नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सरकार पहली बार उद्यम शुरू करने वाली पांच लाख महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए दो करोड़ रुपये का ऋण शुरू करेगी. इससे महिला उद्यमियों को क्या लाभ होगा.
वित्त मंत्री ने 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए यह भी कहा कि एसएमई और बड़े उद्योगों के लिए एक विनिर्माण मिशन स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा सरकार श्रम-प्रधान क्षेत्रों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सुविधाजनक उपाय करेगी.
A new scheme will be launched for 5 lakh women, scheduled castes and scheduled tribes, and first-time entrepreneurs.
— PIB India (@PIB_India) February 1, 2025
This will provide term loans of up to 2 crore rupees during the next 5 years. The scheme will incorporate lessons from the successful stand-up India scheme.… pic.twitter.com/BoL6xzitWP
उन्होंने कहा कि ऋण गारंटी ‘कवर’ को दोगुना करके 20 करोड़ रुपये किया जाएगा तथा गारंटी शुल्क को घटाकर एक प्रतिशत किया जाएगा. मंत्री ने बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान की स्थापना करने की घोषणा भी की.
विश्व आर्थिक मंच ने पाया कि भारत में लैंगिक समानता अनुपात में थोड़ा सुधार हुआ है, हालांकि यह अभी भी वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट में निचले पायदान पर है, आर्थिक स्थिति के कारण विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की समानता में अंतर बढ़ रहा है.
2022 में प्रकाशित आईएफसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 90 प्रतिशत महिला उद्यमियों ने किसी औपचारिक वित्तीय संस्थान से उधार नहीं लिया था. 2020 के लॉकडाउन के दौरान 72 प्रतिशत महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों के पास वित्तीय भंडार की कमी थी, जबकि 53 प्रतिशत पुरुष-स्वामित्व वाले व्यवसायों के पास वित्तीय भंडार नहीं था.
भारत में महिलाओं को उनके द्वारा दी जाने वाली जमा राशि के सिर्फ़ 27 प्रतिशत के बराबर ऋण मिलता है, जबकि पुरुषों को उनकी जमा राशि के 52 प्रतिशत के बराबर ऋण मिलता है. यह अंतर वित्तीय संस्थानों द्वारा महिलाओं को समान रूप से ऋण न दिए जाने से जुड़ा हो सकता है.
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