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अंधविश्वास के मकड़जाल में जिला अस्पताल, डॉक्टर से ज्यादा तांत्रिक पर भरोसा - Woman suffering from snake bite in damoh

दमोह जिला अस्पताल से अंधविश्वास का मामला सामने आया है. जहां अस्पताल में ही सर्पदंश से पीड़ित महिला का इलाज एक तांत्रिक से करवाया गया है. जबकि अस्पताल प्रबंधन ने इस पूरे मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है. जिला अस्पताल की सिविल सर्जन का कहना था कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है.

अस्पताल में अंधविश्वास का खेल
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Published : Jul 16, 2019, 5:58 PM IST

दमोह। अंधविश्वास की ये तस्वीरें दमोह के स्वास्थ्य सिस्टम पर तमाचा है. इंजेक्शन से पहले झाड़फूक से इलाज यहां के पिछड़ेपन को त्सदीक करती हैं. आज के दौर में भी यहां पर लोगों को इंजेक्शन से ज्यादा तंत्र- मंत्र पर भरोसा है. दमोह के पिछड़ेपन और लचर स्वास्थ्य सिस्टम की पोल खोलती ये तस्वीरें बिछुआ गांव की हैं. जहां रहने वाली इमरती लोधी को सांप ने काट लिया था.

अंधविश्वास के मकड़जाल में दमोह जिला अस्पताल

जिसे इलाज के लिए अस्पताल लेकर उसके परिजन पहुंचे, लेकिन वहां पर उन्होंने डॉक्टर से ज्यादा तांत्रिक पर भरोसा जताया और इंजेक्शन की जगह तंत्र मंत्र का सहारा लिया. तांत्रिक ने नीम की पत्तियों से झांड फूक का तमाशा अस्पताल परिसर के अंदर ही शुरु कर दिया. दमोह जिला अस्पताल में यह ड्रामा घंटों तक चलता रहा है. लेकिन अस्पताल प्रबंधन अनजान बना रहा.

दमोह जिला अस्पताल में अंधविश्वास की ये कोई पहली तस्वीर नहीं है. इसके पहले भी कई बार अंधविश्वास से जुड़े मामले सामने आते रहे हैं. लेकिन किसी भी मामले में अस्पताल प्रबंध ने कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई. यही वजह है कि आज भी अस्पताल अंधविश्वास के मकडजाल में फंसा हुआ है. जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.

दमोह। अंधविश्वास की ये तस्वीरें दमोह के स्वास्थ्य सिस्टम पर तमाचा है. इंजेक्शन से पहले झाड़फूक से इलाज यहां के पिछड़ेपन को त्सदीक करती हैं. आज के दौर में भी यहां पर लोगों को इंजेक्शन से ज्यादा तंत्र- मंत्र पर भरोसा है. दमोह के पिछड़ेपन और लचर स्वास्थ्य सिस्टम की पोल खोलती ये तस्वीरें बिछुआ गांव की हैं. जहां रहने वाली इमरती लोधी को सांप ने काट लिया था.

अंधविश्वास के मकड़जाल में दमोह जिला अस्पताल

जिसे इलाज के लिए अस्पताल लेकर उसके परिजन पहुंचे, लेकिन वहां पर उन्होंने डॉक्टर से ज्यादा तांत्रिक पर भरोसा जताया और इंजेक्शन की जगह तंत्र मंत्र का सहारा लिया. तांत्रिक ने नीम की पत्तियों से झांड फूक का तमाशा अस्पताल परिसर के अंदर ही शुरु कर दिया. दमोह जिला अस्पताल में यह ड्रामा घंटों तक चलता रहा है. लेकिन अस्पताल प्रबंधन अनजान बना रहा.

दमोह जिला अस्पताल में अंधविश्वास की ये कोई पहली तस्वीर नहीं है. इसके पहले भी कई बार अंधविश्वास से जुड़े मामले सामने आते रहे हैं. लेकिन किसी भी मामले में अस्पताल प्रबंध ने कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई. यही वजह है कि आज भी अस्पताल अंधविश्वास के मकडजाल में फंसा हुआ है. जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.

Intro:दमोह जिला अस्पताल में चलता रहा झाड़-फूंक का खेल, अंधविश्वास में दबे लोगों ने सर्पदंश से पीड़ित महिला की कराई झाड़-फूंक

झाड़-फूंक के खेल से जिला अस्पताल प्रबंधन रहा अनजान, अस्पताल परिसर में होती रही देर तक झाड़-फूंक

दमोह. जिला अस्पताल में झाड़-फूंक का खेल नया नहीं है. इसके बावजूद जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस तरह के अंधविश्वास के खेल को रोकना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. मामला जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड का है, जहां पर देर तक तांत्रिक एक महिला की अनेक तरह से झाड़-फूंक करते हुए जहर उतारता रहा. लेकिन अस्पताल प्रबंधन को इसकी भनक भी नहीं लगी.


Body:जिला अस्पताल परिसर के मेडिकल वार्ड मैं सर्पदंश से पीड़ित एक महिला का इलाज किया जा रहा था. बटियागढ़ थाना अंतर्गत बिछुआ गांव निवासी इमरती लोधी को सांप द्वारा काटने के बाद उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया. डॉक्टरों ने उसका इलाज किया, लेकिन परिजन अविश्वास के चलते अंधविश्वास में महिला की झाड़-फूंक कराने तांत्रिक को लेकर के आ गए. फिर क्या था, तांत्रिक ने नीम की पत्तियों, कांसे की थाली सहित अन्य उपकरणों से तंत्र मंत्र का सहारा लेकर महिला का जहर उतारना शुरू कर दिया. घंटों तक चले इस तंत्र मंत्र के खेल के बाद भी अस्पताल प्रबंधन को इसकी भनक भी नहीं लगी. झाड़ फूंक करने के बाद तांत्रिक भी चलता बना. वही सिविल सर्जन का कहना था कि उनको इस मामले की जानकारी नहीं है. मीडिया से ही इस तरह के झाड़ फूंक की बात सामने आ रही है. वहीं उन्होंने इस तरह के अंधविश्वास में ना पढ़ने की सलाह भी दे डाली.

बाइट- डॉक्टर ममता तिमोरी सिविल सर्जन जिला अस्पताल


Conclusion:बुंदेलखंड के पिछड़े जिलों में आने वाले दमोह में लगातार ही इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं, और इन मामलों के सामने आने के बाद लोग इसे आस्था और विश्वास के बीच तौलकर नजरअंदाज भी कर देते हैं. लेकिन जब शासकीय भवनों के अंदर जहां पर व्यक्ति के जीवन को बचाने का काम होता है, वहां पर भी इस तरह के अंधविश्वास के खेल चलते हैं तो सवाल करना लाजमी हो जाता है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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