संबलपुर: किसने कहा कि केवल खून के रिश्ते ही पारिवारिक बंधन को परिभाषित करते हैं. और मजबूत संबंधों के आधार बनते हैं. कई बार, लिवर भी वह कड़ी हो सकता है जिससे रिश्ते गहरे बहुत गरहे हो जायें. कुछ ऐसा ही प्रतिमा प्रधान और उमाकांति के साथ हुआ. हालांकि, इन दोनों के बीच खून का रिश्ता नहीं है. रिश्ते में उमाकांति प्रतिमा की देवरानी लगती हैं. प्रतिमा ने उमाकांति के लिए अपने लिवर का हिस्सा का एक हिस्सा देने से पहले दो बार नहीं सोचा, जो एक छोटे बच्चे की मां है, जो जीवन के लिए खतरनाक बीमारी से जूझ रही थी और जीवित रहने के लिए जिगर प्रत्यारोपण की जरूरत थी.
इसे भाग्य कहें या किस्मत, जब अन्य सभी संभावित दाताओं के टेस्ट में विफल होने के बाद तो प्रतिमा के पैरामीटर उमाकांति के साथ मेल खा गए. कुछ ही दिनों में, जिगर प्रत्यारोपण हो गया और आज दोनों हैदराबाद के एक अस्पताल में ठीक हो रहे हैं.
प्रतिमा संबलपुर जिले के जुजुमुरा ब्लॉक के जनकरपाली गांव की रहने वाली हैं, जहां वह एक संयुक्त परिवार में रहती हैं. परिवार के बड़े बेटे की पत्नी प्रतिमा घर के काम संभालती हैं, जबकि उमाकांति छोटे बेटे की पत्नी हैं.
परिवार के सदस्यों के अनुसार, इस स्थिति तक पहुंचने के लिए चिकित्सा यात्रा लंबी और थकाऊ थी. 2018 में गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी के बाद उमाकांति को पेट में सेप्टिक हो गया, जिससे लीवर को अपरिवर्तनीय क्षति हुई. अगले छह वर्षों में, उनके परिवार ने हर संभव उपचार की कोशिश की, उन्हें वीएसएस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, (VIMSAR) बुर्ला और एम्स भुवनेश्वर जैसे अस्पतालों में ले जाया गया. लेकिन डॉक्टरों ने आखिरकार पुष्टि की कि लीवर ट्रांसप्लांट ही उनके बचने की एकमात्र उम्मीद है.
जैसे-जैसे यह बात फैली, उमाकांति के पति सहित कई लोगों ने ट्रांसप्लांट के लिए जांच कराये लेकिन किसी के भी पैरामीटर उमाकांति के पैरामीटर से मैच नहीं किये. तब प्रतिमा ने टेस्ट करवाना चाहा और आखिरकार वह सही साबित हुईं. तेलंगाना के सिकंदराबाद स्थित यशोदा अस्पताल में प्रतिमा कहती हैं कि मुझे पता था कि मेरा लिवर मैच हो जाएगा. भगवान की कृपा से मेरी स्थिति मैच हो गई और मैं खुश थी, अपने लिवर का एक हिस्सा देने के लिए तैयार थी.