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ETV भारत EXCLUSIVE : रक्षित ने रचा इतिहास, लद्दाख से कन्याकुमारी तक पैदल यात्रा, 218 दिन में 5200 KM सफर, मकसद सिर्फ एक - Tourism के लिए Safe है India - मकसद सिर्फ एक Tourism के लिए Safe है India

पर्यटन (Tourism) के लिहाज से दुनियाभर में भारत (India) के बारे में फैले भ्रम 'असुरक्षित भारत'( Unsafe India) को दूर करने और पर्यावरण का संदेश देने के लिए दमोह जिले के नरसिंहगढ़ कस्बे के एक युवा ने 218 दिन में 5200 किमी सफर कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने लद्दाख से पैदल चलना शुरू किया और लगातार 218 दिन सफर करने के बाद कन्याकुमारी में अपनी यात्रा समाप्त की. रक्षित के बाएं पैर में स्टील प्लेट लगी है. इसके बाद भी फिर भी 5 हजार किमी पैदल सफर किया. (Rakshit Shrivastav created history) (Traveling on foot from Ladakh to Kanyakumari) (Traveling 5200 km in 218 days only) (only one purpose India is safe for tourism)

Rakshit Shrivastav created history
नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने रचा इतिहास
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Published : Jun 3, 2022, 3:06 PM IST

दमोह। दमोह जिले के नरसिंहगढ़ कस्बे के राजेश श्रीवास्तव के बेटे रक्षित श्रीवास्तव ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने लद्दाख से पैदल यात्रा शुरू कर 218 दिन तक 5200 किमी का सफर तय किया है. खास बात ये है कि रक्षित श्रीवास्तव का 2 साल पहले एक दुर्घटना में बांया पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था और उनके पैर में स्टील प्लेट डालनी पड़ी थी. लेकिन भारत का नाम ऊंचा करने और पर्यटन के लिहाज से भारत को एक सैफ डेस्टिनेशन बताने के साथ-साथ गो ग्रीन के नारे को सफल बनाने के लिए उन्होंने यह कठिन चुनौती अपने माथे ली और उसको साकार करके ही दम लिया.

नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने रचा इतिहास

देश के उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर तक पहुंचे पैदल : रक्षित श्रीवास्तव बताते हैं कि 22 सितंबर 2021 को उन्होंने देश के उत्तरी छोर कारगिल लद्दाख से अपने सफर की शुरुआत की थी. चैलेंज बड़ा था, लेकिन उनके परिजनों ने विरोध नहीं किया और हौसला बढ़ाया. लगातार 218 दिन तक पैदल चल के देश के अलग-अलग राज्यों से होते हुए 28 अप्रैल 2022 को रक्षित श्रीवास्तव देश के दक्षिणी छोर कन्याकुमारी पहुंचे और उन्होंने अपनी यात्रा पूरी की. रक्षित ने यात्रा पूरी होने के बाद गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने का आवेदन भेजा था और ऑनलाइन रूप से उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में शामिल किए जाने की जानकारी दे दी गई है. 12 हफ्ते के भीतर उनका सर्टिफिकेट भी उनके घर पहुंच जाएगा।

Rakshit Shrivastav created history
मकसद सिर्फ एक Tourism के लिए Safe है India

अनसेफ इंडिया के भ्रम को हटाना चाहते हैं रक्षित : रक्षित श्रीवास्तव बताते हैं कि मेरी यात्रा का मकसद यह था कि मैं देश और दुनिया के लोगों को बताना चाहता था कि पर्यटन के लिहाज से भारत काफी सुरक्षित है. मैंने दुनिया भर में भारत के बारे में फैले भ्रम में सुना था कि भारत में अकेले सफर करना सुरक्षित नहीं है. अकेले सफर करने वालों के साथ लूटपाट हो जाती है. मैं निजी तौर पर पैदल घूम कर जानना चाहता था कि भारत कितना सुरक्षित है और देश के लोग कैसे हैं.

