बुरहानपुर। फतेहपुर के शिक्षक जो खुद नेत्रहीन हैं, लेकिन बच्चों के बीच शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं. वो अपने जीवन का अंधेरा भले ही दूर ना कर पाए हो, लेकिन नई पीढ़ी के नौनिहालों को जी- जान से पढ़ाकर उनके भविष्य को प्रकाश की ओर ले जा रहे हैं.
रामलाल न सिर्फ नेत्रहीनता के कारण मायूस लोगों के लिए ही नही बल्कि उन शिक्षकों के लिए भी मिसाल हैं, जिनके नेत्र होते हुए भी वे अपने दायित्वों से दूर भागते फिरते हैं. रामलाल खुद चाहे अपना जीवन अंधेरे में बिता रहे हों, लेकिन अब तक वे हजारों बच्चों में शिक्षा का उजियारा फैला चुके हैं.
इन्होंने बीते15 साल से फतेहपुर के सरकारी स्कूल को वास्तविक रूप में शिक्षा का मंदिर बना रखा है. वे आम शिक्षकों की तरह ड्यूटी निभाने के साथ ही, समय से पहले पहुंच कर बच्चों को स्कूल भी लाते हैं और हर पाठ तब तक पढ़ाते हैं, जब तक वह बच्चों को कंठस्थ न हो जाए.