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जानिए बुंदेलखंड का जलियांवाला बाग कांड, यहां जनसभा के दौरान अंग्रेजों ने बरसाई थी गोलियां - Agitator

छतरपुर का चरण पादुका, यहां अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग को दोहराते हुए में हजारों निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसा कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था. इस दौरान गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए थे.

बुंदेलखंड का जलियांवाला बाग
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Published : Aug 13, 2019, 6:58 AM IST

छतरपुर। हम सभी लोगों ने जलियांवाला बाग कांड के बारे में सुना भी है और पढ़ा भी. लेकिन शायद कम ही लोग जानते होंगे कि एक ऐसा ही जलियावाला बाग बुंदेलखंड में भी है. यहां अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग को दोहराते हुए चरण पादुका में हजारों निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसा कर उन्हे मौते के घाट उतार दिया थी ोलीबारी में जिसमें सैकड़ों लोग मौके पर ही मारे गए थे.

जनसभा के दौरान अंग्रेजों ने बरसाई थी गोलियां

1930 के आसपास महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन अपने पूरे शबाब पर था जिसका खासा असर बुंदेलखंड पर भी देखने को मिला. यहां भी विदेशी चीजों का बहिष्कार और देशी सामानों को कैसे बढ़ावा दिया जाए इसको लेकर आसपास के गांव के लोग नरम दल के लोग लगातार बैठकर कर रहे थे.

1930 में छतरपुर जिले के चरण पादुका नामक कस्बे में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया था जिसमें लगभग सात हजार लोग इसमें जनसभा में शामिल हुए. इस जनसभा में आंदोलनकारी नेताओं ने अपने भाषणों में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने, लगन भुगतान न करने की अपील की छतरपुर की थी.

अग्रेजों के खिलाफ आसपास के लोगों में भारी आक्रोश भर गया था इस दौरान सभी लोगों ने अंग्रेजों को भुगतान नहीं करने निर्णय लिया. जिसके बाद राजनगर के निकट खजुवा गांव में लोगों पर लोगों पर गोलियां बरसाई गई.

घटना में सैकड़ों आंदोलनकारी घायल हो गए थे जिनमें कुछ बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे. अंग्रेज शासन की इतनी बड़ी दमनकारी कार्रवाई के बाद भी आंदोलनकारियों के हौसले पस्त नहीं हुए बल्कि एक बार फिर बुंदेलखंड के आंदोलनकारी एक बड़ा आंदोलन किया और अंग्रेज शासन को झुकने पर मजबूर कर दिया.

स्वतंत्रता के बाद चरण पादुका स्थित बलिदान स्थल पर एक स्मारक बनाया गया. जहां पर एक बोर्ड पर बलिदान देने वाले देशभक्तों के नाम अंकित है.

छतरपुर। हम सभी लोगों ने जलियांवाला बाग कांड के बारे में सुना भी है और पढ़ा भी. लेकिन शायद कम ही लोग जानते होंगे कि एक ऐसा ही जलियावाला बाग बुंदेलखंड में भी है. यहां अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग को दोहराते हुए चरण पादुका में हजारों निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसा कर उन्हे मौते के घाट उतार दिया थी ोलीबारी में जिसमें सैकड़ों लोग मौके पर ही मारे गए थे.

जनसभा के दौरान अंग्रेजों ने बरसाई थी गोलियां

1930 के आसपास महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन अपने पूरे शबाब पर था जिसका खासा असर बुंदेलखंड पर भी देखने को मिला. यहां भी विदेशी चीजों का बहिष्कार और देशी सामानों को कैसे बढ़ावा दिया जाए इसको लेकर आसपास के गांव के लोग नरम दल के लोग लगातार बैठकर कर रहे थे.

1930 में छतरपुर जिले के चरण पादुका नामक कस्बे में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया था जिसमें लगभग सात हजार लोग इसमें जनसभा में शामिल हुए. इस जनसभा में आंदोलनकारी नेताओं ने अपने भाषणों में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने, लगन भुगतान न करने की अपील की छतरपुर की थी.

अग्रेजों के खिलाफ आसपास के लोगों में भारी आक्रोश भर गया था इस दौरान सभी लोगों ने अंग्रेजों को भुगतान नहीं करने निर्णय लिया. जिसके बाद राजनगर के निकट खजुवा गांव में लोगों पर लोगों पर गोलियां बरसाई गई.

घटना में सैकड़ों आंदोलनकारी घायल हो गए थे जिनमें कुछ बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे. अंग्रेज शासन की इतनी बड़ी दमनकारी कार्रवाई के बाद भी आंदोलनकारियों के हौसले पस्त नहीं हुए बल्कि एक बार फिर बुंदेलखंड के आंदोलनकारी एक बड़ा आंदोलन किया और अंग्रेज शासन को झुकने पर मजबूर कर दिया.

स्वतंत्रता के बाद चरण पादुका स्थित बलिदान स्थल पर एक स्मारक बनाया गया. जहां पर एक बोर्ड पर बलिदान देने वाले देशभक्तों के नाम अंकित है.