Rakshit Shrivastav created history
नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने रचा इतिहास

लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया : रक्षित कहते हैं कि मुझे देश के हर राज्य में बहुत प्यार मिला. मैं उन सब लोगों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझे प्यार दिया और मेरा हौसला बढ़ाया. फिर चाहे पंजाब हो, हरियाणा हो या देश का कोई भी राज्य हो. हर जगह मुझे भरपूर प्यार मिला। मुझे ऐसे ऐसे लोग मिले हैं कि मैं उनके बारे में बताते बताते थक जाऊंगा. जब लोग मुझे सड़क पर पैदल चलते देखते थे, तो मुझे अपने घर ले जाते थे. घर पर खाना खिलाते थे और रात हो जाने पर घर पर ही सुलाते थे. यह सब क्षण में कभी नहीं भूल सकता हूं. मैं सब से कहना चाहता हूं कि एक ना एक बार हमें पूरे भारत की यात्रा जरूर करना चाहिए. क्योंकि हमारे देश में सब कुछ है. फिर विदेश घूमने के बारे में सोचना चाहिए.

Rakshit Shrivastav created history
नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने रचा इतिहास

ETV भारत SPECIAL : यहां भी आक्रमण करने पहुंचा औरंगजेब, गणेश मंदिर तोड़ने की तैयारी, लेकिन तभी हुआ ऐसा चमत्कार कि भाग खड़ा हुआ मुगल शासक

गो ग्रीन का संदेश भी : रक्षित श्रीवास्तव ने बताया कि उनका दूसरा मकसद गो ग्रीन था. आप देख रहे हैं कि हमारे देश में लोग लगातार पेड़ काट रहे हैं. इससे लगातार तापमान बढ़ रहा है और दूसरे संसाधनों में भारी कमी आ रही है. हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए. अपने घर, अपने बगीचे और गांव में जहां जगह मिले पेड़ लगाना चाहिए. मैंने केरल और राजस्थान में बड़ा अंतर देखा.

Rakshit Shrivastav created history
नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने रचा इतिहास

दक्षिण में हरियाली बहुत है : राजस्थान में पेड़ बहुत कम हैं. वहां इतनी ज्यादा गर्मी थी कि मुझे रात में भी नींद नहीं आती थी. वहां मुझे काफी तकलीफ हुई. जब मैं केरल पहुंचा तो वहां चारों तरफ बहुत हरियाली ही हरियाली है. वहां की जलवायु गर्म होने के बाद भी राहत मिलती है. हरियाली होने के कारण गर्मी का एहसास नहीं होता था. गर्मियों में देश के उत्तरी इलाके में पेड़ कट जाने के कारण काफी गर्मी होती है,लेकिन दक्षिण में ऐसा नहीं है. (Rakshit Shrivastav created history) (Traveling on foot from Ladakh to Kanyakumari) (Traveling 5200 km in 218 days only) (only one purpose India is safe for tourism)

दमोह। दमोह जिले के नरसिंहगढ़ कस्बे के राजेश श्रीवास्तव के बेटे रक्षित श्रीवास्तव ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने लद्दाख से पैदल यात्रा शुरू कर 218 दिन तक 5200 किमी का सफर तय किया है. खास बात ये है कि रक्षित श्रीवास्तव का 2 साल पहले एक दुर्घटना में बांया पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था और उनके पैर में स्टील प्लेट डालनी पड़ी थी. लेकिन भारत का नाम ऊंचा करने और पर्यटन के लिहाज से भारत को एक सैफ डेस्टिनेशन बताने के साथ-साथ गो ग्रीन के नारे को सफल बनाने के लिए उन्होंने यह कठिन चुनौती अपने माथे ली और उसको साकार करके ही दम लिया.

नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने रचा इतिहास

देश के उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर तक पहुंचे पैदल : रक्षित श्रीवास्तव बताते हैं कि 22 सितंबर 2021 को उन्होंने देश के उत्तरी छोर कारगिल लद्दाख से अपने सफर की शुरुआत की थी. चैलेंज बड़ा था, लेकिन उनके परिजनों ने विरोध नहीं किया और हौसला बढ़ाया. लगातार 218 दिन तक पैदल चल के देश के अलग-अलग राज्यों से होते हुए 28 अप्रैल 2022 को रक्षित श्रीवास्तव देश के दक्षिणी छोर कन्याकुमारी पहुंचे और उन्होंने अपनी यात्रा पूरी की. रक्षित ने यात्रा पूरी होने के बाद गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने का आवेदन भेजा था और ऑनलाइन रूप से उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में शामिल किए जाने की जानकारी दे दी गई है. 12 हफ्ते के भीतर उनका सर्टिफिकेट भी उनके घर पहुंच जाएगा।

Rakshit Shrivastav created history
मकसद सिर्फ एक Tourism के लिए Safe है India

अनसेफ इंडिया के भ्रम को हटाना चाहते हैं रक्षित : रक्षित श्रीवास्तव बताते हैं कि मेरी यात्रा का मकसद यह था कि मैं देश और दुनिया के लोगों को बताना चाहता था कि पर्यटन के लिहाज से भारत काफी सुरक्षित है. मैंने दुनिया भर में भारत के बारे में फैले भ्रम में सुना था कि भारत में अकेले सफर करना सुरक्षित नहीं है. अकेले सफर करने वालों के साथ लूटपाट हो जाती है. मैं निजी तौर पर पैदल घूम कर जानना चाहता था कि भारत कितना सुरक्षित है और देश के लोग कैसे हैं.

Rakshit Shrivastav created history
नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने रचा इतिहास

लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया : रक्षित कहते हैं कि मुझे देश के हर राज्य में बहुत प्यार मिला. मैं उन सब लोगों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझे प्यार दिया और मेरा हौसला बढ़ाया. फिर चाहे पंजाब हो, हरियाणा हो या देश का कोई भी राज्य हो. हर जगह मुझे भरपूर प्यार मिला। मुझे ऐसे ऐसे लोग मिले हैं कि मैं उनके बारे में बताते बताते थक जाऊंगा. जब लोग मुझे सड़क पर पैदल चलते देखते थे, तो मुझे अपने घर ले जाते थे. घर पर खाना खिलाते थे और रात हो जाने पर घर पर ही सुलाते थे. यह सब क्षण में कभी नहीं भूल सकता हूं. मैं सब से कहना चाहता हूं कि एक ना एक बार हमें पूरे भारत की यात्रा जरूर करना चाहिए. क्योंकि हमारे देश में सब कुछ है. फिर विदेश घूमने के बारे में सोचना चाहिए.

Rakshit Shrivastav created history
नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने रचा इतिहास

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गो ग्रीन का संदेश भी : रक्षित श्रीवास्तव ने बताया कि उनका दूसरा मकसद गो ग्रीन था. आप देख रहे हैं कि हमारे देश में लोग लगातार पेड़ काट रहे हैं. इससे लगातार तापमान बढ़ रहा है और दूसरे संसाधनों में भारी कमी आ रही है. हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए. अपने घर, अपने बगीचे और गांव में जहां जगह मिले पेड़ लगाना चाहिए. मैंने केरल और राजस्थान में बड़ा अंतर देखा.

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नरसिंहगढ़ के रक्षित श्रीवास्तव ने रचा इतिहास

दक्षिण में हरियाली बहुत है : राजस्थान में पेड़ बहुत कम हैं. वहां इतनी ज्यादा गर्मी थी कि मुझे रात में भी नींद नहीं आती थी. वहां मुझे काफी तकलीफ हुई. जब मैं केरल पहुंचा तो वहां चारों तरफ बहुत हरियाली ही हरियाली है. वहां की जलवायु गर्म होने के बाद भी राहत मिलती है. हरियाली होने के कारण गर्मी का एहसास नहीं होता था. गर्मियों में देश के उत्तरी इलाके में पेड़ कट जाने के कारण काफी गर्मी होती है,लेकिन दक्षिण में ऐसा नहीं है. (Rakshit Shrivastav created history) (Traveling on foot from Ladakh to Kanyakumari) (Traveling 5200 km in 218 days only) (only one purpose India is safe for tourism)

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