छतरपुर: खजुराहो में स्थित आदिवासी लोककला संग्रहालय 'आदिवर्त' में देशज कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें देशी पर्यटकों के साथ कई विदेशी सैलानी भी शामिल हुए. कार्यक्रम में बघेलखंड, बुंदेलखंड के गीतों और नृत्य का अद्भुत संगम देखने को मिला. स्थानीय कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुती से समा बांध दिया. स्थानीय लोकगीतों पर पर्यटक झूमते नजर आए. गोंड जनजातियों द्वारा सैला नृत्य का भी प्रदर्शन किया गया.
लोकगीतों पर पर्यटकों ने लगाए जमकर ठुमके
मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा खजुराहो में आदिवर्त की स्थापना की गई है. यहां हर शनिवार और रविवार को 'देशज' कार्यक्रम का आयोजन होता है. जिसमें स्थानीय कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं और पर्यटकों का मनोरंजन करते हैं. इस रविवार देशज कार्यक्रम में देशी-विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा था. रीवा की बघेली गायिका इशिका पांडेय और अनूपपुर के नंदकुमार द्वार लोकगीतों की शानदार प्रस्तुति दी गई. कई पर्यटक इन गीतों पर खुद को झूमने से रोक नहीं पाए और उन्होंने जमकर ठुमके लगाएं.
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गोंड जनजातियों ने सैला नृत्य का किया प्रदर्शन
कार्यक्रम में गोंड जनजाति द्वारा सैला नृत्य का प्रदर्शन किया गया. यह नृत्य शरद ऋतु की चांदनी रातों में किया जाता है. आदिवासियों द्वारा यह नृत्य आदिदेव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. कार्यक्रम में बुंदेलखंड और बघेलखंड क्षेत्र से आये कई कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुती दी. दमोह जिले से आये बुंदेली कलाकार बद्री प्रसाद ने बताया कि "जब से आदिवर्त जनजातीय लोककला संग्रहालय में देशज कार्यक्रम का आयोजन शुरू हुआ है, तब से हम बुन्देली कलाकारों को अपनी कला दिखाने का मौका मिलने लगा है. इससे रोजगार भी बढ़ा है और हमारी मांग भी बढ़ गई है."