Intro: हम सभी ने जलियांवाला बाग के बारे में जरूर सुना एवं पढ़ा होगा लेकिन कम लोग ही ऐसे होंगे जो बुंदेलखंड के जलियांवाला बाग कांड के बारे में जानते होंगे जलियांवाला बाग की तरह ही चरण पादुका में हजारों निहत्थे लोगों पर अंग्रेजी सैनिकों द्वारा गोलियां चलाई गई थी इसमें सैकड़ों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे!


Body:सन 1930 के आसपास गांधी जी का असहयोग आंदोलन अपने पूरे शबाब पर था जिसका खासा असर बुंदेलखंड पर भी देखने को मिल रहा था विदेशी चीजों का बहिष्कार एवं देसी सामानों को कैसे बढ़ावा दिया जाए इसको लेकर आसपास के गांव के लोग एवं नरम दल के लोग लगातार बैठकर कर रहे थे!

अक्टूबर 1930 को छतरपुर जिले के चरण पादुका नामक कस्बे में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 7000 लोगों ने भाग लिया आंदोलनकारी नेताओं ने अपने भाषणों में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने तथा लगन भुगतान न करने की अपील की छतरपुर जिले के राजपुर में दूसरी सभा की निगरानी के लिए स्वयं जिला मजिस्ट्रेट उपस्थित था किंतु उसकी उपस्थिति उल्टा असर हुआ क्रोध निर्णय मजिस्ट्रेट की कार पर पथराव कर दिए!


किंतु जन असंतोष चरम पर पहुंच गया कर का भुगतान न करने का अभियान दूसरे क्षेत्रों में भी फैला हालत यह हो गई कि लोगों द्वारा लगान देने से इनकार करने पर राज नगर के निकट खजुवा गांव में लोगों पर सरकारी लोगों गोलियां बरसाई|

इसके बाद 2 ग्रामीण अंचल में अत्याचारों की पराकाष्ठा हो गई फिर आया 14 जनवरी 1931 का काला दिन जबकि मकर संक्रांति के मेले में चरण पादुका में हो रही सभा को सेना ने घेर लिया आम सभा में उपस्थित के लोगों पर बेरहमी से मशीनगन और बंदूक से गोलियां चलाई जाने लगी इस गोली चालन में 21 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 26 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे हालांकि बाद में यह आंकड़ा 198 लोगों की मौत तक पहुंचा था!

घटना में सैकड़ों की तादाद में आंदोलनकारी घायल हुए थे जिसमें से कुछ बच्चे एवं बुजुर्ग भी मौजूद थे अंग्रेज शासन की इतनी बड़ी दमनकारी कार्यवाही के बाद भी आंदोलनकारियों के हौसले पस्त नहीं हुए बल्कि एक बार फिर बुंदेलखंड के आंदोलनकारी एक बड़ा आंदोलन किया और अंग्रेज शासन को झुकने पर मजबूर कर दिया!

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद चरण पादुका बलिदान स्थल पर एक स्मारक बनाया गया जहां पर लगे हुए 1 बोर्ड में बलिदानी देशभक्तों के नाम अंकित है जिनमें अमर शहीद रिसेट सुंदर लाल गुप्ता गिलोहा श्री धर्मदास मांतो खिरवा श्री राम लाल गोमा श्री चिंतामणि,पिपट,श्री रघुराज सिंह,कटिया, श्री करण सिंह श्री हल्का अहीर श्री हल्के कुर्मी श्रीमती राम कुंवर श्री गणेशा चमार आदि के नाम शामिल थे! लेकिन इस सभा में कुछ और भी गांव के लोग मौजूद थे जिनकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई इस वजह से परिवार के लोग अबे स्थान प्रशासन एवं राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनके परिजनों को भी शहीद का दर्जा दिया जाए जिस वजह से पहले जो शहीदों की सूची लगी थी उसे हटा दिया गया है और अब प्रशासन में सुधार करने की बात कह रहा है!
इस स्मारक का रिलायंस भारत की तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री बाबू जगजीवन राम के कर कमलों द्वारा 8 अप्रैल 1978 को किया गया था इसके पश्चात शहीद स्मारक चरण पादुका का अनावरण मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह के द्वारा 14 जनवरी 1984 को संपन्न हुआ था!

तब से लेकर आज तक हर 15 अगस्त एवं 14 जनवरी को यहां एक छोटे से मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें जिले सहित पूरे मध्यप्रदेश के बड़े नेता एवं अधिकारी मौजूद होते हैं१

बाइट_मनीष तिवारी_शाहिद के परिवार के सदस्य
बाइट_भूपेन्द्र तिवारी_आंदोलन में शामिल हुए आंदोलनकारी के परिवार के सदस्य|



Conclusion:लगभग 88 साल पहले हुए इस नरसंहार की यादें आज भी उस समय ताजा हो जाती है जब चरण पादुका पर लोग पहुंचते हैं वैसे तो इस आंदोलन में हजारों की संख्या में लोग उपस्थित हुए थे लेकिन महज कुछ लोगों की नाभि उस समय यहां पर अंकित हो पाए थे लेकिन अब उन परिवारों के लोग भी अपने परिजनों को ही नाम के आगे शहीद का दर्जा लेना चाहते हैं जिनके पिता दादा परदादा इस आंदोलन में किसी न किसी तरीके से भागीदारी रहे थे!
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