवादित भूखंड पर कोर्ट का स्टे है और जिसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर सीएम और मुख्य सचिव तक हो चुकी है. इसके बावजूद भूखंड का निर्माण होता रहा और अफसर सोते रहे.

illegal construction  continue after court stay in gwalior
कोर्ट के स्टे के बावजूद होता रहा अवैध निर्माण, सोते रहे नगर निगम अधिकारी


दरअसल, पटेल नगर स्थित एक भूखंड का विक्रय पत्र 2011 में कमल किशोर और सतीश पांडे ने रमेश यादव, इंदर सिंह, कल्याण सिंह, अतर सिंह, दामोदर सिंह और शकुंतला बाई से किया था. वहीं अतर सिंह और दामोदर ने फर्जी तरीके से इस भूखंड किसी सुरेन्द्र सिंह को बेच दिया था. जिसका मामला 1 अक्टूबर 2016 को जिला न्यायालय में पहुंचा. जहां एडीजे कोर्ट ने भूखंड को यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए. वहीं पहले खरीददार ने बार-बार नगर निगम में भूखंड निर्माण किए जाने और कोर्ट का हवाला देकर रोकने का प्रयास करते रहे. इसके बावजूद निर्माण कार्य रोका नहीं गया. इस भूखंड निर्माण कार्य के लिए न तो नगर निगम से मंजूरी ली गई और न ही कोर्ट के आदेश का पालन किया गया.

कोर्ट के स्टे के बावजूद होता रहा अवैध निर्माण, सोते रहे नगर निगम अधिकारी


इस दौरान नगर निगम कमिश्नर ने अपनी नोट शीट में अंकित किया है कि महापौर ने निर्माण कार्य को अवैध ठहराया है. वहीं असल खरीददार भूखंड निर्माण कार्य को लेकर प्रधानमंत्री और सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करवा चुके हैं. मुख्य सचिव और भिंड सांसद भागीरथ प्रसाद भी इस निर्माण को लेकर तलब कर चुके है. लेकिन नगर निगम अधिकारी अभी भी आंख बंद कर सो रहे है. उन्होंने न ही जमीन पर अवैध निर्माण और न ही इसे बेचने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है.

ग्वालियर। शहर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पीछे पटेल नगर का एक भूखंड नगर निगम की गले की फांस बन गया है. वहीं इस विवादित भूखंड पर कोर्ट का स्टे है और जिसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर सीएम और मुख्य सचिव तक हो चुकी है. इसके बावजूद भूखंड का निर्माण होता रहा और अफसर सोते रहे.

illegal construction  continue after court stay in gwalior
कोर्ट के स्टे के बावजूद होता रहा अवैध निर्माण, सोते रहे नगर निगम अधिकारी


दरअसल, पटेल नगर स्थित एक भूखंड का विक्रय पत्र 2011 में कमल किशोर और सतीश पांडे ने रमेश यादव, इंदर सिंह, कल्याण सिंह, अतर सिंह, दामोदर सिंह और शकुंतला बाई से किया था. वहीं अतर सिंह और दामोदर ने फर्जी तरीके से इस भूखंड किसी सुरेन्द्र सिंह को बेच दिया था. जिसका मामला 1 अक्टूबर 2016 को जिला न्यायालय में पहुंचा. जहां एडीजे कोर्ट ने भूखंड को यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए. वहीं पहले खरीददार ने बार-बार नगर निगम में भूखंड निर्माण किए जाने और कोर्ट का हवाला देकर रोकने का प्रयास करते रहे. इसके बावजूद निर्माण कार्य रोका नहीं गया. इस भूखंड निर्माण कार्य के लिए न तो नगर निगम से मंजूरी ली गई और न ही कोर्ट के आदेश का पालन किया गया.

कोर्ट के स्टे के बावजूद होता रहा अवैध निर्माण, सोते रहे नगर निगम अधिकारी


इस दौरान नगर निगम कमिश्नर ने अपनी नोट शीट में अंकित किया है कि महापौर ने निर्माण कार्य को अवैध ठहराया है. वहीं असल खरीददार भूखंड निर्माण कार्य को लेकर प्रधानमंत्री और सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करवा चुके हैं. मुख्य सचिव और भिंड सांसद भागीरथ प्रसाद भी इस निर्माण को लेकर तलब कर चुके है. लेकिन नगर निगम अधिकारी अभी भी आंख बंद कर सो रहे है. उन्होंने न ही जमीन पर अवैध निर्माण और न ही इसे बेचने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है.

Intro:ग्वालियर
शहर के बीचो-बीच पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पीछे पटेल नगर का एक भूखंड नगर निगम के गले की फांस बन गया है। खास बात यह है कि इस विवादित भूखंड पर कोर्ट का स्टे है और इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर सीएम हेल्पलाइन और मुख्य सचिव तक हो चुकी है। बावजूद इसके भूखंड पर निर्माण होता रहा और अफसर इस ओर से आंखें मूंदे रहे ।अब महापौर ने अपने ही विभाग की रिपोर्ट में इस भूखंड पर बने निर्माण को अतिक्रमण बताया है और कार्रवाई की बात कही है।


Body:दरअसल पटेल नगर में 6000 वर्ग फुट के भूखंड का विक्रय पत्र 2011 मे कमल किशोर और सतीश पांडे ने रमेश यादव इंदर सिंह कल्याण सिंह अतर सिंह दामोदर सिंह और शकुंतला बाई से किया था। लेकिन बाद में अतर सिंह दामोदर ने इस भूखंड को किसी सुरेंद्र सिंह को विक्रय कर दी । मामला 2016 में जिला न्यायालय पहुंचा और 1 अक्टूबर 2016 को एडीजे कोर्ट ने भूखंड पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए। खास बात यह है कि असल खरीददार बार-बार नगर निगम में भूखंड पर निर्माण कार्य किए जाने और कोर्ट का हवाला देकर उसे रोकने के आवेदन देते रहे बावजूद इसके निर्माण नहीं रोका गया। खास बात यह है इस निर्माण के लिए ना तो नगर निगम से मंजूरी ली गई है और ना ही कोर्ट के आदेश का पालन किया गया है।


Conclusion:यह बात खुद नगर निगम कमिश्नर ने अपनी नोट शीट में अंकित की है। महापौर ने पूरी रिपोर्ट मंगाकर निर्माण को अवैध ठहराया है। भिंड सांसद भागीरथ प्रसाद भी इस मामले में अफसरों को वाजिब कार्यवाही का निर्देश दे चुके हैं। लेकिन निर्माण पूरा हो चुका है। असल खरीदार प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत भेज चुके हैं जबकि सीएम हेल्पलाइन में उनकी शिकायत पहले से ही लंबित है। मुख्य सचिव भी इस मामले में फरियादी को न्याय दिलाने की बात अपने पत्र में कर चुके हैं। लेकिन इन सब पर नगर निगम के अधिकारी भारी है और अब तक कोई कार्रवाई ना तो भवन निर्माण करने वालों के खिलाफ की गई है और ना ही इसे बेचने वालों के खिलाफ की गई है। बाईट विवेक शेजवलकर महापौर ग्वालियर बाईट सतीश पांडे शिकायत कर्ता
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