छतरपुर। हम सभी लोगों ने जलियांवाला बाग कांड के बारे में सुना भी है और पढ़ा भी. लेकिन शायद कम ही लोग जानते होंगे कि एक ऐसा ही जलियावाला बाग बुंदेलखंड में भी है. यहां अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग को दोहराते हुए चरण पादुका में हजारों निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसा कर उन्हे मौते के घाट उतार दिया थी ोलीबारी में जिसमें सैकड़ों लोग मौके पर ही मारे गए थे.
1930 के आसपास महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन अपने पूरे शबाब पर था जिसका खासा असर बुंदेलखंड पर भी देखने को मिला. यहां भी विदेशी चीजों का बहिष्कार और देशी सामानों को कैसे बढ़ावा दिया जाए इसको लेकर आसपास के गांव के लोग नरम दल के लोग लगातार बैठकर कर रहे थे.
1930 में छतरपुर जिले के चरण पादुका नामक कस्बे में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया था जिसमें लगभग सात हजार लोग इसमें जनसभा में शामिल हुए. इस जनसभा में आंदोलनकारी नेताओं ने अपने भाषणों में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने, लगन भुगतान न करने की अपील की छतरपुर की थी.
अग्रेजों के खिलाफ आसपास के लोगों में भारी आक्रोश भर गया था इस दौरान सभी लोगों ने अंग्रेजों को भुगतान नहीं करने निर्णय लिया. जिसके बाद राजनगर के निकट खजुवा गांव में लोगों पर लोगों पर गोलियां बरसाई गई.
घटना में सैकड़ों आंदोलनकारी घायल हो गए थे जिनमें कुछ बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे. अंग्रेज शासन की इतनी बड़ी दमनकारी कार्रवाई के बाद भी आंदोलनकारियों के हौसले पस्त नहीं हुए बल्कि एक बार फिर बुंदेलखंड के आंदोलनकारी एक बड़ा आंदोलन किया और अंग्रेज शासन को झुकने पर मजबूर कर दिया.
स्वतंत्रता के बाद चरण पादुका स्थित बलिदान स्थल पर एक स्मारक बनाया गया. जहां पर एक बोर्ड पर बलिदान देने वाले देशभक्तों के नाम अंकित है.