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पुणे में GBS के 5 और संदिग्ध मामले सामने आए, कुल संख्या बढ़कर 197 हुई - GBS CASES IN PUNE

जन स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पांच नये मामले सामने आने के बाद जिले में संदिग्ध मामलों की कुल संख्या 197 हो गई है.

GBS CASES IN PUNE
प्रतीकात्मक तस्वीर. (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 12, 2025, 10:59 AM IST

पुणे: स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, महाराष्ट्र के पुणे क्षेत्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के संदिग्ध और पुष्ट मामलों की संख्या 197 तक पहुंच गई है. इस दुर्लभ तंत्रिका विकार के पांच और मरीज पाए गए हैं. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि यहां पांच मरीजों में दो नए मामले और तीन पिछले दिनों के हैं.

स्वास्थ्य विभाग की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 197 मामलों में से 172 में जीबीएस का निदान किया गया है. कम से कम 40 मरीज पुणे नगर निगम क्षेत्रों से हैं, 92 पीएमसी में नए जोड़े गए गांवों से, 29 पिंपरी चिंचवाड़ नागरिक सीमा से, 28 पुणे ग्रामीण से और आठ अन्य जिलों से हैं.

इसमें कहा गया है कि 104 मरीजों को छुट्टी दे दी गई है, जबकि 50 आईसीयू में हैं और 20 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में जीबीएस के कारण होने वाली संदिग्ध मौतों की संख्या सात पर अपरिवर्तित रही. जीबीएस एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी, पैरों और/या बाहों में संवेदना का नुकसान, साथ ही निगलने या सांस लेने में समस्या होती है. हालांकि, सरकारी सूत्रों ने कहा है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

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स्वास्थ्य विभाग की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 197 मामलों में से 172 में जीबीएस का निदान किया गया है. कम से कम 40 मरीज पुणे नगर निगम क्षेत्रों से हैं, 92 पीएमसी में नए जोड़े गए गांवों से, 29 पिंपरी चिंचवाड़ नागरिक सीमा से, 28 पुणे ग्रामीण से और आठ अन्य जिलों से हैं.

इसमें कहा गया है कि 104 मरीजों को छुट्टी दे दी गई है, जबकि 50 आईसीयू में हैं और 20 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में जीबीएस के कारण होने वाली संदिग्ध मौतों की संख्या सात पर अपरिवर्तित रही. जीबीएस एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी, पैरों और/या बाहों में संवेदना का नुकसान, साथ ही निगलने या सांस लेने में समस्या होती है. हालांकि, सरकारी सूत्रों ने कहा है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

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