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खुद के जीवन में है अंधेरा, बच्चों को दे रहे हैं ज्ञान का उजाला, नेत्रहीन शिक्षक ने पेश की मिसाल - Burhanpur's blind teacher

फतेहपुर में सरकारी स्कूल में शिक्षक रामलाल भिलावेकर मिलास पेश कर रहे हैं. रामलाल नेत्रहीन होते हुए भी पिछले 15 सालों से बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.

नेत्रहीन शिक्षक ने पेश की मिसाल
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Published : Sep 3, 2019, 11:16 PM IST

बुरहानपुर। फतेहपुर के शिक्षक जो खुद नेत्रहीन हैं, लेकिन बच्चों के बीच शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं. वो अपने जीवन का अंधेरा भले ही दूर ना कर पाए हो, लेकिन नई पीढ़ी के नौनिहालों को जी- जान से पढ़ाकर उनके भविष्य को प्रकाश की ओर ले जा रहे हैं.

नेत्रहीन शिक्षक ने पेश की मिसाल
रामलाल भिलावेकर बुरहानपुर के फतेहपुर के शासकीय प्राइमरी स्कूल में पिछले 15 सालों से शिक्षा का उजियारा फैलाने में जुटे हैं. रामलाल स्कूल के बच्चों को देवनागरी और ब्रेल लिपी से पढ़ाते है. बच्चों का कहना है की शिक्षक रामलाल के पढ़ाने की तकनीक की उन्हें बहुत पसंद है, जिसकी वजह से वे चीजों को जल्दी समझ जाते हैं. इस बात के लिए सभी उनकी तारीफ करते हैं.

रामलाल न सिर्फ नेत्रहीनता के कारण मायूस लोगों के लिए ही नही बल्कि उन शिक्षकों के लिए भी मिसाल हैं, जिनके नेत्र होते हुए भी वे अपने दायित्वों से दूर भागते फिरते हैं. रामलाल खुद चाहे अपना जीवन अंधेरे में बिता रहे हों, लेकिन अब तक वे हजारों बच्चों में शिक्षा का उजियारा फैला चुके हैं.

इन्होंने बीते15 साल से फतेहपुर के सरकारी स्कूल को वास्तविक रूप में शिक्षा का मंदिर बना रखा है. वे आम शिक्षकों की तरह ड्यूटी निभाने के साथ ही, समय से पहले पहुंच कर बच्चों को स्कूल भी लाते हैं और हर पाठ तब तक पढ़ाते हैं, जब तक वह बच्चों को कंठस्थ न हो जाए.

बुरहानपुर। फतेहपुर के शिक्षक जो खुद नेत्रहीन हैं, लेकिन बच्चों के बीच शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं. वो अपने जीवन का अंधेरा भले ही दूर ना कर पाए हो, लेकिन नई पीढ़ी के नौनिहालों को जी- जान से पढ़ाकर उनके भविष्य को प्रकाश की ओर ले जा रहे हैं.

नेत्रहीन शिक्षक ने पेश की मिसाल
रामलाल भिलावेकर बुरहानपुर के फतेहपुर के शासकीय प्राइमरी स्कूल में पिछले 15 सालों से शिक्षा का उजियारा फैलाने में जुटे हैं. रामलाल स्कूल के बच्चों को देवनागरी और ब्रेल लिपी से पढ़ाते है. बच्चों का कहना है की शिक्षक रामलाल के पढ़ाने की तकनीक की उन्हें बहुत पसंद है, जिसकी वजह से वे चीजों को जल्दी समझ जाते हैं. इस बात के लिए सभी उनकी तारीफ करते हैं.

रामलाल न सिर्फ नेत्रहीनता के कारण मायूस लोगों के लिए ही नही बल्कि उन शिक्षकों के लिए भी मिसाल हैं, जिनके नेत्र होते हुए भी वे अपने दायित्वों से दूर भागते फिरते हैं. रामलाल खुद चाहे अपना जीवन अंधेरे में बिता रहे हों, लेकिन अब तक वे हजारों बच्चों में शिक्षा का उजियारा फैला चुके हैं.

इन्होंने बीते15 साल से फतेहपुर के सरकारी स्कूल को वास्तविक रूप में शिक्षा का मंदिर बना रखा है. वे आम शिक्षकों की तरह ड्यूटी निभाने के साथ ही, समय से पहले पहुंच कर बच्चों को स्कूल भी लाते हैं और हर पाठ तब तक पढ़ाते हैं, जब तक वह बच्चों को कंठस्थ न हो जाए.

Intro:बुरहानपुर। आमतौर पर देखा जाता हैं कि अपने नेत्र गवाकर लोग जिंदगी से निराश हो जाते है, और अंधेरे में ही गुम होकर रह जाते है, लेकिन आज हम एक ऐसे शिक्षक की बात करने जा रहे हैं, जो खुद नेत्रहीन होते हुए भी न सिर्फ अपनी जिंदगी संवारी बल्कि नई पीढ़ी के मासूम बच्चों के बीच शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं, वो अपने जीवन का अंधेरा भले ही दूर ना कर पाए हो लेकिन नई पीढ़ी के नौनिहालों को जी-जान से पढ़ाकर उनके भविष्य को प्रकाश की ओर ले जा रहे है, बता दें कि यह शिक्षक रामलाल भिलावेकर हैं, जो बुरहानपुर जिलें फतेहपुर गांव में शासकीय प्राइमरी स्कूल में विगत 15 वर्षों से शिक्षा का प्रकाश फैलाने में जुटे हैं।
Body:ईश्वर द्वारा मनुष्य को दी गई अनमोल नेमत आंखें न हों तो सारा जीवन अंधेरे में डूब जाता है, ऐसे हालात में कई लोग जिंदगी से मायूस होकर गुमनामी के अंधेरों में खो जाते हैं, लेकिन बुरहानपुर जिलें के फतेहपुर गांव में सरकारी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक रामलाल भिलावेकर न सिर्फ नेत्रहीनता के कारण मायूस लोगों के लिए बल्कि उन शिक्षकों के लिए भी मिसाल हैं, जो नेत्र होते हुए भी अपने दायित्वों से दूर भागते फिरते हैं, रामलाल भिलावेकर खुद अपना जीवन भले ही अंधेरे में बिता रहे हों, लेकिन अब तक वे सैकड़ों बच्चों में शिक्षा का उजियारा फैला चुके हैं, बीते करीब 15 साल से फतेहपुर के सरकारी स्कूल को उन्होंने वास्तविक रूप में शिक्षा का मंदिर बना रखा है, वे आम शिक्षकों की तरह ड्यूटी निभाने की बजाय समय से पहले पहुंच कर बच्चों को स्कूल भी लाते हैं और हर पाठ तब तक पढ़ाते हैं जब तक वह उन्हें कंठस्थ न हो जाए।Conclusion:बाईट 01:- सलीमउल्ला, शिक्षक।
बाईट 02:- साथी शिक्षक।
बाईट 03:- अयान, छात्र।
बाईट 04:- अनिशा, छात्रा।
बाईट 05:- रामलाल भिलावेकर, नेत्रहीन शिक्षक।
पीटीसी सोनू सोहले
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