छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी के चलते भले ही जिला प्रशासन के आदेश पर गोटमार मेले पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन इस खूनी खेल पर कोरोना का साया कही नजर नहीं आया है. छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में खुलेआम गोटमार मेला जारी रहा, इस पत्थरबाजी में 234 लोग घायल हुए है, जिनमें घायलों का सरकारी आंकड़ा 34 है. वहीं दो लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है.
कोरोनाकाल में आस्था की परंपरा कायम
बुधवार को हुए पत्थरबाजी के इस खूनी खेल में कोरोना महामारी पर आस्था की परंपरा कायम रही. सुबह 10.25 बजे से शुरू हुई वहीं शाम 6.13 बजे आपसी समझौते के कारण पलाश के झंडे को पांढुर्णा पक्ष को सौंपकर इस गोटमार को बंद किया गया. दिनभर चले इस गोटमार में पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों ने एक दूसरे पर पत्थरबाजी कर अपना खून बहाकर सदियों पुरानी परंपरा को कायम रखा.
सरकारी आंकड़ों में घायलों का संख्या
गोटमार मेले में सुबह से लेकर शाम तक कुल 200 लोग घायल हुए हैं, वहीं सरकारी आंकड़ों में घायलों का संख्या 34 बताई जा रही है, जिनका उपचार पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में जारी है. वहीं गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को जिला अस्पताल रेफर किया गया है.
पुलिस की टीम पर भी हुआ पथराव
बुधवार को जाम नदी की पुलिया पर सुबह से पत्थरों का खेल जारी रहा, जिसे रोकने के लिए प्रशासन के अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. हालांकि इस खेल में दोपहर में गुजरी चौक में तनाव की स्थिति बन गई थी, जहां पुलिस की टीम और वज्र वाहन पर जमकर पथराव हुआ, जिससे दो जगह से पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को भागना पड़ा. वहीं शहर के आसपास मेला नहीं लगने से सड़क सुनी रही और जनता कर्फ्यू से पूरे शहर की दुकानें बंद रही है.
बोरियों में भरकर लाये पत्थर
इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण प्रशासन ने पुलिया के आसपास के सभी पत्थरों को हटा दिया था, इसके बावजूद लोग अपने साथ बोरियों में पत्थर लाए और जमकर पत्थरबाजी की गई. दिनभर चले इस खेल में सावरगांव पक्ष के लोग पत्थर मारने में आगे थे.
400 पुलिस और 29 डॉक्टर तैनात
पत्थरबाजी के इस खेल में घायलों के उपचार के लिए 29 डॉक्टरों की टीम मौजूद रही, जिन्होंने गोटमार के पत्थर से घायल हुए लोगों का उपचार किया. 12 एंबुलेंस और 56 स्वास्थ्य कर्मचारियों की इस मेले में ड्यूटी लगाई गई थी. इसी कड़ी में पांढुर्णा और सावरगांव की ओर से स्वास्थ कैंप लगाए गए थे. वहीं पुलिस प्रशासन की ओर से 400 पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी, जो हर मोर्चे का सामना करने के लिए तैयार नजर आए.