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इंजीनियर्स को दी गई मोबाइल लेबोरेटरी की ट्रेनिंग, अब मौके पर होगी सड़क गुणवत्ता की जांच

छिंदवाड़ा में सभी इंजीनियरों और कंस्ट्रक्शन इंजीनियरों को मोबाइल लेबोरेटरी की ट्रेनिंग दी गई. इस ट्रेनिंग के बाद अब इंजीनियर मौके पर ही सड़क में उपयोग होने वाले मटेरियल की गुणवत्ता का टेस्ट कर सकेंगे.

mobile laboratory
मोबाइल लेबोरेटरी
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Published : Nov 11, 2020, 12:49 PM IST

छिंदवाड़ा। लोक निर्माण विभाग के अधिकारीयों ने सभी इंजीनियरों और कंस्ट्रक्शन इंजीनियरों को चलित प्रयोगशाला (मोबाइल लेबोरेटरी ) की ट्रेनिंग दी. इस चलित प्रयोगशाला के जरिए सड़क में उपयोग होने वाले मटेरियल की गुणवत्ता मौके पर कैसे टेस्ट की जाए, इसकी ट्रेनिंग दी गई. जिसके बाद अब जगह-जगह पर टेस्टिंग होगी. अधिकारियों ने कि बताया पहले टेस्टिंग में दो से तीन दिन का समय लग जाता था. अब ये प्रोसेस आसानी से और जल्दी हो जाएगी.

मोबाइल लेबोरेटरी की ट्रेनिंग

इंजीनियर और कांट्रेक्टर इंजीनियरों को दी गई ट्रेनिंग

लोक निर्माण विभाग कार्यालय में इंजीनियर और कांट्रेक्टर इंजीनियरों को ट्रेनिंग दी गई. इस ट्रेनिंग में उन्हें बताया गया कि सड़क में उपयोग होने वाले मेटेरियल की गुणवत्ता, फ्रीक्वेंसी के आधार पर किस तरह से नापी जा सकती है. सबको उपकरणों के जरिए ट्रेनिंग दी गई और बताया गया कि किस प्रकार वे अब मौके पर ही सड़क की गुणवत्ता का परीक्षण कर सकते हैं.

पहले दो-तीन दिनों का लग जाता था वक्त

कार्य पालन यांत्रिकी ने बताया की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए पहले मौके से सैंपल लेकर आना पड़ता था. उसके बाद ऑफिस में इनकी टेस्टिंग की जाती थी, जिसमें काफी समय लग जाता था. उन्होंने बताया कि अब जगह पर ही उसकी गुणवत्ता का परीक्षण किया जा सकता है. इससे समय भी बचेगा और जगह पर मटेरियल गुणवत्ता की जांच भी हो जाएगी.

छिंदवाड़ा। लोक निर्माण विभाग के अधिकारीयों ने सभी इंजीनियरों और कंस्ट्रक्शन इंजीनियरों को चलित प्रयोगशाला (मोबाइल लेबोरेटरी ) की ट्रेनिंग दी. इस चलित प्रयोगशाला के जरिए सड़क में उपयोग होने वाले मटेरियल की गुणवत्ता मौके पर कैसे टेस्ट की जाए, इसकी ट्रेनिंग दी गई. जिसके बाद अब जगह-जगह पर टेस्टिंग होगी. अधिकारियों ने कि बताया पहले टेस्टिंग में दो से तीन दिन का समय लग जाता था. अब ये प्रोसेस आसानी से और जल्दी हो जाएगी.

मोबाइल लेबोरेटरी की ट्रेनिंग

इंजीनियर और कांट्रेक्टर इंजीनियरों को दी गई ट्रेनिंग

लोक निर्माण विभाग कार्यालय में इंजीनियर और कांट्रेक्टर इंजीनियरों को ट्रेनिंग दी गई. इस ट्रेनिंग में उन्हें बताया गया कि सड़क में उपयोग होने वाले मेटेरियल की गुणवत्ता, फ्रीक्वेंसी के आधार पर किस तरह से नापी जा सकती है. सबको उपकरणों के जरिए ट्रेनिंग दी गई और बताया गया कि किस प्रकार वे अब मौके पर ही सड़क की गुणवत्ता का परीक्षण कर सकते हैं.

पहले दो-तीन दिनों का लग जाता था वक्त

कार्य पालन यांत्रिकी ने बताया की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए पहले मौके से सैंपल लेकर आना पड़ता था. उसके बाद ऑफिस में इनकी टेस्टिंग की जाती थी, जिसमें काफी समय लग जाता था. उन्होंने बताया कि अब जगह पर ही उसकी गुणवत्ता का परीक्षण किया जा सकता है. इससे समय भी बचेगा और जगह पर मटेरियल गुणवत्ता की जांच भी हो जाएगी.

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