छिंदवाड़ा। मौसम की बेरुखी के चलते रबी की फसल में किसानों को खासी परेशानियों (Farmers Problems) का सामना करना पड़ सकता है. कम बारिश होने से जिले का सबसे बड़ा माचागोरा बांध (Machagora Dam) महज 58 फीसदी ही भर पाया है. यहीं स्थिति रही, तो रबी की फसल (Rabi crop) के लिए किसानों के पास पानी नहीं बचेगा. अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल डैम इस सीजन में 83 फीसदी से ज्यादा भर चुका था, जबकि इस साल 58 फीसदी ही भर पाया है. डैम में 625.75 मीटर की क्षमता है, जो महज 622 मीटर तक ही भर पाया है. पिछले साल डैम का लेवल सितंबर की शुरुआत में 624.30 मीटर था.
डैम में है 238.34 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी
अब तक छिंदवाड़ा जिले में हुई बारिश से 421.2 एमसीएम (Million Cubic Meter) लाइव कैपेसिटी वाले माचागोरा बांध में 238.34 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी स्टोरेज हो पाया है. जबकि पिछले साल अच्छी बारिश के चलते सितंबर माह की शुरुआत में डैम के सभी 8 गेट खोलकर पानी छोड़ा गया था. 36 घंटे में 300 एमसीएम पानी छोड़े जाने के बाद भी डैम में 350 एमसीएम पानी मौजूद था. बारिश नहीं होने की वजह से इस बार डैम के भरने के लाले पड़ गए हैं.
85,000 हेक्टेयर जमीन होती है सिंचित
रबी के सीजन को एक माह से भी कम का समय शेष रह गया है. यदि इस समय अंतराल में बारिश पर्याप्त नहीं हुई, तो आने वाले रबी सीजन में माचागोरा बांध से सिंचाई कर पाना कठिन हो जाएगी. माचागोरा बांध पर पेंच परियोजना की नहरों से छिंदवाड़ा, सिवनी समेत बालाघाट जिले के 85,000 हेक्टेयर से अधिक जमीन सिंचाई के लिए निर्भर है. यदि डैम में पानी नहीं आता है, तो 85 हजार हेक्टेयर कृषि भूमी प्रभावित होगी.
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जिले के छोटे तालाबों के हालत भी चिंताजनक
छिंदवाड़ा जिले में छोटे जलाशयों की हालत भी चिंताजनक बनी हुई है. जिले में एक मीडियम सहित 140 माइनर तालाब हैं. जिनमें अब तक सिर्फ 22 तालाब ही 100 फीसदी भर पाए हैं. आठ तालाब 75 फीसदी तक भरे हैं, जबकि 25 जलाशयों में 50 फीसदी तक पानी नहीं पहुंचा है. शेष तालाबों की हालत खराब है. पिछले साल अब तक की स्थिति में जिले के 68 तालाब 100 फीसदी तक भर चुके थे.