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राजोआना की दया याचिका पर 18 मार्च तक फैसला ले केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिए सख्त निर्देश - BALWANT SINGH RAJOANA

सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने को अंतिम मौका दिया है.

Balwant Singh Rajoana
सुप्रीम कोर्ट और बलवंत सिंह राजोआना. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 20, 2025, 1:48 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर 18 मार्च तक फैसला लेने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हम आपको आखिरी मौका दे रहे हैं. बता दें कि बलवंत सिंह राजोआना को 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में दोषी ठहराया गया था.

दया याचिका पर फैसला लेने में देरीः न्यायमूर्ति गवई के अलावा पीठ में न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे. पीठ राजोआना की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में दलील दी गई है कि राजोआना की दया याचिका पर फैसला लेने में काफी देरी हो चुकी है.

वकील ने क्या दी दलीलः राजोआना के वकील ने कहा कि वह 29 साल जेल में बिता चुका है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला काफी संवेदनशील है. तुषार मेहता ने पीठ से छह सप्ताह का समय मांगा है. इस पर पीठ ने कहा, 'हम 18 मार्च को मामले की मेरिट पर सुनवाई करेंगे, तब तक अगर आप फैसला ले लेते हैं तो ठीक है, नहीं तो मेरिट पर सुनवाई होगी.'

राजोआना को फांसी की सजाः पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को हत्या कर दी गई थी. बलवंत सिंह राजोआना के बयान के मुताबिक उसने और पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को मानव बम से उड़ा दिया था. साजिश इस तरह से रची गई थी कि अगर दिलावर विफल हुआ तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाएगा. इस मामले में कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी.

इसे भी पढ़ेंः Beant Singh Assassination Case: SC ने राजोआना की मौत की सजा को बदलने से किया इनकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर 18 मार्च तक फैसला लेने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हम आपको आखिरी मौका दे रहे हैं. बता दें कि बलवंत सिंह राजोआना को 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में दोषी ठहराया गया था.

दया याचिका पर फैसला लेने में देरीः न्यायमूर्ति गवई के अलावा पीठ में न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे. पीठ राजोआना की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में दलील दी गई है कि राजोआना की दया याचिका पर फैसला लेने में काफी देरी हो चुकी है.

वकील ने क्या दी दलीलः राजोआना के वकील ने कहा कि वह 29 साल जेल में बिता चुका है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला काफी संवेदनशील है. तुषार मेहता ने पीठ से छह सप्ताह का समय मांगा है. इस पर पीठ ने कहा, 'हम 18 मार्च को मामले की मेरिट पर सुनवाई करेंगे, तब तक अगर आप फैसला ले लेते हैं तो ठीक है, नहीं तो मेरिट पर सुनवाई होगी.'

राजोआना को फांसी की सजाः पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को हत्या कर दी गई थी. बलवंत सिंह राजोआना के बयान के मुताबिक उसने और पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को मानव बम से उड़ा दिया था. साजिश इस तरह से रची गई थी कि अगर दिलावर विफल हुआ तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाएगा. इस मामले में कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी.

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