छिंदवाड़ा। जिले में कोरोना कर्फ्यू से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है. कर्फ्यू के दौरान लगी पाबंदियों के कारण किसानों के खेतों में तैयार सब्जियों की फसल नहीं बिक पा रही है, मद्देनजर किसानों ने सब्जी की फसलों को खेतों पर ही सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है.
- किसानों पर दोहरी मार
गर्मी के सीजन में सब्जियों की खेती काफी महंगी होती है और तपती धूप में काम करना भी मुश्किल होता है. ऐसे में जब किसान फसल तैयार करें और वह सही समय पर सही दामों में न बिके तो किसानों को इससे बेहद नुकसान होता है. गर्मियों के मौसम में सब्जियां बाजारों में ज्यादा बिकती है और मुनाफा भी ज्यादा आता है, लेकिन इस बार के हालातों पर किसानों का कहना है कि उनपर दोहरी मार पड़ रही है, पूंजी भी लग गई फसल भी तैयार है पर अब बिक नहीं पा रही. आखिर वह करें तो करें?.
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- फसलों को खतों में सड़ने के लिए छोड़ा
आमतौर पर गर्मी के दिनों में सालभर के बांकी सीजन की तुलना ज्यादा दामों में सब्जियां बिकती हैं, औसतन 20-30 रुपए प्रति किलो बिकने वाली सब्जियां इस साल 1 रुपए किलो तक नहीं बिक पा रही है. छिंदवाड़ा जिले के किसानों का हाल यह है कि खेतों में टमाटर की फसल पककर तैयार है और किसान को दूसरी फसल भी लगानी है, लेकिन जब पहली फसल बिकी ही नहीं तो अगली फसल लगाने की तैयारी कैसे की जाय. लिहाजा जिले के किसानों ने टमाटर की फसल को खेत पर ही सड़ने के लिए छोड़ दिया है.
- छिंदवाड़ा शहर से लगे गांवों का हाल
छिंदवाड़ा शहर से लगे करीब 50 गांवों में हजारों एकड़ जमीन में सब्जी की फसल लगाई जाती है. सब्जी की फसल नकदी फसल होती है और काफी मुनाफा भी होता है. इसलिए किसान ज्यादातर सब्जी की खेती करता हैं. गर्मी के दिनों में टमाटर, गोभी, गिलकी, करेला और बरबटी जैसी मुख्य फसल लगाई जाती है, लेकिन मंडी बंद होने के चलते अब किसान इन फसलों को फेंकने के लिए मजबूर हो गए हैं.
सब्जी किसानों पर कोरोना की मार! कर्फ्यू में मंडी बंद होने से नहीं बिक रही फसल
- पिछले 2 वर्षों से यही हाल
पिछले 2 वर्षों से गर्मी के सीजन में सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है, दो-तीन महीने मेहनत करने के बाद किसानों की फसल तो तैयार हो जाती है, लेकिन उन्हें बेचने के लिए जब बाजार की जरूरत होती है वह उन्हें कोरोना कर्फ्यू के कारण नहीं मिल पा रहा है.